Wednesday, April 24, 2024
Advertisement

पहले भी कई देशों के नागरिकों को दी जा चुकी है भारतीय नागरिकता, अमित शाह ने दी संसद में जानकारी

लोकसभा में आज नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल में किसी के साथ अन्याय होने की बात पूरी तरह गलत है। इसके पीछे किसी तरह का कोई एजेंडा नहीं है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 09, 2019 17:08 IST
Amit Shah- India TV Hindi
Amit Shah

नई दिल्ली: लोकसभा में आज नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल में किसी के साथ अन्याय होने की बात पूरी तरह गलत है। इसके पीछे किसी तरह का कोई एजेंडा नहीं है। उन्होंने कहा, यह बिल हमारे घोषणापत्र के अनुरूप है। हमने घोषणापत्र में इसका जिक्र किया था और हमें गर्व है कि हम अपने वादे को पूरा कर रहे हैं।

शाह ने आगे कहा, ''कुछ लोग कह रहे हैं कि अल्पसंख्यकों को स्पेशल ट्रीटमेंट मिलनी चाहिए। मैं पूछता हूं कि क्या बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलनी चाहिए? पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों को स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलनी चाहिए?'' उन्होंने कहा, ''देश की सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। मुझे बताइए दुनिया में कौन सा देश ऐसा है जो अपने सीमाओं और देश की सुरक्षा के लिए नागरिकता का कानून नहीं बनाता है?''

गृहमंत्री ने कहा, 1947 में जितने भी शरणार्थी आए सबको भारत के संविधान ने स्वीकार किया, शायद ही हिंदुस्तान का कोई गावं ऐसा होगा जहां पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान से आए शरणार्थी न रहते हों। कई लोग इस देश में बड़े बड़े पद पर बैठे मनमोहन सिंह जी उसी श्रेणी में आते हैं और श्री लालकृष्ण आडवाणी जी भी उसी श्रेणी में आते हैं। इस देश ने उनको स्वीकार कर नागरिकता दी और तभी वो देश के उप प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री बन पाए। बड़े-बड़े उद्योगपति बने, इस देश की विकास की यात्रा में अपना योगदान दिया। इसके बाद 1959 दंण्कयार्णेय योजना आई, इसके बाद 1971 की लड़ाई के बाद जब बांग्लादेश की रचना हुई, इसके बाद 1971 तक के सारे शरणार्थी आए थे तो उनको नागरिकता भी दी गई और शरण भी दी गई। किसी ने विरोध नहीं किया, इस देश की करोड़ों की जनता ने बांग्लादेश से आए लोगों के निर्वहन के लिए 5 पैसे का टिकट लगाया।

शाह ने आगे कहा, इसके बाद युगांडा में यमिनी का शासन आया तो भारतीयों को निकाल दिया गया, वहां से आए लोगों को नागरिकता दी गई। 1985 में असम एकॉर्ड हुआ, उस वक्त किसी ने विरोध नहीं किया क्योंकि हम समझते थे कि समय की मांग है और आज जब हम बिल लेकर आए हैं तो कृपया इसे राजनीती की नजर से ने देखें, करोड़ों शरणार्थी नरक की जिंदगी जी रहे हैं, बंगाल में कई शरणार्थी हैं जो चाहते हैं कि इसमें रोड़ा न डाला जाए। कांग्रेस अगर यह साबित कर दे कि यह किसी के साथ भेदभाव करता है, अगर ऐसा हुआ तो मैं यह बिल लेकर वापस चला जाऊंगा। यह बिल किसी से भेदभाव नहीं करता।

उन्होंने कहा, यह विधेयक हमारे 3 पड़ोसी देश जिनसे हमारी जमीनी सीमा लगती है, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, जैन, सिख, पारसी, बौद्ध और ईसाई नागरिकों के लिए भारतीय नागरिकता का रास्ता खुलता है जिनके साथ धर्म के आधार पर अपने देश में प्रताड़ित किया गया, उसके बाद वे भागकर आए, कोई दस्तावेज नहीं है, या फिर अधूरा दस्तावेज है, इस बिल में सभी प्रताड़ित नागरिकों को बिल में नागरिकता देने का प्रावधान है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement