Saturday, December 14, 2024
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188 साल के इतिहास में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ एक बार हुआ ऐसा, क्या कमला हैरिस बनाएंगी नया रिकॉर्ड?

अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहा है, जिसमें मुख्य मुकाबला पूर्व राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच है। मगर पिछले 188 वर्ष के इतिहास में अमेरिका में जॉर्ज बुश के अलावा कोई भी उपराषट्रपति ह्वाइट की रेस में ऐसा नहीं रहा, जो राष्ट्रपति तक का सफर तय कर चुका हो?

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Aug 28, 2024 14:08 IST, Updated : Aug 28, 2024 14:12 IST
कमला हैरिस और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन। - India TV Hindi
Image Source : PTI कमला हैरिस और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन।

न्यूयार्क: अमेरिका में करीब 188 साल से राष्ट्रपति चुनाव होते आ रहे हैं। मगर इतने वर्षों के इतिहास में सिर्फ एक बार ऐसा हुआ है, जब कोई मौजूदा उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद राष्ट्रपति बन पाया हो। इस बार डेमोक्रटिक पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी व्हाइट हाउस की रेस में हैं। वह इसके लिए अपना अभियान शुरू कर रही हैं। मगर क्या वह 188 वर्षों के इतिहास में नया रिकॉर्ड कायम कर पाएंगी या फिर उनका सपना पूरा नहीं हो सकेगा? खैर कमला हैरिस ने चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस दौड़ से राष्ट्रपति जो बाइडेन के बाहर होने के बाद कमला हैरिस को उनकी पार्टी की तरफ से सबसे उपयुक्त उम्मीदवार माना गया। 

बता दें कि साल 1836 के बाद से केवल एक मौजूदा उपराष्ट्रपति जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश 1988 में राष्ट्रपति पद पर चुने गए थे। इसके बाद कोई भी मौजूदा उपराष्ट्रपति यह सौभाग्य नहीं हासिल कर सका। उपराष्ट्रपति रहते हुए व्हाइट हाउस पहुंचने की कोशिश में असफल रहे लोगों में 1960 में रिचर्ड निक्सन, 1968 में ह्यूबर्ट हम्फ्री और 2000 में अल गोर शामिल रहे हैं। युद्ध और घोटालों से लेकर अपराध और टेलीविजन पर होने वाली बहसों जैसे मुद्दों से प्रभावित चुनावों में तीनों हार गए। लेकिन प्रत्येक उपराष्ट्रपति के लिए दो अन्य कारक भी महत्वपूर्ण साबित हुए: क्या निवर्तमान राष्ट्रपति लोकप्रिय थे और क्या राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बीच संबंध अच्छे थे?

1988 में बुश कैसे बने थे उपराष्ट्रपति से राष्ट्रपति

 साल 1988 में बुश ने मैसाचुसेट्स के गवर्नर डेमोक्रेट माइकल डुकाकिस को आसानी से हरा दिया, जिन्हें रिपब्लिकन ने कमजोर और संपर्क से परे करार दिया था। बुश को एक ठोस अर्थव्यवस्था और शीत युद्ध के तनाव में कमी से मदद मिली। राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन की स्वीकृति रेटिंग 1986-87 के ईरान-कॉन्ट्रा घोटाले के मद्देनजर तेजी से गिरने के बाद बढ़ी और रीगन तथा बुश ने चुनाव अभियान के दौरान एक साथ अच्छा काम किया। रीगन ने अपने उपराष्ट्रपति का खुलकर समर्थन किया, जिन्होंने 1980 के प्राइमरी में उनके खिलाफ चुनाव लड़ा था। उन्होंने रिपब्लिकन सम्मेलन में बुश की प्रशंसा एक प्रतिबद्ध और अमूल्य भागीदार के रूप में की, कैलिफोर्निया की एक रैली में उनके साथ दिखाई दिए और मिशिगन, न्यू जर्सी और मिसौरी में सभाओं में भाषण दिया। इतिहासकार-पत्रकार जोनाथन डारमन ने कहा, ‘‘रीगन द्वेष रखने वाले व्यक्ति नहीं थे। और बुश ने उपराष्ट्रपति रहते हुए अपने रिश्ते की जटिलता से बाहर निकलने का काम अच्छी तरह से किया।’’

गोर के समय भी माहौल रहा खराब

जब गोर 2000 में चुनाव लड़े, तो उन्हें जॉर्ज एच.डब्ल्यू.बुश की तरह ही लाभ मिला। अर्थव्यवस्था मजबूत थी, देश में शांति थी और राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को व्हाइट हाउस की इंटर्न मोनिका लेविंस्की के साथ उनके संबंध को लेकर महाभियोग के बावजूद उच्च रेटिंग प्राप्त थी। गोर ने इससे पहले के आठ वर्षों में क्लिंटन के साथ मिलकर काम किया था, लेकिन इस स्कैंडल के कारण उनके बीच तनाव बना रहा। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रपति की मौजूदगी को कम से कम रखा और डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में अपने ‘एक्सेप्टेंस’ भाषण में खुद को अपने दम पर चुनाव में उतरा नेता बताया।

जानकार लोग मानते हैं कि क्लिंटन से उनकी दूरी ही उन्हें चुनाव में झटका देने वाली साबित हुई। गोर की तरह, निक्सन भी तत्कालीन राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर की लोकप्रियता का फायदा नहीं उठा सके या नहीं उठाना चाहते थे। (एपी) 

 

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