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कच्चाथिवु द्वीप को लेकर श्रीलंका ने भी दी प्रतिक्रिया, मंत्री ने बताया 1974 का समझौता और उसके बाद क्या हुआ

कच्चाथिवु द्वीप को लेकर भारत में सियासी बयानबाजी के बीच श्रीलंका की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आई है। श्रीलंकाई मंत्री डगलस देवानंद ने इस पूरे मसले को भारत में होने वाले आम चुनाव से जोड़ा है।

Edited By: Amit Mishra
Published : Apr 05, 2024 11:53 IST, Updated : Apr 05, 2024 12:04 IST
द्वीप (फाइल फोटो)- India TV Hindi
Image Source : AP द्वीप (फाइल फोटो)

कोलंबो: श्रीलंका के मत्स्य पालन मंत्री डगलस देवानंद ने कहा है कि कच्चाथिवु द्वीप को श्रीलंका से ‘वापस लेने’ के संबंध में भारत से आ रहे बयानों का कोई आधार नहीं है। श्रीलंकाई मंत्री देवानंद का यह बयान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी के बाद आया है। पीएम मोदी ने तमिलनाडु में कांग्रेस पार्टी और उसकी सहयोगी डीएमके पर निशाना साधा था। मोदी ने दोनों दलों पर 1974 में कच्चाथिवु द्वीप श्रीलंका को सौंपने में राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया था। बीजेपी कच्चाथिवु द्वीप के आसपास के जलक्षेत्र में मछली पकड़ने वाले मछुआरों के अधिकारों को सुनिश्चित नहीं करने के लिए भी दोनों दलों पर निशाना साधती रही है। 

'भारत में चुनाव का समय है'

मंत्री डगलस देवानंद ने बृहस्पतिवार को जाफना में संवाददाताओं से कहा, "यह भारत में चुनाव का समय है, कच्चाथिवु के बारे में दावों और प्रतिदावे सुनना असामान्य नहीं है।" देवानंद ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भारत अपने हितों को देखते हुए इस जगह को हासिल करने पर काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि श्रीलंकाई मछुआरों की उस क्षेत्र तक कोई पहुंच ना हो और श्रीलंका संसाधन से युक्त इस क्षेत्र पर कोई अधिकार का दावा नहीं करे।’’ 

मंत्री ने बताई ये बात 

देवानंद ने कहा है कि कच्चाथिवु को श्रीलंका से ‘‘वापस लेने’’ के बयानों का कोई ‘‘आधार नहीं है।’’ श्रीलंकाई मंत्री ने कहा कि 1974 के समझौते के अनुसार दोनों पक्षों के मछुआरे दोनों देशों के क्षेत्रीय जल में मछली पकड़ सकते हैं लेकिन बाद में इसकी समीक्षा की गई और 1976 में इसमें संशोधन किया गया। संशोधन के आधार पर दोनों देशों के मछुआरों को पड़ोसी जलक्षेत्र में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। देवानंद ने कहा, "वेस्ट बैंक नाम की एक जगह होने का दावा किया जाता है जो कन्याकुमारी के नीचे स्थित है। यह व्यापक समुद्री संसाधनों के साथ एक बहुत बड़ा क्षेत्र है। यह कच्चातिवु से 80 गुना बड़ा है, भारत ने इसे 1976 के समीक्षा समझौते में सुरक्षित किया था।" 

भारतीय मछुआरों को किया जाता है गिरफ्तार 

मत्स्य पालन मंत्री के रूप में देवानंद को हाल के महीनों में स्थानीय मछुआरों के दबाव का सामना करना पड़ा है। स्थानीय मछुआरों ने भारतीय मछुआरों द्वारा श्रीलंकाई जलक्षेत्र में अवैध तरीके से मछली पकड़ने पर रोक के लिए व्यापक विरोध प्रदर्शन किया है। उनका कहना है कि भारतीयों द्वारा तलहटी में मछली पकड़ना श्रीलंकाई मछुआरों के हितों के खिलाफ है। इस साल अब तक कम से कम 178 भारतीय मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना ने गिरफ्तार किया है और उनके 23 ट्रॉलर जब्त किए हैं। (भाषा)

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