Friday, May 03, 2024
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कौन हैं प्रद्योत देब बर्मा जिसने त्रिपुरा चुनाव में 'खट्टा' किया बीजेपी का स्वाद?

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) त्रिपुरा में सत्ता बरकरार रखने की ओर अग्रसर दिखाई दे रही है, लेकिन टिपरा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन (TIPRA) बीजेपी की रणनीति में एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है।

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: March 02, 2023 13:12 IST
टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मा- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मा

त्रिपुरा चुनाव के लिए आज वोटों की गिनती जारी है और शुरुआती रुझानों में भाजपा का अच्छा प्रदर्शन दिखाई दे रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) त्रिपुरा में सत्ता बरकरार रखने की ओर अग्रसर दिखाई दे रही है हालांकि विधानसभा चुनावों के लिए वोटों की गिनती अभी जारी है। बीजेपी साल 2018 के 36 सीटों के अपने आंकड़े को इस बार बेहतर करने के लिए उम्मीद जता रही है, लेकिन टिपरा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन (TIPRA) बीजेपी की रणनीति में एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है।

"चिनी हा, चिनी शासन" का नारा और तिप्रालैंड का वादा

तत्कालीन त्रिपुरा शाही परिवार के वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मा के नेतृत्व में, टिपरा मोथा पार्टी (TMP) के प्रमुख ने इस विधानसभा चुनावों के लिए एक आक्रामक अभियान चलाया। प्रद्योत देब बर्मा ने स्थानीय आदिवासियों, जो त्रिपुरा की आबादी का 32 प्रतिशत हिस्सा हैं, से जुड़ने के अभियान के दौरान "चिनी हा, चिनी शासन (हमारी जमीन, हमारा शासन)" का नारा दिया था। इतना ही नहीं  अगर उनकी पार्टी या गठबंधन को सीटों की निर्णायक संख्या हासिल होती है तो बर्मा ने एक अलग राज्य - तिप्रालैंड - बनाने के लिए काम करने का भी वादा किया।

'शाही' ही नहीं राजनीतिक भी है इतिहास 
'शाही' शासनकाल के अलावा, प्रद्योत देब बर्मा के परिवार का राजनीतिक इतिहास भी रहा है। उनके पिता किरीट बिक्रम कांग्रेस नेता और तीन बार सांसद रहे। उनकी पत्नी यानी प्रद्योत माणिक्य की मां विभु कुमारी देवी भी दो बार कांग्रेस विधायक और त्रिपुरा सरकार में मंत्री रहीं।

कांग्रेस से की राजनीतिक करियर की शुरुआत
प्रद्योत देब बर्मा ने अपना बचपन दिल्ली में बिताया, हालांकि, अब वे अगरतला में बस गए हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस के साथ की और 2019 में त्रिपुरा कांग्रेस प्रमुख के रूप में चुने गए थे। हालांकि, एनआरसी के मुद्दे को लेकर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 2021 में उनके पिता ने अपने सामाजिक संगठन TIPRA को राजनीतिक संगठन के रूप में बदलने की घोषणा की।

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