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आर्मी चीफ के 'वोट' के लिए घुसपैठ बयान पर बवाल, सेना ने दी सफाई

इस बयान के बाद AIUDF के मुखिया और सांसद बदरूद्दीन अजमल से लेकर AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बयान पर सवाल उठाए हैं। बदरूद्दीन अजमल ने साफ किया कि आर्मी चीफ को इस तरह के राजनीतिक बयानों से बचना चाहिए।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : February 22, 2018 14:54 IST
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आर्मी चीफ के 'वोट' के लिए घुसपैठ बयान पर बवाल, सेना ने दी सफाई

नई दिल्ली: असम में बांग्लादेशियों के घुसपैठ को लेकर सेना प्रमुख बिपिन रावत के दिए बयान पर घमासान मचा हुआ है। सेना प्रमुख ने बदरुद्दीन अजमल की पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता पर बयान दिया था, कहा कि बीजेपी के मुकाबले AIUDF का विकास तेजी से हुआ है। सेना प्रमुख के इस बयान पर असदुद्दीन ओवैसी से लेकर खुद बदरुद्दीन ने निशाना साधा है। इस बीच सेना ने आर्मी चीफ के बयान का बचाव करते हुए कहा है कि उन्होंने कोई राजनीतिक या धार्मिक बात नहीं कही है।

एक सेमिनार में शिरकत करने पहुंचे सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के इसी बयान से खलबली मची हुई है। असम से लेकर दिल्ली और हैदराबाद तक सियासत तेज हो गई है। किसी ने इस बयान को राजनीतिक ठहराया तो किसी ने इसे सुरक्षा के लिहाज से ठीक कहा। दरअसल आर्मी चीफ के इस बयान के पीछे पूरा लब्बोलुआब था देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में सीमा को सुरक्षित करना लेकिन इस बयान से बदरूद्दीन अजमल की पार्टी तिलमिला गई क्योंकि आर्मी चीफ ने अपने बयान में AIUDF का नाम लिया, कहा कि घुसपैठिए बदरूद्दीन अजमल की पार्टी में शामिल हो रहे हैं।

इस बयान के बाद AIUDF के मुखिया और सांसद बदरूद्दीन अजमल से लेकर AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बयान पर सवाल उठाए हैं। बदरूद्दीन अजमल ने साफ किया कि आर्मी चीफ को इस तरह के राजनीतिक बयानों से बचना चाहिए। जनरल बिपिन रावत ने राजनीतिक बयान दिया, ये चौकाने वाला है। किसी भी राजनीतिक पार्टी से आर्मी चीफ का क्या लेना-देना है। हो सकता है लोकतंत्रिक और धर्मनिर्पेक्षता की वजह से उस पार्टी ने बीजेपी से ज्यादा तेजी से विकास किया हो? दूसरी पार्टियों की मिसगरवर्नेंस की वजह से आप ने ज्यादा तेजी से बड़ी पार्टी बन गई। आर्मी चीफ को इस तरह के बयान से बचना चाहिए। आर्मी चीफ का ये काम नहीं कि वो राजनीति में दखल दे। ये पूरी तरह से असंवैधानिक है।

ओवैसी ने भी कहा कि आर्मी चीफ को ऐसे राजनैतिक बयान नहीं देने चाहिए। ओवैसी ने भी ट्वीट कर कहा कि सेनाध्यक्ष को राजनीतिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। किसी राजनीतिक दल के विकास पर बयान देना उनका काम नहीं है। लोकतंत्र और संविधान के कारण सेना हमेशा से चुने हुए नेतृत्व के नीचे ही काम करती आई है। सियासी घमासान के बाद आर्मी की तरफ से दोबारा बयान आया। आर्मी चीफ के जिस बयान को बदरूद्दीन से लेकर ओवैसी तक राजनीतिक बयान बताकर आलोचना कर रहे थे उसे आर्मी ने नकार दिया।

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