Thursday, April 18, 2024
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स्टडी में हुआ बड़ा खुलासा, इस डर की वजह से अमेरिकियों ने ट्रंप को चुना था देश का राष्ट्रपति

एक अध्ययन में पाया गया है कि पारंपरिक रूप से उच्च सामाजिक स्तर के अमेरिकियों ने 2016 के चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप को वोट दिया क्योंकि उन्हें महसूस हो रहा था कि...

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 24, 2018 17:56 IST
United States: People voted for Trump because they were anxious | AP Photo- India TV Hindi
United States: People voted for Trump because they were anxious | AP Photo

वॉशिंगटन: एक अध्ययन में पाया गया है कि पारंपरिक रूप से उच्च सामाजिक स्तर के अमेरिकियों ने 2016 के चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप को वोट दिया क्योंकि उन्हें महसूस हो रहा था कि बढ़ती जातीय विविधता के चलते अमेरिका और दुनिया में उनकी हैसियत खतरे में है। अभी तक यह माना जाता था कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के शासनकाल में रोजगार गंवाने की आशंकाओं और गतिरूद्ध वेतनमान से गुजर रहे श्वेत श्रमिकों ने डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका की सत्ता सौंपी थी।

बहरहाल, प्रतिष्ठित जर्नल ‘PNAS’ में प्रकाशित एक अध्ययन में इस विचार का समर्थन किया गया है कि ट्रंप को वोट देने वाले ढेर सारे वोटर खुद को पीछे छूट गए महसूस कर रहे थे। लेकिन इस अहसास का कारण उनकी निजी वित्तीय समस्याएं या भविष्य को ले कर उनके अंदेशे नहीं थे। पेनसिल्वेनिया युनिवर्सिटी की प्रोफेसर डायना सी. मुट्ज ने कहा, ‘सियासी बगावतों और उथलपुथल में अकसर दबे-कुचले समूह उच्च वर्गों के अनुरूप बेहतर बर्ताव और ज्यादा बराबरी वाली जीवन स्थितियों के अपने अधिकार जताने के लिए उठ खड़े होते हैं। इसके बरअक्स 2016 का चुनाव अपना प्रभुत्व जारी रखने के लिए पहले से ही प्रभुत्वशाली समूहों के सदस्यों का एक प्रयास था।’

शोधकर्ताओं ने 2012 और 2016 दोनों में वोट डालने वाले 1200 अमेरिकी वोटरों का एक राष्ट्रीय प्रतिनिधिमूलक पैनल से सवेक्षण का डेटा लिया। उन्होंने पाया कि पारंपरिक रूप से उच्च सामाजिक स्तर के अमेरिकियों को लगा कि अमेरिकी में बढ़ती जातीय विविधता और दुनिया में अमेरिका के दबदबे के खात्मे की आशंकओं के चलते अमेरिका और दुनिया में उनकी हैसियत खतरे में। इसके बाद अमेरिका के सामाजिक रूप से प्रभुत्वशाली समूहों ने 2016 में उस उम्मीदवार के प्रति अपना समर्थन बढ़ा दिया जिसने अतीत के दर्जेबंदी को बहाल करने पर सबसे ज्यादा जोर दिया।

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