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UAPA मामले में शरजील इमाम ने मांगी जमानत, हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा

दिल्ली हाईकोर्ट ने राजद्रोह और यूएपीए के आरोपों समेत साल 2020 के सांप्रदायिक दंगों के मामले के संबंध में जमानत देने का अनुरोध करने वाले छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम की याचिका पर पुलिस से जवाब मांगा।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published : Mar 12, 2024 0:06 IST, Updated : Mar 12, 2024 0:06 IST
Sharjeel Imam- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम

राजद्रोह और गैरकानूनी गतिविधियों (UAPA) के आरोपों समेत साल 2020 के सांप्रदायिक दंगों के मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम जेल में है। इस मामले में शरजील इमाम ने जमानत याचिका दायर की है। दिल्ली हाईकोर्ट ने शरजील इमाम की याचिका पर सोमवार को पुलिस से जवाब मांगा है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की पीठ ने इमाम की जमानत याचिका खारिज करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उसकी याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। आरोपी की ओर से पेश वकील ने कहा कि निचली अदालत ने उसे गलत तरीके से जमानत देने से इनकार कर दिया जबकि वह इस मामले में दोषी ठहराए जाने की सूरत में मिलने वाली अधिकतम सजा की आधी से अधिक अवधि जेल में काट चुका है। 

चार साल से जेल में है शरजील इमाम

अभियोजन के अनुसार, शरजील इमाम ने 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण दिए जहां उसने असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से अलग करने की धमकी दी। दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने इस मामले में इमाम पर मुकदमा दर्ज किया। शुरुआत में राजद्रोह के अपराध में मुकदमा दर्ज कया गया और बाद में विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम की धारा 13 हटा ली गयी। वह इस मामले में 28 जनवरी 2020 से हिरासत में है। इमाम ने निचली अदालत में कहा था कि वह चार साल से हिरासत में है, जबकि यूएपीए की धारा 13 के तहत इस अपराध के लिए दोषी पाए जाने पर अधिकतम सजा सात साल है। 

दिल्ली दंगे भड़काने के आरोप

गौरतलब है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436-ए के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति ने अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा की आधी से अधिक सजा काट ली है, तो उसे हिरासत से रिहा किया जा सकता है। निचली अदालत ने 17 फरवरी को इमाम को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि अभियोजन पक्ष के मामले की सुनवाई के बाद ‘‘असाधारण परिस्थितियों’’ में किसी आरोपी की हिरासत को आगे की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है। निचली अदालत ने 2022 में इमाम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह), 153ए (शत्रुता को बढ़ावा देना), 153बी (राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालना वाला) और 505 (शरारत को बढ़ावा देने वाले बयान देना) और यूएपीए की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए दंड) के तहत आरोप तय किए थे। चार्जशीट में इमाम के खिलाफ आरोपों पर गौर करते हुए अदालत ने कहा था कि उन्होंने दिल्ली, अलीगढ़, आसनसोल और चकबंद में अलग-अलग भाषण दिए, जिससे लोग भड़क गए और अंततः दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे हुए। इस मामले पर अगली सुनवाई अब अप्रैल में होगी। 

शरजील इमाम के वकील ने दी ये दलीलें

छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से 2020 में यहां हुए सांप्रदायिक दंगों के पीछे की कथित बड़ी साजिश से जुड़े गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में जमानत देने का आग्रह किया है। उनके वकील ने उनके कथित भड़काऊ भाषणों के बारे में अदालत को बताया और तर्क दिया कि उन्होंने किसी भी तरह की हिंसा का आह्वान नहीं किया था क्योंकि व्यवधान डालने का उनका तरीका ‘पूरी तरह से गांधीवादी’ था। वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की पीठ के समक्ष दलील दी कि इमाम के खिलाफ यूएपीए के अनुसार किसी भी ‘आतंकवादी कृत्य’ में शामिल होने या सह-आरोपियों के साथ साजिश रचने का कोई अपराध नहीं बनता है। 

बता दें कि 1 अप्रैल, 2022 को निचली अदालत ने मौजूदा मामले में इमाम को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इस मामले में इमाम को 25 अगस्त, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी। 

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