Monday, May 13, 2024
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Explainer: जयंत चौधरी के NDA में शामिल होने से BJP को क्या फायदा है? कहां होगा असर? जानें सभी समीकरण

राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया चौधरी जयंत सिंह अगर NDA का दामन थामते हैं तो उत्तर प्रदेश की सियासत में कई बड़े बदलाव होंगे, और ये बदलाव INDI अलायंस के लिए अच्छे नहीं होंगे।

Vineet Kumar Singh Written By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Updated on: February 07, 2024 20:58 IST
राष्ट्रीय लोकदल के...- India TV Hindi
Image Source : FILE राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी।

पश्चिम बंगाल और बिहार में हिचकोले खा चुके INDI अलायंस को उत्तर प्रदेश में भी झटका लग सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने दिल्ली में बीजेपी के बड़े नेताओं से मुलाकात की है। जयंत चौधरी फिलहाल विपक्षी गंठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन वह कब तक इसमें रहेंगे, यह तय नहीं है। खास बात यह है कि अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन का ऐलान कर चुके हैं, और जयंत के लिए 7 सीटें छोड़ने को भी कहा है, लेकिन RLD सुप्रीमो की बीजेपी नेताओं से सीक्रेट मीटिंग के बाद ये चर्चा शुरू हो गई है कि जल्द ही वह भी पाला बदल सकते हैं। आइए, जानते हैं ऐसा होने की सूरत में सियासी समीकरणों पर क्या असर होगा:

INDI अलायंस को लगेगा जोरदार झटका

अगर जयंत चौधरी पाला बदलकर बीजेपी के साथ आते हैं तो यह INDI अलायंस के लिए एक बड़ा झटका होगा। भले ही जयंत चौधरी के बीजेपी में आने से NDA की सीटों में कोई बड़ी बढ़ोत्तरी न हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में एक अहम साथी का यूं NDA में जाना विपक्षी गठबंधन के मनोबल को नुकसान पहुंचाएगा। खास बात यह है कि जहां एक तरफ अखिलेश यादव ने जयंत को 7 सीटें देने का ऐलान किया था, वहीं खबर है कि RLD नेता बीजेपी में जाने के लिए सिर्फ 3-4 सीटों पर राजी हो सकते हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि जयंत की नजर में बीजेपी की जीत की संभावनाएं कितनी ज्यादा हैं।

पश्चिमी यूपी में और मजबूत होगा NDA

RLD की पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जिसे ‘जाटलैंड’ भी कहा जाता है, में अच्छी पकड़ मानी जाती है। कई सीटों पर पार्टी के समर्थक जीत और हार के बीच का अंतर तय कर देते हैं। ऐसे में यदि जयंत चौधरी बीजेपी के साथ हाथ मिला लेते हैं तो इस इलाके में NDA को मात देना INDI अलायंस, या ज्यादा स्पष्ट रूप से कहें तो समाजवादी पार्टी के लिए काफी मुश्किल हो जाएगा। यही वजह है कि जैसे ही जयंत के पाला बदलने की खबरें सामने आईं, अखिलेश यादव, डिंपल यादव और शिवपाल सिंह यादव ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने RLD और BJP के बीच गठबंधन की खबरों को निराधार करार दिया।

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Image Source : PTI FILE
बीजेपी उत्तर प्रदेश में INDI अलायंस का मनोबल तोड़ना चाहती है।

कोई रिस्क नहीं लेना चाहती बीजेपी

जयंत चौधरी के साथ उत्तर प्रदेश में गठबंधन का मतलब है BJP इस बार कोई चांस नहीं लेना चाहती। यूपी में बीजेपी काफी मजबूत स्थिति में है और तमाम ओपिनियन पोल्स के मुताबिक 80 में से 62 सीटें जीत सकती है। लेकिन जयंत चौधरी से गठबंधन पूरे उत्तर प्रदेश में असर डालेगा और बीजेपी को पहले के मुकाबले ताकतवर बनाएगा। पता यह चला है कि बीजेपी चाहती थी कि जयंत अपनी पार्टी का विलय कर लें, लेकिन RLD नेता इसके लिए तैयार नहीं हुए। सियासी पंडितों का कहना है कि बीजेपी जयंत चौधरी को 3-4 सीटें दे सकती है और जल्द ही इस बारे में ऐलान हो सकता है।

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Image Source : PTI FILE
जयंत चौधरी का साथ छूटा तो अखिलेश यादव के लिए चुनावों में मुश्किल हो सकती है।

ऐसा हुआ तो क्या करेंगे अखिलेश?

अगर जयंत चौधरी लोकसभा चुनावों से पहले NDA के साथ जाने का फैसला करते हैं, तो सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के लिए कई मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। समाजवादी पार्टी भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी मजबूत है, लेकिन RLD के साथ छोड़ने से उसके मतदाताओं के बीच सही संदेश नहीं जाएगा और पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, सूबे के दूसरे हिस्सों में भी संदेश जाएगा कि जयंत ने INDI अलायंस की कमजोर संभावनाओं को देखकर ही पाला बदला है, और ऐसे में फ्लोटिंग वोटर्स का एक बड़ा हिस्सा अखिलेश और विपक्षी गठबंधन की बजाय एनडीए का रुख कर सकता है।

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