Saturday, April 20, 2024
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Rajat Sharma’s Blog: समूचे भारत में कैसे फैल रही है कोरोना की दूसरी लहर

इंडिया टीवी के रिपोर्टर्स ने अहमदाबाद, सूरत, भोपाल, चंडीगढ़ और अन्य शहरों में इस महामारी के फैलने के पीछे की वजहों का पता लगाने की कोशिश की।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: March 26, 2021 15:57 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

देशभर में गुरुवार को कोरोना के 59,117 ताजा मामले दर्ज किए गए जो पिछले 159 दिनों में सबसे ज्यादा है। अकेले महाराष्ट्र से एक दिन में कोरोना के 35,952 नए मामले सामने आए। देशभर में गुरुवार को कोरोना से संक्रमित 255 मरीजों की मौत हो गई जबकि पिछले दो दिनों में एक्टिव मामलों की संख्या 52 हजार से ज्यादा बढ़ गई है।

पिछले पांच दिनों में एक्टिव मामलों की संख्या में एक लाख की बढ़ोतरी के साथ ही कोरोना के कुल एक्टिव मामलों की संख्या अब 4 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी हैं। ऐसी खबरें हैं कि कोरोना महामारी की यह दूसरी लहर अप्रैल के अंत तक अपने पीक पर आ सकती है और मई महीने तक इसका प्रकोप जारी रह सकता है। महाराष्ट्र, गुजरात (जहां गुरुवार को 1,961 नए मामले दर्ज किए हैं), पंजाब, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में महामारी तेजी से फैल रही है। हम एक बार फिर पिछले साल वाली स्थिति में पहुंच गए हैं।

इंडिया टीवी के रिपोर्टर्स ने अहमदाबाद, सूरत, भोपाल, चंडीगढ़ और अन्य शहरों में इस महामारी के फैलने के पीछे की वजहों का पता लगाने की कोशिश की। आखिर हुआ क्या कि इतनी बड़ी संख्या में लोग कोरोना पॉजिटिव हो गए? रिपोर्टर्स ने जो बातें बताई, वो वाकई में हैरान करने वाली हैं।

सबसे ज्यादा चौंकाने वाली खबर देश के सबसे मशहूर मैनेजमैंट संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) अहमदाबाद से आई। अपने मैनेजमेंट स्किल्स के कारण दुनिया में जिन लोगों का लोहा माना जाता है, वही संस्थान कोरोना मैनेजमेंट में फेल हो गया।

हमारे रिपोर्टर निर्णय कपूर ने बताया कि आईआईएम के पांच छात्रों के कारण ही पूरा इंस्टीट्यूट कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया। असल में इन पांचों छात्रों को 16 मार्च को ही पता लग गया था कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं। चूंकि उस वक्त इन छात्रों की परीक्षाएं चल रही थीं और इन्हें लगा कि अगर उन्होंने कोरोना पॉजिटिव होने की बात बताई तो परीक्षाएं स्थगित हो सकती हैं। इसलिए इन छात्रों ने किसी को कोरोना संक्रमण की जानकारी नहीं दी।

ये पांचों छात्र पूरे कैंपस मे घूमते रहे, लोगों से मिलते रहे और वायरस को फैलाते रहे। जब दूसरे छात्रों में भी कोरोना के लक्षण दिखने लगे तो मास टेस्टिंग हुई। इस टेस्ट में 22 छात्र और एक फैकल्टी मेंबर की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। इसके बाद आईआईएम अहमदाबाद को कोरोना का हॉटस्पॉट घोषित कर दिया गया। लेकिन सवाल ये था कि जब पांच छात्रों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो फिर प्रशासन को इसकी जानकारी क्यों नहीं मिली? प्रशासन ने इन छात्रों को आइसोलेट क्यों नहीं किया? दरअसल, जिन पांच छात्रों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी उन छात्रों ने अपनी जांच प्राइवेट लैब में कराई थी। इन छात्रों ने अपना पता आईआईएम अहमदाबाद लिखाने के बजाय होम स्टेट का पता लिखवाया था। इसलिए नगर निगम के अधिकारी इन छात्रों को आईआईएम में ट्रेस नहीं कर पाए।

अहमदाबाद नगर निगम के डिप्टी हेल्थ ऑफिसर (उपस्वास्थ्य अधिकारी) डॉ. मेहुल आचार्य ने बताया कि जिन पांच छात्रों को 16 मार्च को कोरोना पॉजिटिव होने का पता चला था वे सभी छात्र 12 मार्च को नरेंद्र मोदी स्टेडियम में इंडिया और इंग्लैंड का टी-20 मैच देखने गए थे। चूंकि बड़ी संख्या में लोग मैच देखने गए थे इसलिए नगर निगम अधिकारियों के लिए यह पता लगा पाना व्यवहारिक तौर पर असंभव था कि कौन लोग कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं।

गुजरात के एक और जिले साबरकांठा के एक आवासीय स्कूल में दो वॉर्डन की वजह से 39 बच्चे कोरोना के शिकार हो गए। साबरकांठा के राजेंद्रनगर में सहयोग नाम की संस्था की तरफ से यहां गरीब बच्चों को पढ़ाया जाता है। यहां दो वॉर्डन की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद सभी 292 बच्चों का कोरोना टेस्ट करवाया गया। जब इनकी रिपोर्ट आई तो 39 बच्चे कोरोना पॉजिटिव निकले। अब इसमें किसे दोषी ठहराया जाए? वॉर्डन भी हॉस्टल में रहते हैं और बच्चे भी। कोई बाहर नहीं जाता तो फिर हॉस्टल में कोरोना लेकर कौन आया? संस्था के लोगों का कहना है कि सब्जी, राशन, दूध जैसी चीजों की सप्लाई करने वाले आते-जाते हैं। कोरोना उन्हीं के जरिए वॉर्डन तक और फिर बच्चों तक पहुंचा होगा। अब ट्रेसिंग हो रही है लेकिन कोरोना की कड़ियां मिलेंगी, ये कहना मुश्किल है।

उधर, सूरत में एक साथ 34 ऑटो ड्राइवर कोरोना पॉजिटिव निकले। इतने सारे ऑटो ड्राइवर्स के एक साथ कोरोना पॉजिटिव निकलने की वजह के बारे में जो जबाव मिला वो परेशान करने वाला है। असल में नगर निगम ने कोरोना को फैलने से रोकने के लिए शहर में लोकल बसों पर रोक लगा दी। बसें तो बंद हो गईं लेकिन सड़कों पर भीड़ कम नहीं हुई। बसों से सफर करनेवाले लोग ऑटो की सवारी करने लगे। ऑटो वालों की चांदी हो गई। जिस ऑटो में पहले 2 सवारियां बैठती थी अब उसमें पांच-छह सवारियां एक साथ जाने लगी और फिर तेजी से कोरोना फैला। यात्रियों से ये वायरस ऑटो ड्राइवर्स तक पहुंचा। और फिर ऑटो ड्राइवर्स कोरोना के कैरियर बन गए। सूरत में 741 बसें चलती थीं जिनमें करीब ढाई लाख से ज्यादा लोग रोजाना यात्रा करते थे। बस सेवा बंद होने की वजह से ऑटो में यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी और इस वजह से कोरोना भी फैलने लगा।

जाहिर है कि लोगों की लापरवाही के कारण महामारी फैल रही है। कोरोना को रोकने के लिए सरकारें बसें बंद करेगी तो लोग ऑटो से चलेंगे। अगर सरकार पार्क बंद करेगी तो लोग सड़कों पर घूमेंगे। अगर सरकार मास्क नहीं लगाने पर जुर्माना लगएगी तो लोग मास्क को मुंह पर ऐसे रखकर चलेंगे जिससे सिर्फ चालान से बच जाएं। अगर यही रवैया रहेगा तो फिर कोरोना से बचना मुश्किल है। कोरोना के लक्षण लगातार बदल रहे हैं। कोरोना के मरीज को जुकाम, बुखार या फिर खांसी हो, ये जरूरी नहीं है। हो सकता है कि कोरोना के मरीज में कोई लक्षण न हो। जिसे आप बिल्कुल स्वस्थ समझ रहे हैं, हो सकता है वही आपको कोरोना का गिफ्ट दे जाए। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि भोपाल और नागपुर जैसे शहरों में यही हो रहा है। यहां कोरोना के 80 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं जिनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं है।

भोपाल में गुरुवार को कोरोना के करीब 400 मरीजों का पता चला लेकिन चौंकानेवाली बात ये है कि इनमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा मरीज बिना किसी लक्षण (एसिम्पटोमैटिक) के हैं। ये दूसरे लोगों के लिए बड़ा खतरा बन रहे हैं। चूंकि वो खुद नहीं जानते कि उन्हें कोरोना है इसलिए जब दूसरे लोगों से मिलते हैं तो उन्हें भी वायरस से संक्रमित कर रहे हैं। उधर, नागपुर में भी कोरोना तेजी से फैल रहा है। गुरुवार को यहां साढ़े तीन से हज़ार से ज्यादा मामले सामने आए। आपको जानकर हैरानी होगी कि अकेले नागपुर में 2800 कोरोना मरीज़ ऐसे मिले जिनमें कोई लक्षण नहीं था। मुंबई में भी हालात खराब हैं। यहां रोजाना 5,500 से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं। मुंबई की मेयर किशोरी पेडणेकर ने बताया कि अगर किसी बिल्डिंग में कोरोना के मरीज निकलते हैं तो बिल्डिंग को सील किया जाता है। इससे बचने के लिए लोग कोरोना के लक्षण होने के बाद भी टेस्ट नहीं कराते और अपनी बीमारी को छुपाते हैं। इसके कारण कोरोना फैल रहा है।

बैंगलुरू में भी कमोबेश मुंबई जैसे ही हालात हैं। कोरोना के कुल 2300 मरीजों में से 1400 मरीज तो अकेले बेंगलुरु अर्बन में मिले हैं। इंडिया टीवी रिपोर्टर टी राघवन ने एक्सपर्ट्स, डॉक्टर्स और फिर नगर निगम के अधिकारियों से बात की। ज्यादातर लोगों ने एक ही कारण बताया और कहा कि बैंगलुरु कोरोना वायरस महाराष्ट्र और केरल से पहुंचा है। इन राज्यों से आनेवाले कई लोगों में कोरोना के लक्षण नहीं थे और इन्होंने अपने घरों में पार्टी की और सोशल गैदरिंग का हिस्सा बने, इससे पूरे शहर में वायरस फैलता चला गया। बैंगलुरु में कोरोना के 70 प्रतिशत मामले अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों में पाए गए हैं।

दिल्ली में भी यह वायरस तेजी से पांव पसार रहा है। एक हफ्ते पहले यहां प्रतिदिन कोरोना के मामले मुश्किल से 300 के करीब आ रहे थे लेकिन गुरुवार को 1500 से ज्यादा मामले सामने आए। ज्यादातर मामले ऐसे हैं जिनमें मरीजों में कोई लक्षण नहीं है। लेकिन समस्या ये है कि पहले कोरोना के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ, गले में दर्द, जुकाम, बुखार जैसे लक्षण होते थे लेकिन अब पेट दर्द, उल्टी, डायरिया जैसे लक्षणों वाले मरीज भी कोरोना पॉजिटिव निकल रहे हैं।

राजीव गांधी सुपरस्पेशयलिटी अस्पताल के निदेशक डॉ. बी एल शेरवाल का कहना है कि देश में कोरोना के नए स्‍ट्रेन के मरीज तेजी से बढ़ने लगे हैं। कोरोना के नए मामले सामने आने के साथ ही कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्‍या एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगी है। कोरोना का नया संक्रमण सीधे गले, फेफड़े और दिमाग पर असर कर रहा है, जिसके कारण मरीज में उल्‍टी, बेचैनी और पेट दर्द और डायरिया जैसी शिकायत देखने को मिल रही है।

कोरोना के तेजी से फैलने का सबसे बड़ा कारण लापरवाही है। इसकी वजह ये है कि लोगों में कोरोना का डर खत्म हो गया है। इंडिया टीवी रिपोर्टर पुनीत परिंजा ने गुरुवार को पंजाब के आनंदपुर साहिब में होला मोहल्ला के लिए आए श्रद्धालुओं से बात की। यहां बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं लेकिन न तो किसी चेहरे पर मास्क है और न कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा था। सवाल पूछने पर अधिकांश लोगों का जबाव था कि कोरोना सिर्फ अफवाह है, हकीकत में कोरोना कुछ नहीं है। इनमें से कई लोगों ने यह सवाल किया कि नेताओं की रैलियों में हजारों लोग हिस्सा लेते हैं, किसी को कोरोना हुआ क्या? इनमें से एक ने कहा- 'कोरोना सरकारी ड्रामा है।'

अब बताइए, इस बात का कोई क्या जवाब दे कि कोरोना है ही नहीं? कोई कह रहा है कि ये पॉलिटिकल चाल है। इस तरह की बातें खतरे को और बढ़ाती हैं। ये सही है कि बंगाल और असम में रैलियां हो रही हैं और कोरोना के मामले बढ़ने की खबरें वहां से नहीं आईं। लेकिन ये भी सही है कि केरल में जब रैलियां हुई तो कोरोना के तेजी से बढ़ने की खबरें आईं। कुछ लोग कह सकते हैं कि जिन लोगों को कोई दिक्कत नहीं है उनसे दूरी बनाने की क्या जरूरत? कोई ये कह सकता है कि जब वैक्सीन आ गई है तो कोरोना से डरने की क्या जरूरत है?

मैं आपसे यही कहूंगा कि कोरोना का खतरा नया और बड़ा है। इस नए खतरे के बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं है। ये नया म्यूटेशन है, दूसरी लहर है, इसलिए सावधानी बरतने की और ज्यादा जरूरत है। हमारे रिपोर्टर्स ने अपनी जान पर खेलकर इतने सारे शहरों से, हॉटस्पॉट से ये रिपोर्ट्स भेजी है ताकि लापरवाही करने वालों की आंखें खोली जा सके। आपने देखा है कि हर जगह का किस्सा अलग है। हर जगह कोरोना फैलने की वजह अलग है। लेकिन एक बात कॉमन है और वो है लापरवाही। जहां-जहां लोगों ने कोरोना वायरस को गंभीरता से नहीं लिया वहां यह तेज ऱफ्तार से फैला है। जहां लोग डर गए वहां लोग जी गए।

पूरी दुनिया मान रही है कि जब तक वैक्सीनेशन नहीं हो जाता तब तक बहुत सावधानी रखने की जरूरत है। मास्क लगाना जरूरी है। दो गज की दूरी जरुरी है। वरना, आप अपने साथ-साथ दूसरों की जिंदगी को भी खतरे में डालेंगे। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 25 मार्च, 2021 का पूरा एपिसोड

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