Friday, April 19, 2024
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मासूम आद्या की मौत का सौदा, पहले मर्डर अब फोर्टिस की पैंतीस लाख रिश्वत की पेशकश

हरियाणा सरकार ने एफआईआर दर्ज कराने के लिए लीगल विभाग से सिफारिश की है और फोर्टिस अस्पताल के ब्लड बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश भी जारी किया है। रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि अस्पताल ने हर मामले में बच्ची के परिवार से ज्यादा फीस वसूली। अस्प

India TV News Desk Written by: India TV News Desk
Published on: December 07, 2017 8:25 IST
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नई दिल्ली: मासूम की डेंगू से मौत और परिवार को सोलह लाख का बिल थमाने के बाद अब अस्पताल पर केस वापस लेने के लिए पैंतीस लाख रिश्वत की पेशकश का आरोप लगा है। अपनी सात साल की बच्ची की मौत से टूटे परिवार को गुरूग्राम के मशहूर फोर्टिस अस्पताल ने पहले तो ताउम्र का जख्म दिया और अब अस्पताल प्रशासन अपने गुनाह के दंड से बचने के लिए साम-दाम के ओछे तरीके पर उतर आई है। फोर्टिस अस्पताल ने अपनी गलती को छिपाने और केस रफा-दफा करने के लिए आद्या के परिवार को पैंतीस लाख रुपये का ऑफर दिया है।

लेकिन इस पूरे मामले में हरियाणा सरकार ने कसूरवार अस्पताल के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है। हरियाणा सरकार की तरफ से बनाई गई कमेटी ने फोर्टिस अस्पताल को कई मामलों में दोषी पाया है। रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल ने लीव एग्नेस्ट मेडिकल एडवाइज़ यानि लामा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर अस्पताल पर कार्रवाई करने को कहा है। अनिल विज ने आद्या की मौत को हत्या करार देते हुए फोर्टिस अस्पताल के खिलाफ 304-ए के तहत केस दर्ज करने की बात की है।

हरियाणा सरकार ने एफआईआर दर्ज कराने के लिए लीगल विभाग से सिफारिश की है और फोर्टिस अस्पताल के ब्लड बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश भी जारी किया है। रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि अस्पताल ने हर मामले में बच्ची के परिवार से ज्यादा फीस वसूली। अस्पताल ने इलाज के लिए सस्ती दवाओं की जगह महंगी दवाओं का इस्तेमाल किया।

बता दें कि पूरा मामला अगस्त और सितंबर महीने का है। सात साल की आद्या को डेंगू की वजह से 31 अगस्त को गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां 14 सितंबर को बच्ची की मौत हो गई और फोर्टिस ने इलाज के नाम पर परिवार को पंद्रह लाख उनसठ हजार तीन सौ बाइस रुपये का बिल थमा दिया। इतना ही नहीं आरोप है कि जब बच्ची को दूसरे अस्पताल ले जाने की बात हुई तो फोर्टिस अस्पताल ने एंबुलेंस देने से मना कर दिया।

बच्ची के इलाज के नाम पर जो पैसा वसूला गया उसमें सिर्फ पंद्रह दिन में पंद्रह सौ ग्लव्स और छह सौ सिरींज के इस्तेमाल का बिल भी शामिल था। फोर्टिस अस्पताल के सोलह लाख का बिल भरन के लिए परिवार ने पांच लाख रुपये का पर्सनल लोन लिया। पांच लाख रुपये का मेडिकल इंश्योरेंस से चुकाये और छह लाख रुपये अपने क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड से दिए थे।

परिवार के मुताबिक अस्पताल ऑफ द रिकॉर्ड अपनी गलती मान रहा है लेकिन लिखित में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। अब परिवार के साथ साथ लोगों को भी इस बात का इंतजार है कि आद्या की मौत के लिए दोषी फोर्टिस अस्पताल पर सख्त कार्रवाई हो जिससे देशभर के तमाम अस्पतालों तक जिम्मेदारी का सीधा मैसेज पहुंचे।

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