- फिल्म रिव्यू: War 2 Movie Review
- स्टार रेटिंग: 3 / 5
- पर्दे पर: 14 August 2025
- डायरेक्टर: Ayan Mukerji
- शैली: Spy Thriller
डायरेक्टर अयान मुखर्जी एक बार फिर कहानी के नए फ्लेवर के साथ पर्दे पर लौटे हैं। ब्रह्मास्त्र, ये जवानी है दीवानी और वेक अप सिड जैसी संवेदनशील और रोमांटिक फिल्में बनाने वाले अयान इस बार फुल एक्शन मोड में दिखे। ऋतिक रोशन, जूनियर एनटीआर और कियारा आडवाणी स्टार वॉर-2 आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म में धुआंधार एक्शन है लेकिन कहानी खोखली हवाबाजी के साथ आगे बढ़ती रहती है। कियारा भी पहली बार एक्शन किरदार में काफी फबी हैं और आशुतोष राणा की एक्टिंग रोंगटे खड़े करने वाली है। आइये विस्तार से जानते हैं फिल्म का पूरा रिव्यू।
कैसी है फिल्म की कहानी?
फिल्म शुरू होती है इसके हीरो ऋतिक रोशन के एक्शन से भरे सीन से। ऋतिक यानी कबीर जापान में एक माफिया को घर में घुसकर मारने के इरादे से जाते हैं। यहां ऋतिक करीब 20 ट्रेन्ड फाइटर्स को मार गिराते हैं और माफिया जब भागने की कोशिश करता है तो उसे भी मौत के घाट उतार देते हैं। यहां से शुरू होती है असल कहानी। कबीर जो एक रॉ का एजेंट है और देश के हर मिशन में काम आता है। इस बार कबीर के सामने कली नाम का एक पूरा कार्टेल है जो एक दुनिया के शक्तिशाली लोगों का एक ग्रुप है। इस ग्रुप में कबीर शामिल हो जाता है। ये कार्टेल्स का ग्रुप किसी व्यवस्था में भरोसा नहीं करता और केवल अपने प्रोफिट-लॉस के लिए काम करता है। कली कर्टेल भारत के प्रधानमंत्री को मारना चाहता है और इसमें भारत का ही एक मंत्री सारंग मदद करता है। वो वर्तमान प्रधानमंत्री की हत्या कराकर उस कुर्सी पर अपनी जड़ें जमाना चाहता है।
इसी बीच एक ग्रे शेड किरदार की एंट्री होती है जिसका नाम है रघु और वो भी सेना का एक जवान है। रघु और कबीर के बीच कभी पक्की दोस्ती थी जब दोनों बच्चे थे और अनाथों की तरह जिंदगी गुजारते थे। रघु कहानी का विलेन बनता है और कबीर को जोरदार टक्कर देता है। रघु का किरदार जूनियर एनटीआर ने प्ले किया है और काफी दमदार लगे हैं। कहानी के अंत में रघु का हृदयपरिवर्तन हो जाता है और दोनों एक बार फिर से भाइयों की तरह साथ आ जाते हैं। अंत में कली कार्टेल के हर सदस्य को दोनों मिलकर मौत के घाट उतार देते हैं। कहानी में दमदार एक्शन है और इसकी कसावट भी ठीक है। एक बात है जो इस फिल्म से मिसिंग है वो है स्पाई थ्रिलर। कहानी में कहीं भी थ्रिल और स्पाई के ठीक पाए नजर नहीं आते और कई मामलों में हीरोगीरी गैरजरूरी और हवाबाज लगती है। कहानी की घटनाएं और इसके ठोस कारणों के साथ ही कली कार्टेल की फिलॉसोफी भी काफी कमजोर है। कली कार्टेल को केवल एक विलेन के प्रतीक के तौर पर दिखाया गया है लेकिन उनके विलेन होने के पीछे के साक्ष्य कहानी से गायब दिखते हैं।
कैसा है फिल्म का डायरेक्शन
अयान मुखर्जी अपनी रोमांटिक कहानियों के लिए जाने जाते हैं। इससे पहले ये जवानी है दीवानी, वेकअप सिड और ब्रह्मास्त्र जैसी फिल्में बना चुके अयान मुखर्जी का डायरेक्शन दूसरी फिल्मों की तुलना में काफी कमजोर दिखता है। कियारा आडवाणी को भी अयान ने पहली बार क्यूट खूबसूरत हीरोइन से एक फाइटर बाहर निकाला है और ऋतिक के साथ भी कुछ दमदार सीन्स दिखाए हैं। फिल्म की कास्टिंग भी बढ़िया है और आशुतोष राणा अपने किरदार में काफी जमते हैं। आयान की अब तक की फिल्मों में से इस फिल्म का डायरेक्शन सबसे कमजोर है। कहानी सनसनाते हुए बढ़ती रहती है और असर छोड़ने में नाकाम रहती है। केवल आशुतोष राणा के साथ ऋतिक के कुछ सीन्स भावुक करने वाले होते हैं। इसके अलावा अयान का डायरेक्शन कमजोर नजर आता है।
कहानी में संगीत की खलती है कमी
फिल्म में प्रीतम ने म्यूजिक दिया है और ये बात किसी से छिपी नहीं है कि अगर उनका सही इस्तेमाल होता तो बेहतरीन संगीत भी हो सकता था। ऋतिक और जूनियर एनटीआर के रिश्ते का का समीकरण काफी भावुक था इसे किसी बेहतरीन स्कोर से सेलिब्रेट किया जा सकता था। लेकिन प्रीतम का जादू यहां दिखाई नहीं देता। फिल्म में कुछ गाने हैं जो जबरन ठूंसे हुए लगते हैं और कहानी की रफ्तार भी धीमी करते हैं।
कैसी है एक्टिंग?
फिल्म में ऋतिक रोशन हमेशा की तरह चमके हैं और कबीर के किरदार में जान फूंकते नजर आ चुके हैं। इससे पहले ऋतिक को इसी तरह के किरदारों में कई बार देखा गया है। बैंग बैंग में भी ऋतिक ने दमदार एक्शन दिखाया था। लेकिन इस बार वॉर-2 में ऋतिक कुछ नए सीन्स में जोरदार एक्शन पेश करते हैं। विक्रम के किरदार में जूनियर एनटीआर ग्रे शेड करेक्टर के साथ लौटे हैं। जो पहले हीरो की तरह पेश होता है और फिर विलेन बन जाता है। लेकिन अंत में हृदयपरिवर्तन हो जाता है। ऋतिक और जूनियर एनटीआर फिल्म की जान हैं और दोनों ने ही अपने करिदारों के साथ न्याय किया है। इसके साथ आशुतोष राणा भी कर्नल लूथरा के किरदार में पूरा न्याय करते नजर आ रहे हैं। कियारा को स्क्रीन टाइम कम मिला है लेकिन उन्होंने भी पहली बार एक्शन में लोगों को खुश कर दिया है।
फिल्म देखें या नहीं?
वॉर-2 किसी चमकदार लेकिन खोखली एक्शन थ्रिलर की तरह लगती है जिसे स्टारपावर ने पूरी तरह ढंक लिया है। फिल्म में विदेशी लोकेशन्स, भव्य सेट्स और कई बेहतरीन जगहों की सैर कराती है। फिल्म स्पेन से लेकर मनाली और दुनिया के कई देशों में कहानी को ले जाती है लेकिन फिर भी इसका असर कुछ खास नहीं रहता। लेकिन अगर आप एक्शन फिल्मों के शौकीन हैं तो एक बार फिर देखी जा सकती है। लेकिन अगर आप संवेदनशील और लॉजिकल कहानी देखना पसंद करते हैं तो ये आपको उबाऊ और कानफोडू लग सकती है। फिल्म एक बार देखने लायक जरूर है।