Friday, May 10, 2024
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BLOG: कश्‍मीर में बढ़ते आतंकवाद पर मोदी सरकार की बड़ी सर्जरी, दवा ही नहीं ऑपरेशन भी

कश्मीर भारत का वो अंग है जो नासूर बन चुका है, जिसका इलाज तो सालों से चल रहा है लेकिन नतीजा सिफर रहा है। धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर को नासूर कहना कई लोगों को नागवार गुज़रेगा।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 31, 2017 23:59 IST
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कश्मीर भारत का वो अंग है जो नासूर बन चुका है, जिसका इलाज तो सालों से चल रहा है लेकिन नतीजा सिफर रहा है। धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर को नासूर कहना कई लोगों को नागवार गुज़रेगा। मगर सच्चाई से मुंह फेर लेने से हकीकत नहीं बदल जाएगी। ये हकीकत है कि कश्मीर में एक तबका आज़ादी चाहता है और इसके लिए वो आतंक का रास्ता अपना चुका है।

90 के दशक में कश्मीर घाटी में आतंक ने सिर उठाया और धीरे-धीरे पैर जमाने में कामयाब भी हुआ। साफ है कि ऐसा अचानक नहीं हुआ। कहते है किसी बीमारी को ज़्यादा दिन पालो तो फिर वो जानलेवा बन जाती है। अगर वक़्त रहते ही इस बीमारी का इलाज कर दिया जाता तो आज ये हालात नहीं बनते।

अक्तूबर 1947 में जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बना। भले ही महाराजा हरी सिंह ने भारत के साथ जाने का फैसला लिया हो लेकिन पाकिस्तान की ख्वाहिश इसके उलट थी। 1947 से 1948 तक कश्मीर को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ाई चली। फिर उस वक्त की भारत सरकार ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना बेहतर समझा। संयुक्त राष्ट्र के दखल के बाद जनवरी 1949 को भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की घोषणा हुई। इसी लड़ाई के दौरान पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था। मुसलमानों की तादाद ज़्यादा होने की वजह से पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर पर अपना हक मानता था (इस लिहाज़ से तो लाहौर और चटगांव पर भी भारत का हक बनता था क्योंकि दोनों ही जगह पर हिंदूओं की संख्या ज़्यादा थी)।

सीधी लड़ाई में कश्मीर को हासिल न कर पाने के बाद पाकिस्तान ने दूसरा रास्ता चुना और वो रास्ता था आतंकवाद का। धर्म की आड़ में पाकिस्तान ने कश्मीर के नौजवानों को बहकाया और उनके हाथों में बंदूक थमा दी। हिजबुल मुजाहिदीन पाकिस्तान समर्थित एक ऐसा ही आतंकी संगठन है जो कश्मीर में सक्रिय है। इसके अलावा जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तानी आतंकी गुट भी मैजूद हैं।

इस आतंक की पहली मार घाटी में रह रहे हिंदूओं पर पड़ी। कश्मीरी पंडितों का क़त्लेआम हुआ और उन्हें घाटी छोड़नी पड़ी। अपने ही देश में कश्मीरी पंडित रिफ्यूजी बनकर रह गए। कश्मीर में आतंकवादियों को अलगाववादी नेता यानी हुर्रियत का खुला समर्थन हासिल है। भले ही राजनीतिक दलों के नेता आतंकवादियों का खुल्ला समर्थन न करें लेकिन उनके प्रति नरम रुख रखते हैं। पाकिस्तान की ओर से हुर्रियत नेताओं को पैसे मिलते हैं और वो पाकिस्तान के एजेंडे पर अमल करते हुए कश्मीर में अशांति फैलाते हैं।

कश्मीर में पाकिस्तान तीन तरीके से आतंकवाद को पाल रहा है। पहला सीमा पार से भारत में आतंकवादियों को भेजना, दूसरा कश्मीरी नौजवानों को आतंकवादी बनाना और तीसरा हुर्रियत नेताओं के ज़रिए घाटी में अशांति फैलाना। पाकिस्तान की ये साज़िश सालों से घाटी में चल रही थी। लेकिन भारत की पिछली सरकारें इस बीमारी का इलाज जड़ से न करके ऊपरी तौर पर कर रही थीं। मतलब अगर आपके शरीर के किसी हिस्से में दर्द है तो पेन किलर ले लो, ये जाने बिना की उसकी असली वजह क्या है। इससे फौरी राहत तो मिल जाती है लेकिन दर्द बरकरार रहता है।

केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद लोगों को लगा कि कश्मीर में अब आतंकी समस्या का हल निकल आएगा। इस उम्मीद को तब और बल मिला जब जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई। लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद कश्मीर में कई बड़े आतंकी हमले हुए। जिसके बाद केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठने लगे। मगर पिछले कुछ महीने में जिस तरह सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकवादियों के खिलाफ कश्मीर में अभियान चला रखा है उससे साफ है कि अब इस नासूर का इलाज जड़ से किया जा रहा है।

मोदी सरकार कश्मीर में आतंकवाद की सर्जरी कर रही है यानी सिर्फ दवा नहीं ऑपरेशन भी चल रहा है। सीमा पार सेना का सर्जिकल स्ट्राईक इसका पहला कदम था। जहां आतंकवादियों के कैंप्स को तबाह किया गया। इसके बाद LoC पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है ताकी पाकिस्तान की ओर से कोई घुसपैठ न कर सके। सरहद पर निगरानी कड़ी होने से आतंकी पाकिस्तान के ज़रिए भारत में नहीं घुस पा रहे। यही वजह है कि सीमा पार बैठे आकाओं ने घाटी में मौजूद आतंकियों को एक्टिव कर दिया है। अबतक स्लीपर सेल के तहत काम करने वाले आतंकियो के एक्टिव हो जाने से ये सभी सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर आ गए हैं। सेना ने घाटी में ऐसे ही 250 आतंकवादियों की लिस्ट तैयार की है और ऑपरेशन क्लीन के तहत इनको चुन-चुनकर मारा जा रहा है। ऑपरेशन क्लीन के तहत सेना ने अबतक 100 से ज़्यादा आतंकवादियों को ढेर किया है।

सरकार आतंकवादियों के साथ-साथ उनके मददगारों पर भी शिकंजा कस रही है। इसके तहत हुर्रियत को मिलने वाली फंडिंग की जांच की जा रही है। एंफोर्स्मेंट डायरेक्टरट और नेशनल इंवेस्टिगेटिव एजेंसी को पता चला है कि पाकिस्तान हुर्रियत के नेताओं के ज़रिए घाटी में पैसे भेजता है और इसी पैसा का इस्तेमाल कश्मीर में अशांति फैलाना के लिए होता है। एनआईए ने 7 हुर्रियत के नेताओं को गिरफ्तार किया है और उनसे पूछताछ भी चल रही है।

मोदी सरकार ने जिस तरह से कश्मीर में आतंक की सर्जरी शुरू की है उससे लगता है कि ये इलाज कारगर साबित होगा। हालांकि इसके बाद भी इलाज को जारी रखना पड़ेगा ताकी ये मर्ज़ पूरी तरह ठीक हो जाए।

(ब्‍लॉग लेखक अमित पालित देश के नंबर वन चैनल इंडिया टीवी में न्‍यूज एंकर हैं) 

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