Saturday, April 27, 2024
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बृहस्पति ग्रह के बर्फीले चांद Europa पर मिला कार्बन, वैज्ञानिकों ने जीवन की संभावना पर कही बड़ी बात

बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा यूरोपा पर नासा के जेम्स वेब टेलिस्कोब को कार्बन होने के सुराग मिले हैं जिसके बाद इस बर्फीले उपग्रह पर जीवन की संभावना को बल मिला है।

Vineet Kumar Singh Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published on: September 26, 2023 8:12 IST
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Image Source : NASA जेम्स वेब टेलिस्कोप को यूरोपा पर कार्बन होने का सुराग मिला है।

कैलिफोर्निया: नासा के जेम्स वेब टेलिस्कोब को सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के बर्फीले चंद्रमा यूरोपा से कार्बन डाइऑक्साइड निकलने का सुराग मिला है। यूरोपा पर कार्बन की मौजूदगी ने इस उपग्रह पर जीवन की संभावना को बढ़ा दिया है। बता दें कि बृहस्पति के इस चांद की सतह पर बर्फ की 16 किलोमीटर मोटी परत मौजूद है, जिसके नीचे समुद्र भी है। इसी बर्फीली परत के ऊपर कार्बन डाईऑक्साइड के घेरे को आते-जाते देखा गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि सौर मंडल में अगर कहीं जीवन खोजने की शुरुआत की जा सकती है, तो यूरोपा सबसे उपयुक्त जगह मानी जाती है।

विपरीत परिस्थितियों में भी जिंदा रह लेते हैं कुछ जीव

बता दें कि वैज्ञानिकों को काफी समय से इस बात का पता तो था कि यूरोपा की बर्फीली परत के नीचे समुद्र मौजूद है, लेकिन यह नहीं पता था कि यह पानी जीवन के पनपने के लिए उपयुक्त है या नहीं। हालांकि अब इसमें कार्बन पाए जाने के बाद यहां जीवन पनपने की संभावना नजर आने लगी है। ऐसा माना जाता है कि कुछ स्तर तक विपरीत परिस्थितियों में में भी कुछ जीव रह लेते हैं। यूरोपा का तापमान माइनस 140 डिग्री सेल्सियस तक जाता है और इसके समंदर 64 से 160 किलोमीटर तक गहरे हैं, और वैज्ञानिक इसी के 16 से 24 किलोमीटर के बीच में जीवन की खोज की कोशिश कर रहे हैं।

कार्बन मिलते ही यूरोपा की डिटेल में स्टडी कर रहे वैज्ञानिक
माना जा रहा है कि यूरोपा के समुद्र के नीचे जीवन के लिए जरूरी बायोलॉजिकल मैटेरियल मौजूद है। इससे पहले हुई रिसर्च में पता चला था कि यूरोपा पर सॉलिड कार्बन डाईऑक्साइड से बनी बर्फ मौजूद है, लेकिन यह नहीं पता चल पा रहा है कि समुद्र के अंदर कार्बन का उत्सर्जन कैसे हो रहा है। हालांकि ज्यादातर वैज्ञानिकों का मानना है कि कार्बन की यह मात्रा समुद्र के अंदर से ही आ रही है और किसी उल्कापिंड या बाहरी अन्य खगोलीय घटना की वजह से ऐसा नहीं हुआ है। वैज्ञानिक अब यूरोपा की डिटेल स्टडी में जुटे हैं ताकि यहां जीवन की संभावनाओं का पता लगाया जा सके। 

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