Thursday, April 18, 2024
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ईरान पर संयुक्त राष्ट्र में मचा घमासान, जानें किन ताकतवर देशों ने किया समर्थन और कौन विरोध में

ईरान में हो रहे देशव्यापी प्रदर्शनों के बीच वहां की स्थिति पर चर्चा के लिए बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक के दौरान दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश दो गुटों में बंट गए...

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: January 06, 2018 13:54 IST
Representational Image | AP- India TV Hindi
Representational Image | AP

संयुक्त राष्ट्र: ईरान में हो रहे देशव्यापी प्रदर्शनों के बीच वहां की स्थिति पर चर्चा के लिए बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक के दौरान अमेरिका की दूत निक्की हेली ने इस्लामी राष्ट्र को चेतावनी देते हुए कहा, ‘आप जो कर रहे हैं, उसे दुनिया देख रही है।’ ईरान में मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए अमेरिका के अनुरोध पर न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देश जुटे थे। समूचे ईरान में सप्ताह भर से अधिक समय से चल रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों में करीब 21 लोगों की मौत हो गई है।

बैठक के दौरान सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों में से 3 सदस्य देश फ्रांस, रूस और चीन ने ईरान का साथ देते हुए कहा कि 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ईरान में मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए उचित मंच नहीं है क्योंकि इससे अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को खतरा पैदा नहीं होता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में निक्की ने कहा, ‘ईरान के लोग अब सड़कों पर उतर रहे हैं। वे बस वही मांग रहे हैं जिससे कोई सरकार कानून इनकार नहीं कर सकती है और वो है उनके मानवाधिकार एवं मौलिक आजादी। वे मदद के लिये गुहार लगा रहे हैं कि हमारे बारे में सोचो। अगर इस संस्था के मूल सिद्धांत कुछ मायने रखते हैं तो हम सिर्फ उनका रूदन नहीं सुनेंगे बल्कि अंतत: उनका जवाब देंगे। ईरानी शासन पर अब नजर है। आप जो कर रहे हैं, उसे दुनिया देख रही है।’ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रदर्शनकारियों के समर्थन में आ गए हैं।

अमेरिका ने दी ईरान को चेतावनी

निक्की ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का हर सदस्य देश सम्प्रभु है लेकिन सदस्य देश अपनी सम्प्रभुता की आड़ में अपने ही लोगों को मानवाधिकार एवं मौलिक आजादी से इनकार नहीं कर सकते हैं। उन्होंने सुरक्षा परिषद के अपने सभी सहयोगियों से ईरानी जनता के संदेश को आगे बढ़ाने में उनका साथ देने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा, ‘मैं ईरान की सरकार से अपील करती हूं कि वह जनता की आवाज को दबाने पर लगाम लगाए और इंटरनेट तक लोगों की पहुंच बहाल करे। क्योंकि आखिर में ईरानी लोग ही अपनी किस्मत निर्धारित करेंगे।’ सुरक्षा परिषद को बताते हुए राजनीतिक मामलों के लिए सहायक संयुक्त राष्ट्र महासचिव टाये-ब्रूक जेरिहून ने कहा कि ईरान में हो रहे प्रदर्शन मानवाधिकारों की मौलिक अभिव्यक्ति है और अपने दमनकारी शासन से निराश ये बहादुर लोग अपने जीवन को खतरे में डालते हुए भी जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं।
ईरान ने यूं दिया जवाब
सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में ईरान के दूत घोलामली खोशोरू ने 15 सदस्यीय संस्था की आलोचना करते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन के आह्वान पर एक ऐसे विषय पर बैठक का आयोजन कर संस्था ने अपना दुरुपयोग कराया है, जो पूरी तरह से उसके अधिकारक्षेत्र के बाहर है। उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा परिषद की भूल है। खोशोरू ने आरोप लगाया कि ईरान के अंदरूनी मामलों में दखल करने का अमेरिका का पुराना इतिहास रहा है। संयुक्त राष्ट्र में ब्रितानी दूत मैथ्यू रिक्रॉफ्ट ने ईरान के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि कोई ईरान को उसके एजेंडा में मजबूर नहीं कर रहा है। हालांकि रूसी प्रतिनिधि वैसिली ए नेबेंजिया ने ईरान से सहमति जताते हुए कहा कि अमेरिका सुरक्षा परिषद के मंच का दुरुपयोग कर रहा है।

फ्रांस, चीन और रूस ईरान के समर्थन में
चीन के वू हाइतो ने यह माना कि परिषद की प्राथमिक जिम्मेदारी अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना है। उन्होंने कहा कि यह किसी देश के मानवाधिकारों पर चर्चा करने का स्थान नहीं है। ईरान, रूस एवं चीन का साथ देते हुए संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के प्रतिनिधि फ्रैंकोइस देलात्रे ने कहा कि यह ईरानी लोगों के ऊपर है कि वे शांति के मार्ग पर चलें। बहरहाल अस्थायी सदस्यों में बोलीविया, इक्वेटोरियल गिनी, इथियोपिया ईरान की दलील से सहमत नहीं दिखे। बैठक की अध्यक्षता संयुक्त राष्ट्र में कजाकिस्तान के दूत कैरात उमारोव ने की। उन्होंने कहा कि उनके देश का मानना है कि ईरान में जो गतिविधियां हो रही हैं वह उसका घरेलू मुद्दा है और यह सुरक्षा परिषद के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।

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