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अमेरिका-तालिबान समझौता: अमेरिका के सांसदों को तालिबान पर नहीं है पूरा भरोसा

अमेरिका के सांसदों ने अमेरिका-तालिबान शांति समझौते को एक सही दिशा में उठाया गया कदम करार दिया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : Mar 01, 2020 02:23 pm IST, Updated : Mar 01, 2020 02:23 pm IST
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Zalmay Khalilzad and Mullah Abdul Ghani Baradar shake hands after signing a peace agreement between Taliban and U.S. officials in Doha | AP

वॉशिंगटन: अमेरिका के सांसदों ने अमेरिका-तालिबान शांति समझौते को एक सही दिशा में उठाया गया कदम करार दिया है। सांसदों का मानना है कि यह युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान में शांति लाने के लिए बढ़िया कदम है लेकिन उन्हें अब भी पूरा विश्वास नहीं है कि आतंकवादी संगठन अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगा। इस समझौते पर अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जलमी खलीलजाद और अफगानिस्तान में तालिबान के वार्ताकार मुल्ला बिरादर ने हस्ताक्षर किया। इस हस्ताक्षर के दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ भी मौजूद थे।

लिंडसे ग्राहम ने कहा, मुझे शक है

सिनेटर लिंडसे ग्राहम ने कहा, ‘मुझे इस बात को लेकर संदेह है कि तालिबान अफगानिस्तान के संविधान को स्वीकार करेगा और धार्मिक अल्पसंख्यक या महिलाओं के अधिकारों को मानेगा। मैं अफगानिस्तान में युद्ध खत्म करने के लिए किसी भी तार्किक वार्ता को अपना समर्थन दूंगा।’ इस वार्ता में अमेरिकी बल को 8,600 तक की संख्या तक लाने की बात है। इस पर उन्होंने कहा कि इससे आगे की कमी शर्त पर आधारित होनी चाहिए और यह इस आधार पर होना चाहिए कि अफगानिस्तान के सुरक्षा बल अफगानिस्तान के लोगों की रक्षा करने के लिए पर्याप्त है। हालांकि ग्राहम ने यह भी कहा कि किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि अफगानिस्तान ही वह जगह है जहां 9/11 हमले की साजिश शुरू हुई थी। 

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कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका के साथ शांति समझौते के लिए आए तालिबान के नेता। AP

मैकॉल बोले, मुझे भी है शंका
रिपब्लिकन सांसद माइकल मैकॉल ने कहा कि शांति बहाल करने के लिए तालिबान, अफगानिस्तान सरकार, अफगान समाज, खास तौर पर महिलाओं के प्रतिनिधियों के बीच निर्णायक बातचीत शांति प्रयास के इस बड़े प्रयास के लिए महत्वपूर्ण परीक्षण होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका अगले चरण की प्रक्रिया के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘मैं आशा करता हूं कि तालिबान इस समझौते पर कायम रहेगा और इसमें अलकायदा और अन्य आतंकवादी संगठन से संपर्क खत्म करना भी शामिल है। हालांकि तालिबान योग्य साझेदार की तरह काम कर पाएगा, इसे लेकर मुझे शंका है।’

‘तालिबान को साबित करना होगा’
सांसद मार्कवेन मुलीन ने कहा कि यह अब अफगानिस्तान के लोगों के ऊपर है कि वे अपने देश का नियंत्रण अपने हाथों में लें और यह सुनिश्चित करें कि यह आतंकवादियों के लिए पनाहगाह नहीं बने। डेमोक्रेटिक सांसद क्रिस मर्फी ने कहा कि तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच बातचीत के लिए मंच तैयार करना सही दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है। रिपब्लिकन सांसद केविन मैकार्थी ने कहा कि समझौते की घोषणा सरकारात्मक कदम है लेकिन तालिबान को यह साबित करना होगा कि वह शांति के लिए तैयार है। वहीं पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा कि तालिबान के साथ समझौता अमेरिका के लोगों के लिए खतरा है और यह पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के अंदाज में किया समझौता है। (भाषा)

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