पिछले एक दशक में स्मार्ट फोन,कंप्यूटर ,लैपटॉप ,डिजिटल डिवाइस और गैजेट्स का उपयोग हर आयु वर्ग के लोगों में बहुत अधिक बढ़ चुका है,निसंदेह इस डिजिटल क्रांति से बहुत से काम आसान बन गए हैं लेकिन इनके अत्यधिक उपयोग से लोगों के स्वास्थ्य एवं उनके व्यक्तित्व पर पड़ने वाला नकारात्मक प्रभाव इतना विकराल रूप धारण कर चुका है कि उसे नजरअंदाज नही किया जा सकता है। लंबे समय तक कंप्यूटर्स और इलेक्ट्रोनिक डिजिटल गैजेट्स के इस्तेमाल से आंखों पर सबसे अधिक हानिकारक प्रभाव पड़ता है जिसे हम कंप्यूटर विजन सिंड्रोम या डिजिटल आई स्ट्रेन कहते हैं। रतन ज्योति नेत्रालय ग्वालियर के संचालक नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ पुरेंद्र भसीन बता रहे हैं कि कंप्यूटर विजन सिंड्रोम क्या है और कौन लोग इससे प्रभावित होते हैं?
कंप्यूटर विजन सिंड्रोम क्या है?
इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल डिवाइसेज पर लंबे समय तक काम करने के कारण आंखों, मांसपेशियों एवं व्यक्तित्व पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के समूह को कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की श्रेणी में रखा जाता है। इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल डिवाइसेज पर बहुत अधिक समय बिताने वाले हर आयु वर्ग के लोगों को कंप्यूटर विजन सिंड्रोम ने अपना शिकार बना कर पीड़ितों की श्रेणी में ला दिया है।
कौन होते हैं सबसे ज़्यादा प्रभावित?
वर्तमान में कंप्यूटर और डिजिटल स्क्रीन का उपयोग हर क्षेत्र में होता है इसलिए लंबे समय तक यानी 2 घंटे से अधिक समय तक डिजिटल स्क्रीन का उपयोग करने वाले हर व्यक्ति कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से प्रभावित हो सकता है।
कैसे करें अपनी आंखों का बचाव:
आंखों का बचाव करने एक लिए 20-20-20 रूल फॉलो करें - हर 20 मिनट पर 20 फीट दूर किसी वस्तु को 20 सेकंड के लिए देखें। यह आंखों को आराम देता है और थकान कम करता है।स्क्रीन पर काम करते समय पलकें झपकाना न भूलें। यह आंखों को सूखने से बचाता है। पर्याप्त रोशनी में काम करें। स्क्रीन की दूरी और ऊंचाई सही रखें। हर घंटे में 5-10 मिनट का ब्रेक लें। ब्लू लाइट को कम करने के लिए चश्मे या स्क्रीन पर ब्लू लाइट फ़िल्टर का उपयोग करें ।