Tuesday, April 23, 2024
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धमनियों में रत्ती भर भी गंदा कोलेस्ट्रॉल भर जाए तो आ सकता है हार्ट अटैक, इससे बचने के लिए ज़रूर कराएं यह टेस्ट

कोलेस्ट्रॉल टेस्ट को लिपिड प्रोफाइल के नाम से भी जाना जाता है। लिपिड प्रोफाइल टेस्ट तब कराया जाता है, जब हार्ट से जुड़ी समस्याएं शरीर में पैदा होने लगती हैं। कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने से कोरोनरी धमनी रोग और अन्य हृदय रोगों का सबसे अधिक जोखिम होता है।

Poonam Yadav Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Updated on: March 10, 2023 14:42 IST
 what is lipid profile test- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK what is lipid profile test

डायबिटीज की तरह बैड कोलेस्ट्रॉल भी आजकल एक बहुत गंभीर बीमारी बनकर उभरी है। वैसे तो गुड कोलेस्ट्रॉल शरीर की सुरक्षा करता है लेकिन जब शरीर के नसों में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है, तब समस्या शुरू होती है। बैड कोलेस्ट्रॉल को LDL cholesterol के नाम से जाना जाता है। शरीर में इसकी मात्रा बढ़ने से नसों में ब्लॉकेज, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इन्हीं कारणों से डॉक्टर्स कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने की सलाह देते हैं। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना आपकी लाइफ स्टाइल और गलत खान पान के ऊपर पूरी तरह से निर्भर करता है। कोलेस्ट्रॉल टेस्ट को लिपिड प्रोफाइल, लिपिड पैनल के नाम से भी जाना जाता है। लिपिड प्रोफाइल टेस्ट तब कराया जाता है, जब हार्ट से जुड़ी समस्याएं शरीर में पैदा होने लगती हैं। लिपिड प्रोफाइट टेस्ट से पता चलता है कि शरीर में फैट या वसा की कितनी मात्रा खून में है। इन सभी रूपों की माप को लिपिड प्रोफाइट टेस्ट कहते हैं।

कब कराते हैं लिपिड प्रोफाइट टेस्ट?

बॉडी में मौजूद फैट कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स सेल्स के बेहतरीन स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन जब बॉडी में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है तब ये खराब खून धमनियों को ब्लॉक करने लगता है, जिससे उनमे सूजन आने लगती है। इस वजह से दिल जुड़ी बीमारी की संभावना भी बढ़ जाती है।  ऐसे में आपके शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल कितना बढ़ा है यह पता लगाने के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराने की जरूरत पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि नसों में कोलेस्ट्रॉल का लेवल जांचने के लिए टेस्ट कराना है एकमात्र सरल उपाय है। जाहिर है इसकी कम मात्रा आपको दिल के रोगों से बचा सकती है। इस टेस्ट को कराने से आपको खून की नसों में एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल, एचडीएल यानी अच्छा कोलेस्ट्रॉल, कुल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का लेवल पता करने में मदद मिल सकती है।

इन कंडीशन में भी आ सकता है अटैक

अगर आपकी हार्ट अटैक की फॅमिली हिस्ट्री है तो तो आपको कोलेस्ट्रॉल टेस्ट कराना चाहिए। लोगों को 25 साल की उम्र में यह टेस्ट करा लेना चाहिए ताकि हार्ट अटैक जैसी गंभीर परिस्थिति से अपन बचाव किया जा सके।  डॉक्टर्स का ऐसा मानना है कि दिल के रोगों से जुड़े पारिवारिक इतिहास, डायबिटीज टाइप 2, स्मोकिंग करने वाले लोग, अधिक वजन या मोटापा वाले लोग, कम शारीरिक गतिविधि करने वाले लोग और अन्हेल्दी डाइट लेने वाले लोगों को यह जांच जरूर करानी चाहिए। आपकी उम्र भी इसका एक कारक हो सकती है, क्योंकि जैसे-जैसे आप बड़े होते जाते हैं, हृदय रोग का खतरा बढ़ता जाता है।

कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए?

  1. 00mg/dL से काम होने पर कोई खतरा नहीं है
  2. 100-129mg/dL खतरे के थोड़ा करीब, लेकिन खतरा न के बराबर
  3. 130-159 mg/dL खतरे के निशान से थोड़ा ऊपर
  4. 160-189 mg/dL यानी खतरनाक
  5. 190 mg/dL और इससे ऊपर बहुत ज्यादा घातक

(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)

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