Monday, April 29, 2024
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बिहार... सबसे ज्यादा सिविल सर्वेंट, महापुरुषों की जन्मभूमि, जानें और क्या-क्या अच्छा है इस राज्य में

आज बिहार दिवस है, आज ही की तारीख को अंग्रेजों ने राज्य को बंगाल से अलग किया था। इसे राज्य में काफी धूमधाम से मनाया जाता है।

Shailendra Tiwari Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Updated on: March 22, 2024 12:15 IST
Bihar Diwas- India TV Hindi
Image Source : FILE Bihar Diwas 2024

आज बिहार दिवस है, हर साल 22 मार्च को यह दिन मनाया जाता है, ये वो तारीख है, जब बिहार का जन्म हुआ। आज बिहार 112 साल का हो गया। अंग्रेजों के शासन काल में 22 मार्च 1912 को बंगाल से अलग होकर बिहार राज्य बना, पर तब तक बिहार बंगाल प्रोविंस का ही हिस्सा था। देश को आजादी मिलने पर 1956 में बिहार का पुनर्गठन हुआ और बिहार राज्य का दर्जा मिला। बिहार दिवस के दिन पर कार्यक्रम 2010 से शुरू हुआ और तब से हर साल मनाया जाता है। बिहार राज्य ने देश को ढ़ेरों आईएएस व आईपीएस ऑफिसर दिए है, लेकिन इसके बावजूद बिहार के लोगों को तिरस्कार के नजरों से ही देखा गया है। आइए जानते हैं कि बिहार के बारे में...

गौरवशाली रहा है इतिहास

बिहार का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है, राज्य ने देश को कई महापुरुष और सूफी संत दिए, यहीं पर एक पीपल के पेड़ के नीचे महात्मा बुद्ध को असीम ज्ञान की प्राप्ति हुई, इसके बाद उन्होंने अपने ज्ञान से संसार को अहिंसा का पाठ पढ़ाया, यहीं पर भगवान महावीर का जन्म हुआ, इतना ही नहीं सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी महाराज, सिखों के 9वें गुरु तेगबहादुर भी आए थे। इतना ही नहीं, बिहार में ही सूफी संत मनेर शरीफ, खानकाह मुजीबिया, खनाकाह मुनिबिया आदि संतों की भूमि रही।

दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी

इतना ही नहीं, देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का जन्म स्थान सिवान भी बिहार में ही है। बिहार के नालंदा यूनिवर्सिटी में ही दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी थी, जिसके बारे में कहा जाता है कि जब आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने लाइब्रेरी में आग लगाई तो इतनी ज्यादा किताबें थी कि 6 माह तक जलती रही। इसके अलावा, माता सीता का जन्मस्थान सीतामढ़ी जिले में है। बिहार की फेमस डिश लिट्टी चोखा पूरी दुनिया में मशहूर है। साथ ही बिहार की जीडीपी पर करीबन 10.64 प्रतिशत ग्रोथ के साथ तेजी से आगे बढ़ रही है, 2023 के आंकड़ों में बिहार ने दिल्ली को पीछे छोड़ दिया। साथ ही गया मोक्षधाम भी यहीं है, जहां देश के कोने-कोने से लोग अपने पितरों को पिंड दान करते हैं।

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