Thursday, April 25, 2024
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कैंसर की जंग जीतने के लिए रोजाना करें ये योगासन, साथ ही जानिए प्राणायाम और घरेलू उपाय

स्वामी रामदेव के अनुसार योग करने से शरीर के अंदर इतना ज्यादा एनर्जी आ जाती है कि कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी कोसों दूर रहती हैं।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: June 20, 2020 15:13 IST
कैंसर की जंग जीतने के लिए योगासन- India TV Hindi
Image Source : TWITTER/NURSINGCARE4 कैंसर की जंग जीतने के लिए योगासन

कैंसर के मामले जहां पहले एक-दो सामने आते थे, लेकिन आज के समय में कैंसर के मरीजों की तादाद तेजी से बढ़ती जा रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार अगले 2 दशकों में कैंसर के 60 प्रतिशत मरीज और बढ़ेंगे। जिसमें से 10 में से 1 भारतीय हैं।  ब्रेस्ट कैंसर, मुंह का कैंसर, ब्लड कैंसर, सर्वाइकल कैंसर जैसे कैंसर आसानी से किसी को भी अपना शिकार बना लेता है। कैंसर को फैलने और इससे जड़ से निजात पाने का एक तरीका है वो है योग। 

स्वामी रामदेव के अनुसार योग करने से शरीर के अंदर इतना ज्यादा एनर्जी आ जाती है कि कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी कोसों दूर रहती हैं। कैंसर के मरीजों को योग के साथ-साथ अपने आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जानिए कैंसर के मरीज कौन-कौन से योगासन करें। 

कैंसर से छुटकारा पाने के लिए करें ये योगासन

सूक्ष्म व्यायाम

सबसे पहले सूक्ष्म व्यायाम करेंगे। जिसमें अपने हाथों और पैरों की स्ट्रेचिंग के साथ-साथ चक्की आसन, स्थित कोणासन, तितली आसन आदि कर सकते हैं।

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मंडूकासन

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मंडूकासन

मंडूकासन
इस आसन के लिए व्रजासन या पद्मासन में बैठ जाएं। इसके बाद गहरी सांस लें और अपने दोनों हाथ के उंगलियों को मोड़कर मुट्ठी बनाएं। अब दोनों हाथ की मुट्ठी को नाभि के दोनों तरफ रखें और सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकेंगे। इस आसन में थोड़ी देर रहने के बाद फिर आराम से  सांस छोड़ते हुए सीधे हो जाए। इस आसन को कैंसर के रोगियों के साथ-साथ हर किसी को करना चाहिए।

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उष्ट्रासन
सबसे पहले योग मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं और आराम से अपने हाथ अपने हिप्स पर रख लें। इसके बाद पैरों के तलवे छत की तरफ रहें। सांस अंदर लेते हुए रीढ़ की निचली हड्डी को आगे की तरफ आने  का दबाव डालें। अब कमर को पीछे की तरफ मोड़ें। धीरे से हथेलियों की पकड़ पैरों पर ही  मजबूत बनाएं। बिल्कुल भी तनाव न लें। इस आसन में कुछ देर रहने के बाद आराम से पुरानी अवस्था में आ जाएं। इस आसन को आराम से करें। 

अर्ध्य उष्ट्रासन
अगर आप उष्ट्रासन नहीं कर पा रहे हैं तो इस आसन को कर सकते हैं। ये ही उष्ट्रासन की तरह की कारगर है। 

वक्रासन

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वक्रासन

वक्रासन
इस आसन के लिए सबसे पहले आराम से बैठ जाएं। इसके बाद अपने पैरों को सामने की ओर फैला देंगे पैरों के बीच में कोई गैप नहीं रहेगा इसके बाद दाएं पैर को मोड़ते हुए बाएं पैर के घुटने के बगल ले आएंगे और दाएं हाथ को पीठ के पीछे  से ले जाते हुए जमीन को स्पर्श करेंगे। इसके बाद  बाएं हाथ से दाहिने पैर के बाई ओर से हाथ डालते हुए दाहिने पैर के घुटने को छुएंगे। सांस की गति सामान्य रखें।  इसे रोजाना आधा से 1 मिनट करें।  

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शशकासन
लिवर और किडनी को हेल्दी रखने के साथ ही हाथों और कंधों को मजबूत रखता है। इसके अलावा पाचन क्रिया को सही रखें।  इसे रोजाना 1-2 मिनट करें।

गोमुखासन
 इस आसन के लिए वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएंगे आप चाहे तो दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए बाएं पैर के कुल्हें के नीचे रख सकते हैं और बाएं बाएं पैर को दोनों हाथों से उठाकर के घुटने से मोड़ते हुए दाहिने पैर के ठीक घुटने के ऊपर रखेंगे। इसके बाद बाएं हाथ को ऊपर से लेकर पीठ की ओर ले  जाएंगे। वहीं दूसरा हाथ नीचे से होते हुए पीठ के पास जाएगा। इसके बाद दोनों हाथों की अंगुलियों एक दूसरे से पकड़ लेंगे।  इस आसन को 5 मिनट तक किया जा सकता है।

पवनमुक्तासन
पवनमुक्तासन पेट और कमर की मांसपेशियों के खिंचाव को करने में मदद करता है। इससे पाचन तंत्र सही होता है। इसके साथ ही डायबिटीज के मरीजों को लाभ मिलेगा। इस आसन को करने से जांघो, पेट, कूल्हें को वसा मुक्त करें। इसके साथ रही दिल को रखें हेल्दी  इसके अलावा रीढ़ की हड्डी को मजबूत रखें, जांघों, पेट और कूल्हों को वसा मुक्त रखें।

उत्तानपादासन
यह आसन बिल्कुल शलभासन के तरह होता है। बस इसमें पेट के बेल नहीं बल्कि पीठ के बल लेटकर किया जाता है। इस आसन को करने से छाती और मांसपेशियों में खिंचाव, पीठ के दर्द से निजात के साथ ही रीढ़ की हड्डी से सबंधी हर समस्या से निजात मिलता है। इसके साथ ही डायबिटीज कंट्रोल होने के साथ गर्दन और मांसपेशियों में खिंचाव होता है। इस आसन को करने से किडनी- लिवर को करें सक्रिय, गर्दन की मांसपेशियों की खिंचाव करता है। तनाव डिप्रेशन से निजात दिलाता है। 

भुंजगासन
इस आसन को दो तरह से किया जाता है। इस आसन के लिए योग मैट में आराम से पेट के बल ले जाएं। इसके बाद दोनों हाथों को अपने मुंह के सामने लाकर एक दूसरे के पास रखकर पान का आकार दें। इसके बाद  लंबी-लंबी सांस लेते हुए कमर के ऊपरी हिस्से को धीमे-धीमे उठाएं और फिर मुंह से अपने हथेलियों को छुए और फिर ऊपर जाएं। इस प्रक्रिया को 50 से 100 बार करना चाहिए।  इस आसन को करने से तनाव, चिंता, कमर के निचला दर्द से मिलेगा निजात। फेफड़ों, पीठ दर्द को करें दूर। रीढ़ की हड्डी को करें मजबूत। 

मर्कटासन
मर्कटासन कई तरीके से किया जाता है। इसके लिए पीठ के बल आराम से लेट जाए। इसके बाद कंधों के बराबर अपने हाथों को फैलाएं। फिर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ लें। अब दोनों पैरों को मिलाकर पहले दाएं ओर करें। इसके साथ ही गर्दन को बाएं ओर मोड़े। फिर इस तरह दोबरा करें। इस आसन को करने से  पीठ दर्द से निजात,  कैंसर के रोगियों के लिए फायदेमंद। सर्वाइकल, गैस्ट्रिक, गुर्दे के लिए फायदेमंद।

नौकासन
 इस आसन को करने से गैस, कब्ज की समस्या से निजात मिलता है। इसके साथ की कमर, पेट सुडौल होता है। पेट की चर्बी कम कर करें।  इसके साथ ही किडनी और लिवर को हेल्दी रखता है। 

कैंसर से निजात पाने के प्राणायाम

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कैंसर से निजात पाने के प्राणायाम

कैंसर से छुटकारा पाने के लिए करें ये प्राणायाम

स्वामी रामदेव के अनुसार कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के लिए अनुलोम-विलोम और कपालभाति कम से कम 1 घंटा करना चाहिए। वहीं कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के कारण शरीर में उत्पन्न अधिक गर्मी को शांत करने के लिए शीतली और शीतकारी प्राणायाम करें।

कपालभाति
कपालभाति  हर रोग से निजात दिलाने का सबसे कारगर उपाय है। इसके द्वारा कैंसर, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, अस्थमा, खून की कमी, बीपी, हार्ट के ब्लॉकेज आदि की समस्या से निजात मिल जाता है।
  
अनुलोम-विलोम
सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं।

उज्जयी प्राणायाम
गले से सांस अंदर भरकर जितनी देर रोक सके उतनी देर रोके। इसके बाद दाएं नाक को बंद करके बाएं नाक के छिद्र से छोड़े।

भ्रामरी प्राणायाम
इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद कते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं।

उद्गीथ प्राणायाम
इस प्राणायाम को करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं और शांत मन से 'ऊं' के उच्चारण करते हैं। 

शीतली प्राणायाम
सबसे पहले आराम से रीढ़ की हड्डी सीधी करके बैठ जाएं। इसके बाद जीभ को बाहर निकालकर सांस लेते रहें। इसके बाद दाएं नाक से हवा को बार निकालें।

शीतकारी प्राणायाम
इस प्राणायाम में होंठ खुले, दांत बंद करें। दांत के पीछे जीभ लगाकर, दांतो से धीमे से सांस अंदर लें और मुंह बंद करें। थोड़ी देर रोकने के बाद दाएं नाक से हवा बाहर निकाल लें और बाएं से हवा अंदर लें।

कैंसर के मरीजों के लिए घरेलू उपाय

  • खाली पेट और रात को खाना खाने से पहले 50 एमएल व्हीटग्रास, 50एमएल एलोवेरा जूस, कुछ नीम की पत्तियां, 40 एमएल आंवला का जूस,  कुछ तुलसी की पत्तियां और थोड़ा सा गिलोय डालकर काढ़ा  बनाकर इसका सेवन करें।
  • गौमुत्र अर्क पिएं।
  • खाली पेट लौकी का जूस पिएं।
  • अनार का सेवन करें। यह कैंसर के रोगियों के लिए काफी कारगर है।
  • कैंसर के मरीजों के लिए टमाटर का सूप फायदेमंद  हता है। 
  • कच्चा प्याज जरूर खाएं। इसके अलावा  मूली, खीरा, गाजर, पालक आदि अन्य सब्जियां खाएं।

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