Sunday, April 28, 2024
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NPS vs PPF: निवेश के लिए कौन सा ऑप्शन है ज्यादा सही? यहां समझें पूरा फंडा, फैसला लेना होगा आसान

नेशनल पेंशन सिस्टम एक सरकार द्वारा प्रायोजित और बाजार से जुड़ी पेंशन योजना है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना है जो चक्रवृद्धि ब्याज के जरिये आपके निवेश पर गारंटीकृत रिटर्न प्रदान करती है।

Sourabha Suman Written By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: March 21, 2024 9:18 IST
एनपीएस में निवेश करते हैं तो टैक्स छूट के लाभ भी मिलते हैं।- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV एनपीएस में निवेश करते हैं तो टैक्स छूट के लाभ भी मिलते हैं।

नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) और सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) दोनों भारत सरकार की सपोर्ट वाली रिटायरमेंट बचत योजनाएं हैं। दोनों आपको रिटायरमेंट के बाद के जीवन को सुरक्षित करने के लिए नियमित रूप से धन बचाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। जब भी हम रिटायरमेंट के बाद के फंड के लिए बचत करने के बारे में सोचते हैं, तो सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) का ख्याल आता है। पीपीएफ लंबी अवधि में और सभी उम्र के लिए सुरक्षित रिटर्न प्रदान करता है, यही कारण है कि यह लंबी अवधि में बचत के लिए एक बेहतरीन निवेश अवसर है। हालांकि, हाल के समय में राष्ट्रीय पेंशन योजना या एनपीएस भी रिटायरमेंट बचत के एक उपकरण के रूप में बहुत अधिक ध्यान आकर्षित कर रही है। बजट 2015-16 के बाद एनपीएस का उपयोग बढ़ गया है, जहां सरकार ने एनपीएस निवेश पर 50,000 रुपये की अतिरिक्त कर कटौती का प्रावधान किया है। अब सवाल है कि अगर इन दोनों में से किसे चुना जाए तो इसके लिए इन्हें समझना जरूरी है।

एनपीएस को समझ लें

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली या नेशनल पेंशन सिस्टम  एक सरकार प्रायोजित और बाजार से जुड़ी पेंशन योजना है जो लोगों को सरकार द्वारा रेगुलेटेड सिस्टम के भीतर लंबी अवधि में अपने निवेश से हाई रिटर्न अर्जित करने में सक्षम बनाती है। इस योजना में निवेश करके, कोई व्यक्ति रिटायरमेंट फंड बना सकता है और इनकम टैक्स पर बचत करते हुए रिटायरमेंट के बाद नियमित पेंशन हासिल कर सकता है। संगठित हो या असंगठित क्षेत्र, एनपीएस का मकसद न सिर्फ रिटायरमेंट लाइफ में वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है बल्कि किसी को अपना पैसा बढ़ाने में मदद करना है। कोई व्यक्ति रिटायरमेंट के बाद ही फंड को भुना सकता है, जबकि फंड से जल्दी या आंशिक निकासी की अनुमति केवल विशेष परिस्थिति में 10 साल के बाद दी जाती है।

जब आप एनपीएस में निवेश करते हैं तो टैक्स छूट के लाभ भी मिलते हैं। एनपीएस के लिए भुगतान आपको आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स कटौती का हकदार बनाता है। धारा 80सीसीडी(1बी) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये की कर छूट भी उपलब्ध है।

एनपीएस में कौन निवेश कर सकता है?

राष्ट्रीय पेंशन योजना भारत के किसी भी नागरिक के लिए उपलब्ध है जो 18-70 वर्ष की आयु वर्ग में आता है। योजना से जुड़कर और इसमें नियमित निवेश करके लाभ उठाया जा सकता है। इस योजना में निवेश के लिए आपकी आयु 18-70 वर्ष के भीतर होनी चाहिए। खाताधारक को अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) जरूरतों के लिए प्रासंगिक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।

पीपीएफ को समझें

पीपीएफ यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना है जो चक्रवृद्धि ब्याज के जरिये आपके निवेश पर गारंटीकृत रिटर्न प्रदान करती है। 15 साल की लॉक-इन अवधि के साथ, यह बचत योजना आपको लंबे निवेश क्षितिज पर अपना रिटायरमेंट फंड बनाने में मदद कर सकती है। मौजूदा समय में पीपीएफ पर 7.1% ब्याज मिल रहा है। यह सालाना रूप से चक्रवृद्धि होती है और जोखिम-मुक्त निवेश की तलाश करने वालों के लिए एक आदर्श विकल्प मानी जाती है।

कोई भी व्यक्ति इस योजना में शामिल हो सकता है और सुरक्षित वित्तीय बैकअप सुनिश्चित करने के साथ-साथ इस प्रक्रिया में टैक्स लाभ का आनंद लेने के लिए पीपीएफ खाते में निवेश कर सकता है। पीपीएफ खाते में सालाना 1.50 लाख रुपये तक राशि जमा की जा सरकी है। निवेशक आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के तहत टैक्स छूट का फायदा ले सकता है। पीपीएफ अकाउंट में कम से कम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये सालाना डिपोजिट होना चाहिए और सालाना 12 जमा तक की अनुमति है। इस स्कीम से आप बाहर निकल सकते हैं अगर, हाइयर एजुकेशन शुल्क का भुगतान करना हो या मेडिकल इमरजेंसी जैसी स्थिति बनती है।

आपके नाम पर सिर्फ एक पीपीएफ अकाउंट हो सकता है।

Image Source : FILE
आपके नाम पर सिर्फ एक पीपीएफ अकाउंट हो सकता है।

पीपीएफ में कौन निवेश कर सकता है?

कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक है और 18 वर्ष से अधिक उम्र का है, वह पीपीएफ खाता खोलने और उसमें निवेश करने के लिए पात्र है। यह योजना अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) या हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) के लिए उपलब्ध नहीं है। ध्यान रहे, आपके नाम पर सिर्फ एक पीपीएफ अकाउंट हो सकता है। आप बैंक या पोस्ट ऑफिस में कहीं भी पीपीएफ अकाउंट ओपन कर सकते हैं। हां, इसमें ज्वाइंट अकाउंट की अनुमति नहीं है। हालाँकि, किसी ऐसे व्यक्ति की ओर से अतिरिक्त पीपीएफ खाता खोला जा सकता है जिसका दिमाग ठीक नहीं है या वह नाबालिग है।

एनपीएस और पीपीएफ में क्या है अंतर

पीपीएफ में ब्याज दर 7.1 प्रतिशत है, जबकि एनपीएस में औसतन 10-14 प्रतिशत का रिटर्न मिल जाता है। यह मार्केट आधारित होता है। पीपीएफ में 18 वर्ष से ऊपर का भारतीय नागरिक अकाउंट खोल सकता है। एनआरआई पीपीएफ में निवेश का लाभ नहीं उठा सकते। जबकि एनपीएस में 18-70 वर्ष के भीतर का भारतीय नागरिक निवेश कर सकता है। साथ ही इसमें एनआरआई भी अकाउंट खोल सकते हैं।

इसी तरह, पीपीएफ अकाउंट की मेच्योरिटी पीरियड 15 साल की होती है। हालांकि आप चाहें तो इसके बाद और 5 साल के लिए इसे आगे बढ़ा सकते हैं। जबकि एनपीएस में ऐसा कुछ पक्का नहीं है। कस्टमर की उम्र 60 से 70 वर्ष के बीच अलग हो सकती है। निवेश की लिमिट की बात करें तो पीपीएफ में न्यूनतम निवेश 500 रुपये और अधिकतम सालाना  1.50 लाख रुपये है, जबकि एनपीएस में न्यूनतम सालाना डिपोजिट 6000 रुपये है, इसमें कोई ऊपरी सीमा नहीं है।

टैक्स डिडक्शन के मामले में पीपीएफ में धारा 80सी के तहत सालाना 1.5 लाख रुपये तक टैक्स कटौती के रूप में पूरी तरह से छूट उपलब्ध है। जबकि, एनपीएस में धारा 80सी के तहत आंशिक छूट है क्योंकि 1.5 लाख रुपये तक का वार्षिक भुगतान धारा 80सी के तहत टैक्स फ्री है। धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत 50,000 रुपये तक अतिरिक्त कटौती भी उपलब्ध है।

एनपीएस में 10 सालों के बाद आंशिक निकासी की अनुमति है।

Image Source : CANVA
एनपीएस में 10 सालों के बाद आंशिक निकासी की अनुमति है।

पीपीएफ में जमा राशि में से आप विशेष परिस्थिति में 7वें वर्ष से आंशिक निकासी कर सकते हैं। जबकि एनपीएस में 10 सालों के बाद आंशिक निकासी की अनुमति है। लेकिन रिटायरमेंट से पहले बाहर निकलने के लिए, 80% कॉर्पस का इस्तेमाल एन्युटी योजना खरीदने में करना होगा। पीपीएफ में मेच्योरिटी के समय एन्युटी प्लान खरीदने की जरूरत नहीं है। जबकि एनपीएस में आपको मेच्योरिटी अमाउंट के कम से कम 40% के साथ एक एन्युटी स्कीम खरीदनी होगी।

पीपीएफ में निवेश करने की आजादी नहीं है। आपको सालाना तय लिमिट में ही पैसा निवेश करना होता है। जबकि एनपीएस में हां, आप निवेश पोर्टफोलियो का चुनाव कर सकते हैं। इसके अलावा, पीपीएफ में गारंटीशुदा रिटर्न है क्योंकि यह सरकार द्वारा रेगुलेटेड ब्याज दर पर जोखिम-मुक्त निवेश हैं। जबकि एनपीएस में रिटर्न बाजार पर निर्भर करता है। आप बेहद शानदार रिटर्न भी मिलने की उम्मीद कर सकते हैं।

कौन सा है बेहतर निवेश विकल्प?

एनपीएस और पीपीएफ में समानताओं और अंतरों के आधार पर, दोनों में कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो रिटायरमेंट स्कीम के रूप में एक ठोस फाइनेंशियल बैकअप बनाने की चाह रखने वालों को रिटायरमेंट स्कीम के लिए आकर्षित कर सकती हैं। एचडीएफसी लाइफ के मुताबिक, हालांकि, दोनों में से कौन सा निवेशक के लिए ज्यादा बेहतर होगा, यह उसकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं, जरूरतों और सुविधा पर निर्भर करेगा। मान लीजिए, अगर कोई व्यक्ति जोखिम लेने से परहेज करता है, तो पीपीएफ उसके लिए एक बेहतर विकल्प है, जबकि एनपीएस किसी ऐसे व्यक्ति के लिए ज्यादा आकर्षक विकल्प है, जो ज्यादा रिस्क के बाद भी ज्यादा रिटर्न चाहता है। जीवन लक्ष्यों के संदर्भ में देखें तो, कम देनदारी होने पर एनपीएस एक बेहतर विकल्प है, जबकि बच्चे की शिक्षा या शादी के लिए बचत की जरूरत होने पर पीपीएफ पर अधिक भरोसा करना चाहिए।

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