Monday, May 06, 2024
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गुजरात विधानसभा में जमकर हुए हंगामे और नारेबाजी, कांग्रेस के 10 विधायक निलंबित; जानें पूरा मामला

जवाब से नाराज कांग्रेस विधायक तुषार चौधरी ने दावा किया कि पिछले साल आदिवासी बहुल छोटा उदयपुर जिले में ऐसे पांच फर्जी कार्यालय पाए गए थे और आरोपी पकड़े भी गए थे।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: February 20, 2024 14:41 IST
गुजरात विधानसभा- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO गुजरात विधानसभा

पिछले साल गुजरात के छोटा उदयपुर जिले में सामने आए एक ‘फर्जी’ सरकारी कार्यालय के खुलासे और सिंचाई परियोजनाओं के लिए धन की हेराफेरी के मुद्दे पर विधानसभा में जमकर हंगामे और नारेबाजी हुई। इसे लेकर मंगलवार को विपक्षी कांग्रेस के दस सदस्यों को सदन से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों की कुल संख्या 15 है, लेकिन हंगामे के वक्त उसके पांच विधायक सदन में नहीं थे। 

चालू बजट सत्र के प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक तुषार चौधरी ने जानना चाहा कि सरकार ने उन लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है, जिन्होंने छोटा उदयपुर जिले में एक ‘फर्जी’ सरकारी कार्यालय खोला था और आदिवासी क्षेत्र में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सरकारी धन की हेराफेरी की थी। एक लिखित जवाब में जनजातीय विकास मंत्री कुबेर डिंडोर ने कहा कि छोटा उदयपुर जिले में पिछले एक साल के दौरान ऐसा कोई कार्यालय नहीं पाया गया और इसलिए कार्रवाई के बारे में कोई सवाल ही नहीं उठता।

फर्जी सरकारी कार्यालय के खुलासे 

जवाब से नाराज तुषार चौधरी ने दावा किया कि पिछले साल आदिवासी बहुल छोटा उदयपुर जिले में ऐसे पांच फर्जी कार्यालय पाए गए थे और आरोपी पकड़े भी गए थे। वह पिछले साल अक्टूबर में छोटा उदयपुर जिले में सिंचाई परियोजनाओं के लिए एक कार्यकारी अभियंता का फर्जी कार्यालय स्थापित करके सरकारी अनुदान में 4.16 करोड़ रुपये हासिल करने के आरोप में दो व्यक्तियों की गिरफ्तारी का जिक्र कर रहे थे। बाद में पिछले साल फरवरी में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी बीडी निनामा को दाहोद जिला पुलिस ने ‘घोटाले’ को अंजाम देने और ‘आदिवासी क्षेत्र उप योजना’ के तहत 18.59 करोड़ रुपये के सरकारी अनुदान हासिल करने में अन्य आरोपियों की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 

बीजेपी सरकार पर तथ्य छुपाने का आरोप

जब कांग्रेस विधायक अमृतजी ठाकोर ने जानना चाहा कि आरोपियों को कितनी धनराशि दी गई, तो डिंडोर ने कहा कि उनके विभाग ने उन लोगों को 21 करोड़ रुपये बांटे हैं, क्योंकि उन्होंने खुद को वास्तविक सरकारी अधिकारी बताया था। मंत्री ने कहा, ‘‘इस घोटाले का भंडाफोड़ खुद राज्य सरकार ने किया था और फिर यह मीडिया में आया। हमने स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई की। हमने आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया है।’’ उनका मौखिक उत्तर क्योंकि लिखित उत्तर में उल्लिखित जानकारी से भिन्न था, इसलिए कांग्रेस विधायकों ने बीजेपी सरकार पर तथ्य छुपाने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ नारे लगाने शुरू कर दिए। 

जब विधानसभा अध्यक्ष के बार-बार अनुरोध के बावजूद कांग्रेस विधायक शांत नहीं हुए तो राज्य के विधायी और संसदीय मामलों के मंत्री ऋषिकेश पटेल ने व्यवधान पैदा करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की और पूरे दिन के लिए उन सभी को निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया। कांग्रेस विधायक दल के नेता अमित चावडा के नेतृत्व में विपक्षी विधायक अपनी मांग पर अड़े रहे। निलंबन का प्रस्ताव पेश होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी ने उन्हें एक दिन के लिए निलंबित कर दिया।

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