Tuesday, May 14, 2024
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पटाखे, पराली जलाने से दिल्ली में धुंध की मोटी परत छाई, दिवाली के बाद AQI पांच साल में सर्वाधिक

राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों और उसके उपनगरों में लोगों ने सुबह सिर में दर्द, गले में जलन और आंखों से पानी आने की शिकायतें की। चिंतित नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर आतिशबाजी की तस्वीरें और वीडियो साझा किए और पटाखों पर प्रतिबंध को ‘‘मजाक’’ बताया।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 06, 2021 7:01 IST
Pollution in Delhi NCR AQI highest in last 5 years पटाखे, पराली जलाने से दिल्ली में धुंध की मोटी परत- India TV Hindi
Image Source : PTI पटाखे, पराली जलाने से दिल्ली में धुंध की मोटी परत छाई, दिवाली के बाद AQI पांच साल में सर्वाधिक

नई दिल्ली. पटाखों पर लगे प्रतिबंध का लोगों द्वारा उल्लंघन किये जाने और प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 36 प्रतिशत पहुंचने के बीच शुक्रवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 462 पर पहुंच गया, जो पांच साल में दिवाली के अगले दिन का सर्वाधिक आंकड़ा है। पड़ोस के नोएडा में 24 घंटे का औसत एक्यूआई देश में सबसे ज्यादा 475 पर पहुंच गया। फरीदाबाद (469), ग्रेटर नोएडा (464), गाजियाबाद (470), गुरुग्राम (472) में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई। दिल्ली-एनसीआर में धुंध की मोटी परत छाने और हवा की गुणवत्ता खराब होने के कारण लोगों को गले में खराश और आंखों से पानी आने की दिक्कतों से जूझना पड़ा। 

सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि दिवाली की रात दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई और यहां तक ​कि कनॉट प्लेस में हाल शुरू ‘स्मॉग टॉवर’ भी आसपास के निवासियों को सांस लेने योग्य हवा नहीं दे सका। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) के आंकड़ों से पता चलता है कि दिवाली की रात, द्वारका-सेक्टर 8, पंजाबी बाग, वजीरपुर, अशोक विहार, आनंद विहार और जहांगीरपुरी में पीएम10 का स्तर 800 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 1,100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच था।

दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बृहस्पतिवार रात ‘गंभीर’ श्रेणी में प्रवेश कर गया और पिछले साल दिवाली के अगले दिन 24 घंटे का औसत एक्यूआई 435 था। जबकि 2019 में 368, 2018 में 390, 2017 में 403 और 2016 में 445 दर्ज किया गया था। इस साल दिवाली के दिन एक्यूआई 382 था, 2020 में यह 414, वर्ष 2019 में 337, वर्ष 2018 में 281, वर्ष 2017 में 319 और 2016 में 431 था।

शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 को ‘मध्यम’, 201 और 300 को ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले महीन कण यानी पीएम2.5 की 24 घंटे की औसत सांद्रता बढ़कर शुक्रवार को शाम 430 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गयी जो 60 माइकोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित दर से करीब सात गुना अधिक है।

बृहस्पतिवार शाम छह बजे इसकी औसत सांद्रता 243 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी। पीएम10 का स्तर शुक्रवार को सुबह करीब पांच बजे 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के आंकड़ें को पार कर गया और दोपहर दो बजे यह 558 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी) के अनुसार, अगर पीएम2.5 और पीएम10 का स्तर 48 घंटों या उससे अधिक समय तक क्रमश: 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक रहता है तो वायु गुणवत्ता ‘‘आपात’’ श्रेणी में मानी जाती है।

सुबह कम तापमान और कोहरे की वजह से प्रदूषकों का जमाव बढ़ा। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक आर के जेनामणि ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में शुक्रवार को सुबह घना कोहरा छाने के कारण इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और सफदरजंग हवाई अड्डे पर सुबह साढ़े पांच बजे दृश्यता कम होकर 200 से 500 मीटर के दायरे तक रह गयी। शहर के कई हिस्सों में दृश्यता कम होकर 200 मीटर तक रह गयी।

राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों और उसके उपनगरों में लोगों ने सुबह सिर में दर्द, गले में जलन और आंखों से पानी आने की शिकायतें की। चिंतित नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर आतिशबाजी की तस्वीरें और वीडियो साझा किए और पटाखों पर प्रतिबंध को ‘‘मजाक’’ बताया। दिल्ली में कई लोगों ने बृहस्पतिवार की रात को खूब पटाखे जलाए जाने की शिकायत की जबकि पटाखे जलाने पर एक जनवरी 2022 तक पूर्ण प्रतिबंध है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शहरों नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में देर रात तक आतिशबाजी होती रही। हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अपने 14 जिलों में सभी तरह के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल रोक लगायी हुई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने मध्यम या बेहतर वायु गुणवत्ता वाले इलाकों में दो घंटों के लिए दिवाली पर हरित पटाखों के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी।

बृहस्पतिवार को दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में 25 प्रतिशत योगदान के लिए पराली से होने वाला प्रदूषण जिम्मेदार था। पिछले साल, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी पांच नवंबर को 42 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। वर्ष 2019 में एक नवंबर को दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली के प्रदूषण का हिस्सा 44 प्रतिशत था। दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने से हुए उत्सर्जन की हिस्सेदारी पिछले साल दिवाली पर 32 प्रतिशत थी, जबकि 2019 में यह 19 प्रतिशत थी।

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