Sunday, April 28, 2024
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Explainer: मालदीव और भारत की दोस्ती में चीन कैसे बना विलेन, माले में सत्ता बदलते ही क्यों दरकने लगी संबंधों की दीवार?

भारत और मालदीव की दोस्ती से चीन घबराने लगा था। मालदीव सीमा क्षेत्र हिंद महासागर क्षेत्र में भारत चीन के खिलाफ खुद को रणनीतिक रूप से मजबूत करने के लिए जमीन तलाश चुका था। इसी बीच वर्ष 2023 में मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव होना था। चीन ने भारत विरोधी मोहम्मद मुइज्जू को सपोर्ट किया और वह चुनाव जीत गए।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: November 23, 2023 13:44 IST
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के साथ पीएम मोदी। (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : AP मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के साथ पीएम मोदी। (फाइल)
भारत के पड़ोसी देश मालदीव में सत्ता बदलते ही रिश्तों में कड़वाहट आना शुरू हो गई है। दरअसल मालदीव में भारत विरोधी और चीन समर्थक मोहम्मद मुइज्जू की राष्ट्रपति चुनाव में जीत हुई है। मुइज्जू ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही भारत से अपने सैनिकों को मालदीव से वापस बुलाने का अनुरोध कर दिया है। मुइज्जू ने यह सब चीन के इशारे पर किया है। चुनाव से पहले भी मुइज्जू ने अपने देश की जनता से कहा था कि यदि वह सत्ता में आते हैं तो विदेश हस्तक्षेप खत्म करेंगे और भारतीय सैनिकों को देश से बाहर निकालेंगे। उन्होंने इंडिया आउट का नारा भी दिया था। अब राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने भारत से अपने सैनिकों को मालदीव से वापस बुलाने का आग्रह किया है। साथ ही भारत के साथ 100 से अधिक समझौतों की पुनः समीक्षा करने की बात भी कही है। आइये अब आपको बताते हैं कि मालदीव के साथ भारत के रिश्ते का क्या रणनीतिक महत्व है। 
मोहम्मद मुइज्जू, मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति।
Image Source : AP
मोहम्मद मुइज्जू, मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति।
 

मालदीव में तैनात हैं 77 भारतीय सैनिक

 
मालदीव में 77 भारतीय सैनिकों की तैनाती है। मालदीव के साथ भारत के रिश्ते रखने के कई रणनीतिक और आर्थिक महत्व हैं। इसलिए भारत ने यहां की सरकार के साथ 100 से अधिक समझौते कर रखे हैं। अब यहां की नई सरकार भारत के साथ हस्ताक्षरित समझौतों की समीक्षा कर रही है। भारत का पड़ोसी होने और इसकी काफी सीमा हिंद महासागर से लगने की वजह से भारत चीन के खिलाफ इस क्षेत्र में रणनीतिक रूप से खुद को मजबूत कर रहा था। मगर मालदीव के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के 24 घंटे से भी कम समय के बाद मोहम्मद मुइज्जू ने भारत सरकार से मालदीव से भारतीय सैनिकों को ‘‘वापस’’ बुलाने का औपचारिक अनुरोध करके रिश्तों को बिगाड़ने की चाल चल दी है।
 
मालदीव में हेलीकॉप्टर का प्रबंधन करने के लिए 24 भारतीय सैन्यकर्मी हैं, डोर्नियर विमान का प्रबंधन करने के लिए 25 भारतीय हैं, दूसरे हेलीकॉप्टर का प्रबंधन करने के लिए 26 भारतीय हैं।इसके रखरखाव एवं इंजीनियरिंग के लिए दो और सदस्य हैं। इन दोनों हेलीकॉप्टरों और एक विमान को भारत ने मालदीव को तोहफे में दिया था। मगर मुइज्जू इसे मालदीव के लिए सैन्य सुरक्षा में सेंध बताते हैं।
 

पूर्व राष्ट्रपति सोलिह ने भारत के साथ संबंधों को किया था मजबूत

 मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने भारत के साथ संबंधों को काफी मजबूत किया था। भारत ने मालदीव के विकास के लिए 2 अरब डॉलर धनराशि की सहायता भी दी थी। इसकी वजह यह भी है कि मालदीव रणनीतिक रूप से अहम हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है। भारत यहां चीन के खिलाफ खुद को रणनीतिक रूप से मजबूत कर रहा था। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की सरकार ने दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया था। उन्होंने पीएम मोदी के साथ अच्छे संबंध बनाए थे। मालदीव देश भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक है। मगर चीन समर्थक मुइज्जू ने अब इन संबंधों को तोड़ना शुरू कर दिया है।
 

केंद्रीय मंत्री किरन रीजीजू गए थे शपथ ग्रहण समारोह में 

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के शपथ ग्रहण समारोह में भारत के केंद्रीय मंत्री किरन रीजीजू भी शामिल थे। उन्होंने मुइज्जू के साथ मुलाकात भी की थी। इस दौरान मुइज्जू ने भारत से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का अनुरोध किया है। मुइज्जू ने कहा कि मालदीव के लोगों ने नई दिल्ली से यह अनुरोध करने के लिए उन्हें ‘‘मजबूत जनादेश’’ दिया है। भारत की ‘पड़ोस प्रथम नीति’ को रेखांकित करते हुए केंद्रीय मंत्री रीजीजू ने शुक्रवार को मालदीव के नए राष्ट्रपति के तौर पर मोहम्मद मुइज्जू के शपथग्रहण समारोह में देश का प्रतिनिधित्व किया था। शपथग्रहण के तुरंत बाद, मुइज्जू ने जोर देकर कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि उनका देश अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए किसी भी ‘‘विदेशी सैन्य उपस्थिति से मुक्त रहे।’’ हालांकि, उन्होंने अपने संबोधन में किसी देश का नाम नहीं लिया।
 

मालदीव के बुरे वक्त में भारत ने की थी मदद

मालदीव के बुरे वक्त में भारत ने उसकी मदद की थी। रीजीजू के साथ बैठक के दौरान मुइज्जू ने आपातकालीन चिकित्सा स्थिति के दौरान सहायता प्रदान करने में दो हेलीकॉप्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी स्वीकार किया। भारत 2004 की सुनामी के साथ-साथ दिसंबर 2014 में यहां जल संकट के दौरान मालदीव की सहायता करने वाला पहला देश था। मुइज्जू और रीजीजू ने भारत के सहयोग से मालदीव में विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन की प्रगति की भी समीक्षा की। वहीं चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की विशेष दूत शेन यिकिन ने राष्ट्रपति मुइज्जू से इसी दौरान शिष्टाचार भेंट की थी और चीन-मालदीव की मित्रता को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया था। 

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