Tuesday, April 30, 2024
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Subhash Chandra Bose Jayanti 2024: कितने पढ़े-लिखे थे नेताजी सुभाषचंद्र बोस, ICS परीक्षा पास करने के बाद भी नहीं की नौकरी

देश में आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 127वीं जयंती मनाई जा रही है। उनके जन्मदिन को आज पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस मौके पर आज हम आपको सुभाष चंद्र बोस की एजुकेशनल क्वालिफिकेशन के बारे में बताएंगे।

Akash Mishra Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Updated on: January 23, 2024 11:34 IST
सुभाष चंद्र बोस जयंती- India TV Hindi
Image Source : TWITTER(FILE) सुभाष चंद्र बोस जयंती

Subhash Chandra Bose Jayanti 2024: आज देश वीर सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 127वीं जयंती मना रहा है। उनके जन्मदिन को आज पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। बता दें कि साल 2021 में केंद्र सरकार ने बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था। इस मौके पर आज हम आपको सुभाष चंद्र बोस की एजुकेशनल क्वालिफिकेशन के बारे में बताएंगे और साथ ही यह भी बताएंगे कि उन्होंने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद भी जॉइन क्यों नहीं किया था। 

ICS परीक्षा पास करन के बावजूद नौकरी नहीं की थी जॉइन

बता दें कि वीर सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जंम 23 जनवरी 1897 को ओडिशा, बंगाल डिविजन के कटक में हुआ था। बोस अपने माता पिता की 9वीं संतान थे। बोस के उस जमाने के जाने माने वकील थे। जब बात हम सुभाष चंद्र बोस की शिक्षा की करते हैं कि वो कितने पढ़े लिखे थे, तो बता दें कि बोस उन्होंने कलकत्ता में दर्शनशास्त्र से ग्रेजुशन की डिग्री ली थी, जिसके बाद वे आगे पढ़ाई के लिए इंग्लेंड चले गए थे। नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने महज 24 साल की एज में ही ICS की परीक्षा पास कर ली थी लेकिन अंग्रेजों की गुलामी न करने के कारण उन्होंने नौकरी नहीं की।

अपने जीवनकाल में  नेताजी ने 11 बार जेल की सजा काटी

बोस ने ICS की नौकरी छोड़ने के बाद आजादी की जंग में कूद गए और इंग्लैंड से भारत लौटकर चितरंजन दास के साथ जुड़ गए। बोस ने 1921 में चित्तरंजन दास की स्वराज पार्टी द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र 'फॉरवर्ड' के संपादन का कार्यभार भी संभाला। उन्होंने 'द इंडियन स्ट्रगल' पुस्तक लिखी, जो 1920 से 1942 तक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को कवर करती है। उनको साल 1939 में कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष भी चुना गया लेकिन जल्दी ही उन्होंने इस पद से स्तीफा दे दिया था। नेताजी ने अपने जीवनकाल में  11 बार जेल की सजा काटी।

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