Wednesday, December 11, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. बिहार
  3. VIDEO: बेगूसराय में बेटियों की उपलब्धि से बदल गया गांव का नाम, कभी सुनना पड़ता था लोगों का ताना

VIDEO: बेगूसराय में बेटियों की उपलब्धि से बदल गया गांव का नाम, कभी सुनना पड़ता था लोगों का ताना

पहले तो लड़कियों को समाज का ताना सुनना पड़ता था लेकिन अब वही समाज न सिर्फ इन्हें प्रोत्साहित कर रहा है बल्कि इनकी प्रतिभा को खेल गांव के रूप में पूरा गांव ही समर्पित कर दिया है।

Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Published : Mar 07, 2024 23:01 IST, Updated : Mar 08, 2024 6:26 IST
फुटबाल खेलती लड़कियां- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV फुटबाल खेलती लड़कियां

बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय में बेटियों ने देश-दुनिया में ऐसा हुनर दिखाया कि गांव अब उनके नाम से जाना जाने लगा है। करीब 50 साल पहले लोग बेगूसराय के बरौनी को तेलशोधक नगरी के रूप में जानते थे लेकिन अब स्थितियां बदल गयी हैं। अब सिर्फ प्रदेश में ही नही देश-विदेश के लोग भी बरौनी को खेल गांव के नाम से जानने लगे हैं। यह किसी और ने नही बल्कि यहां की उन बेटियों ने कर दिखाया है। बेटियां अपनी प्रतिभा के बल पर न सिर्फ परिवार और समाज को नई पहचान दी हैं कि बल्कि गांव को भी नई दिशा दी है।

 यमुना भगत स्टेडियम बना उपलब्धियों का गवाह

बरौनी जंक्शन से महज डेढ़ किलोमीटर दूर छोटे से बरौनी फ्लैग गांव में बड़ा सा यमुना भगत स्टेडियम है। यह गांव की सैकड़ों लड़कियों के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकने का गवाह है। पहले जो लोग लड़कियों के खेलने-कूदने को लेकर ताने कसते थे अब वो इन लड़कियों की वजह से गौरव महसूस कर रहे हैं। लड़कियो ने गांव की पहचान ही बदल दी है। यहां की लड़कियां फुटबॉल में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेलों में अपना परचम लहरा चुकी हैं। अन्नू, रेमी, मौसम, रीता, शिवांजलि, स्वाती, नव्या, नित, रितु, सालनि और अंकिता जैसी दर्जनों लड़कियां खेल की बदौलत केंद्र और राज्य सरकार की सेवा में नौकरी कर रही हैं। 

फुटबाल खेलती लड़कियां

Image Source : INDIA TV
फुटबाल खेलती लड़कियां

कभी सुनना पड़ता था गांव के लोगों का ताना

पहले तो इन लड़कियों को समाज का ताना सुनना पड़ता था लेकिन अब वही समाज न सिर्फ इन्हें प्रोत्साहित कर रहा है बल्कि इनकी प्रतिभा को खेल गांव के रूप में पूरा गांव ही समर्पित कर दिया है। फुटबॉल के कोच संजीव कुमार सिंह उर्फ मुन्ना  बताते हैं कि जब ये लड़कियां हाफ पैंट में घर से निकलती थी,तो समाज और गांव के लोगों का ताना सुनना पड़ता था पर आज वो बचियां 40 से 50 नेशनल और 2 इंटरनेशनल खेल चुकी हैं और खेल के बदौलत आज नौकरी भी कर रही है।

31 साल पहले से खेल रही हैं लड़कियां

आज से तकरीबन 31 साल पहले गांव की लड़कियों ने फुटबॉल खेलना शुरू किया तो उनको अपने परिवार और गांव के लोगों का जमकर विरोध झेलना पड़ा। लेकिन समय बदला तो लड़कियों ने खेल में तो नाम कमाया ही खेल के दम पर सरकारी नौकरियां भी हासिल करके सबका मुंह बंद कर दिया। फुटबॉल की नेशनल खिलाड़ी कौशिकी फुटबॉल में नेशनल खेल चुकी हैं और अब वो इंटरनेशनल खेल कर देश और गांव का नाम रौशन करना चाहती हैं।

फुटबाल खेलती लड़कियां

Image Source : INDIA TV
फुटबाल खेलती लड़कियां

वंही राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेकर परचम लहरा चुकी सुरुचि और शिवानी अब अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने की तैयारी कर रही हैं। वो कहती हैं कि मैं जब घर से मैदान आने लगती थी तो लोग बोलते थे टाइम पास करने जा रही है लेकिन परिवार वालों का साथ मिला और हम यहां तक पहुंचे । 

 
 रिपोर्ट- संतोष श्रीवास्तव

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें बिहार सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement