
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ईरान को परमाणु समझौते का प्रस्ताव भेजा है। हाल ही में उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई को परमाणु समझौते पर फिर से बातचीत करने के लिए पत्र लिखा। ट्रंप ने शुक्रवार को फॉक्स बिजनेस नेटवर्क पर प्रसारित एक साक्षात्कार में कहा, "मैंने उन्हें एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि मुझे उम्मीद है कि आप बातचीत करेंगे।" ट्रंप ने आगे यह भी कहा, "अगर हमें सैन्य रूप से आगे बढ़ना पड़ा तो यह उनके लिए बहुत बुरी बात होगी।"
2015 में हुआ समझौता
दरअसल, साल 2015 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों, जर्मनी, यूरोपीय संघ और ईरान ने ‘संयुक्त व्यापक कार्य योजना’ (JCPOA) पर हस्ताक्षर किए। इसे ही ईरान परमाणु समझौते के रूप में जाना जाता है। ओबामा के शासन के दौरान किए गए इस समझौते ने ईरान को प्रतिबंधों से राहत प्रदान की थी, जिसके बदले में तेहरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम के दायरे को सीमित कर दिया था। इस समझौते के बाद ईरान ने अपने यूरेनियम को 3.67% से अधिक समृद्ध नहीं करने पर सहमति व्यक्त की, जो शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त स्तर है।
2018 में समझौते से पीछे हटा अमेरिका
हालांकि ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2018 में ही अमेरिका को इस समझौते से हटा लिया था। JCPOA को अमेरिका के लिए “सबसे खराब और सबसे एकतरफा लेन-देन” में से एक मानते हुए, ट्रंप इससे बाहर निकल गए। ट्रंप ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को कम करने में कथित विफलता और ईरान के क्षेत्रीय प्रॉक्सी पर जांच की कमी के कारण सौदे से अपनी वापसी को और अधिक तर्कसंगत बनाया था। ट्रंप के अधिकतम दबाव के कारण 2018 और 2021 के बीच महत्वपूर्ण ईरानी संस्थाओं पर कम से कम 1,500 अलग-अलग प्रतिबंध लगाए गए। इस बीच 2019 तक ईरान भी अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे हटना शुरू कर दिया, भले ही वह औपचारिक रूप से समझौते में बना रहा।
दोबारा समझौते की पेशकश की वजह
अब JCPOA तकनीकी रूप से अक्टूबर 2025 में समाप्त हो जाएगा, लेकिन ट्रंप इसे दोबारा शुरू करने की कोशिश में हैं। हालांकि ईरान ने अपनी परमाणु गतिविधि को बढ़ा दिया है। संदिग्ध इजरायली खतरे की वजह से भी ईरान परमाणु गतिविधि पर तेजी से काम कर रहा है। इसके अलावा ईरान में कई शीर्ष नेताओं की हत्या भी इसकी एक वजह है। ट्रंप ईरान में बढ़ रही परमाणु गतिविधि को एक खतरे के तौर पर देख रहे हैं और यही वजह है कि अब ट्रंप चाहते हैं कि इस समझौते को दोबारा शुरू किया जाए। हालांकि अब ईरान अपनी परमाणु गतिविधि को लेकर काफी आश्वस्त दिख रहा है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की जेद्दा में बैठक से इतर कहा, "अमेरिका के साथ हम तब तक कोई वार्ता नहीं करेंगे जब तक वह अधिकतम दबाव की नीति को जारी रखता है।"
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