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‘एक देश, एक चुनाव’ पर राजनीतिक दलों के बीच सर्वसम्मति की जरूरत: CEC सुनील अरोड़ा

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शनिवार को यहां कहा कि ‘एक साथ लोकसभा-विधानसभा के चुनाव’ या ‘एक देश, एक चुनाव’ बहुत जल्द नहीं होने वाला है।

Written by: Bhasha
Published : November 16, 2019 19:57 IST
CEC Sunil Arora- India TV Hindi
Image Source : PTI CEC Sunil Arora (File Photo)

अहमदाबाद: मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शनिवार को यहां कहा कि ‘एक साथ लोकसभा-विधानसभा के चुनाव’ या ‘एक देश, एक चुनाव’ बहुत जल्द नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि यह तब तक नहीं हो सकता, जब तक कि राजनीतिक दल साथ बैठ कर सर्वसम्मति पर नहीं पहुंच जाते हैं और कानून में जरूरी संशोधन नहीं लाया जाता है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव आयोग इस मामले में बहुत कुछ नहीं कर सकता है, लेकिन वह ऐसी व्यवस्था को तरजीह देगा। 

सुनील अरोड़ा ने कहा, ‘‘मैं महज इतना कह रहा हूं कि हमलोग सैद्धांतिक रूप से इस पर सहमत हैं, आदि।’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक दलों पर निर्भर करता है कि वे (इस विषय पर) एकसाथ बैठें और किसी आमराय पर पहुंचे, कानून में संशोधन करें ताकि चुनाव एकसाथ कराये जा सकें। यहां निरमा विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में अरोड़ा ने कहा, ‘‘जब तक ऐसा नहीं होता है तब तक सेमिनारों में बात करने के लिये यह एक अच्छा विषय है। लेकिन यह बहुत जल्द भी नहीं होने वाला है।’’ 

उन्होंने कहा कि एकसाथ चुनाव 1967 तक देश में हो रहे थे, उसके बाद कुछ राज्यों में विधानसभाओं के भंग होने और अन्य कारणों के चलते ‘‘इस इस व्यवस्था में असंतुलन’’ पैदा हुआ। सीईसी ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है, इसके बावजूद भी कुछ लोग इसके उलट दावा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आप सभी से जिम्मेदारीपूर्वक कहना चाहूंगा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। इसमें खराबी आ सकती है जैसा कि आपकी कार या दोपहिया वाहनों में होता है लेकिन इनसे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।’’ 

अरोड़ा ने कहा कि ‘‘प्रख्यात वैज्ञानिकों’’ ने चुनाव आयोग के लिये ईवीएम और ‘वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) पर काम किया है और इतना सारा काम करने के बाद वीवीपैट तथा ईवीएम को लेकर संदेह जताने पर उन्हें काफी नाखुशी तथा मायूसी होती है। उन्होंने कहा, ‘‘जब हम इस संबंध में ईवीएम (से छेड़छाड़ इत्यादि) को लेकर बातचीत करते हैं तो हमलोग थोड़े अतार्किक हो जाते हैं।’’ 

ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं हो सकने पर सीईसी ने अपना पक्ष रखने के लिये वर्ष 2014 के बाद से हुए कई चुनावों का उदाहरण दिया। विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए अरोड़ा ने कहा कि जब मतदान की बारी आती है तो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग समाज के समृद्ध वर्ग की तुलना में अधिक सक्रियता दिखाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मतदाता जागरुकता के लिये ऐसे लोगों (समृद्ध लोगों) को नुक्कड़ नाटक नहीं दिखाया जा सकता है। उनके लिये जागरुकता निश्चित रूप से उनके भीतर से आनी चाहिए।’’ 

उन्होंने पूर्व चुनाव आयुक्त टी एन शेषण के ‘‘युवाओं एवं आकांक्षी भारतीयों के साथ विशेष संबंध’’ की याद में सेंटर फॉर डेवलपमेंट एट इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी ऐंड इलेक्शन मैनेजमेंट में चुनाव अध्ययन पर एक ‘चेयर’ स्थापित करने की घोषणा की। शेषण का 10 नवंबर को निधन हो गया। वह 1990 और 1996 के बीच सीईसी थे।

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