नयी दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में मंगलवार को दायर की गई एक जनहित याचिका में दावा किया गया है कि रॉयल एनफील्ड बुलेट की साइलेंसरों में बदलाव करने के बाद इनसे होने वाली बेहद तेज आवाज लोगों, खासकर मरीजों के लिए सिरदर्द साबित हो रही है। इस याचिका में यह भी कहा गया है कि कारों-जीपों में लगे स्पीकरों से गानों की बेहद तेज आवाज भी लोगों, खासकर नाबालिगों, वरिष्ठ नागरिकों और मरीजों की सेहत को गंभीर जोखिम में डाल रही है और साथ ही इनसे ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है।
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वी. के. राव की पीठ ने मंगलवार को इस याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार, पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण अधिकारियों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगे। याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह राष्ट्रीय राजधानी में रॉयल एनफील्ड बुलेट मोटरसाइकिलों में बदले हुए (मॉडिफाइड) साइलेंसर लगाने, अलग-अलग तरह के प्रेशर हॉर्न, स्पीकरों के निर्माण, बिक्री और इस्तेमाल पर पाबंदी लगाए।
जस्टिस फॉर राइट्स फाउंडेशन नाम के गैर सरकारी संगठन और कानून की पढ़ाई कर रहे प्रतीक शर्मा नाम के छात्र की याचिका पर अदालत ने यह नोटिस जारी किए हैं। याचिका में कहा गया है कि प्रेशर हॉर्न, वूफर और बदले हुए साइलेंसर जैसे उपकरण गाड़ियों में लगाने से बेहद तेज आवाज पैदा होती है जिससे तनाव, सिरदर्द, थकान, नींद नहीं आने, झुंझलाहट, रक्त-चाप में उतार-चढ़ाव, हृदय रोग और पाचन संबंधी विकार पैदा होते हैं।