Wednesday, April 24, 2024
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Rajat Sharma’s Blog: कितना खतरनाक है कोरोना वायरस का डबल म्यूटेंट?

इसकी सबसे ज्यादा डराने वाली बात यह है कि कोरोना वायरस के ये डबल म्यूटेंट हमारे इम्यून सिस्टम को बाईपास कर सकते हैं, यानि हमारी प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे सकते हैं।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: March 25, 2021 16:30 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

बुधवार को भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण के 53,364 मामले सामने आए जो कि पिछले 5 महीनों में एक दिन में आए मामलों की सर्वाधिक संख्या है। इसी के साथ देश के 18 राज्यों में मिले 771 वैरिएंट्स में ‘डबल म्यूटेंट’ का पता लगने की खबरें भी सामने आई हैं। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के डायरेक्टर ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जिन राज्यों में नए मामलों में उछाल देखने को मिला है वहां एक ऐसा म्यूटेशन प्रोफाइल पाया गया है जो पिछले 6 से 8 महीनों में पाए गए मूल म्यूटेंट से अलग है।

इसकी सबसे ज्यादा डराने वाली बात यह है कि कोरोना वायरस के ये डबल म्यूटेंट हमारे इम्यून सिस्टम को बाईपास कर सकते हैं, यानि हमारी प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे सकते हैं। ये म्यूटेंट ज्यादा संक्रामक हैं और इन्हें 15 से 20 पर्सेंट सैंपल्स में पाया गया है। हैरानी की बात यह है कि अभी तक वायरस के जितने भी जीनोम सीक्वेंस डिकोड किए गए हैं, ये उनमें से किसी से भी मैच नहीं करते।

NCDC के डायरेक्टर ने बताया कि कोरोना वायरस का यह डबल म्यूटेंट महाराष्ट्र के 206 और दिल्ली के 9 सैंपल्स में मिला है। नागपुर में लगभग 20 प्रतिशत सैंपल्स में डबल म्यूटेंट पाया गया है। राज्यों और केद्र शासित प्रदेशों द्वारा साझा किए गए कुल 10,787 पॉजिटिव सैंपल्स में 771 वेरिएंट्स का पता चला है। ये डबल म्यूटेंट्स यूके, दक्षिण अफ्रीकी या ब्राजील के म्यूटेंट्स से अलग बताए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि म्यूटेंट्स का पता लगाने के लिए अब ज्यादा जीनोम सीक्वेंसिंग की जा रही है।

आसान शब्दों में कहें तो जो लोग ये समझते थे कि उनकी इम्युनिटी काफी अच्छी है, वे भी इस ‘डबल म्यूटेंट’ के हमले से सुरक्षित नहीं हैं। नया म्यूटेंट इसलिए खतरनाक है क्योंकि यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी छका सकता है, उसे चकमा दे सकता है। महाराष्ट्र के 10 में से 9 जिले इस ‘डबल म्यूटेंट’ वायरस से प्रभावित हुए हैं।

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के साथ ही मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी होती जा रही है। रोजाना होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। बुधवार को कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पूरे भारत में 248 मरीजों की जान गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कोविड-19 से होने वाली कुल मौतों में से 88 फीसदी मौतें 45 साल से अधिक के आयु वर्ग में हुई हैं। महाराष्ट्र से बुधवार को 31,855 नए मामले सामने आए हैं। पिछले साल महामारी की शुरुआत के बाद यह एक दिन में मिलने वाले मरीजों की सबसे बड़ी संख्या है। मुंबई में एक दिन में सर्वाधिक 5190 नए मामले सामने आए, जबकि मंगलवार को 3,514 नए मरीज मिले थे। गुजरात में बुधवार को एक दिन में सबसे ज्यादा 1,790 नए मामले सामने आए। दिल्ली में कोरोना के 1,254 नए मामले सामने आए और यह 18 दिसंबर के बाद से सबसे ज्यादा है।

होली, नवरात्र, शब-ए-बारात और रमजान जैसे त्योहार पास आते जा रहे हैं और इसके साथ ही इन राज्यों में सरकारों की टेंशन भी बढ़ती जा रही है। कुछ राज्य सरकारों ने होली, नवरात्र और शब-ए-बारात के मौके पर भीड़ इकट्ठा होने पर रोक लगा दी है। हालात को देखते हुए महाराष्ट्र के बीड में 26 मार्च से 4 अप्रैल तक लॉकडाउन का ऐलान हो गया है। इसी तरह नांदेड़ जिले में भी नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है।

हालांकि कोरोना के बढ़ते मामलों से ‘डबल म्यूटेंट’ को जोड़ना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन जो संकेत मिल रहे हैं वे ठीक नहीं हैं। लोगों के बीच आधारहीन अफवाहें भी फैल रही हैं और कहा जा रहा है कि कोविशील्ड हो या कोवैक्सीन, कोरोना के बदले हुए रूप पर इन दोनों टीकों का असर नहीं होगा।

मैं पूछना चाहता हूं: वायरस के जिस ‘डबल म्यूटेंट’ वैरिएंट का पता अभी चला है, जिसके व्यवहार के बारे में वैज्ञानिकों के पास भी जानकारी नहीं है, उसके बारे में कोई ये कैसे कह सकता है कि वैक्सीन उस पर असर करेगी या नहीं?

अफवाहों पर यकीन न करें। केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि फिलहाल कोरोना के खिलाफ जंग जीतने के 3 ही मंत्र हैं, पहला टेस्टिंग, दूसरा मास्क और तीसरा वैक्सीनेशन। टेस्टिंग जितनी ज्यादा बढ़ाई जाएगी, कोरोना को रोकना सरकार के लिए उतना ही आसान होगा। लोग मास्क लगाएंगे, सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करेंगे, तो कोरोना से बचे रहेंगे। और जहां तक वैक्सीनेशन का सवाल है सरकार ने ये ऐलान तो कर ही दिया है कि अब 1 अप्रैल से 45 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन दी जाएगी। बुधवार को सरकार ने ये भी क्लीयर कर दिया कि कोरोना का पुराना वैरिएंट हो या फिर नया, वैक्सीन सभी वैरिएंट्स पर असर करेगी।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉक्टर वीके पॉल के मुताबिक, वायरस में म्यूटेशन नैचुरल है। उन्होंने कहा कि वायरस अपना रूप बदलता है और यह कोई नई बात नहीं है। डॉ. पॉल ने बताया कि जब तक वायरस म्यूटेट नहीं करेगा, तब तक इसके असर का पता नहीं चलेगा और यह जानकारी नहीं मिल पाएगी कि इसका कौन-सा वैरिएंट, कौन-सा स्ट्रेन इंसान के लिए ज्यादा घातक साबित होगा। उन्होंने कहा कि लेकिन सबसे अच्छा तो यह है कि वायरस को अपने पास ही न आने दिया जाए, इसे पहले ही दबा दिया जाए।

इस वक्त जरूरी है कि हम सभी कोविड से जुड़े दिशानिर्देशों का पालन करें, घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें, भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहें, सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखें और अपना नंबर आने पर वैक्सीन जरूर लगवाएं। वायरस से खुद को बचाने के सिर्फ यही तरीके हैं। इस महामारी से खुद को बचाने के लिए हम सभी को हाथ से हाथ मिलाकर चलना होगा।

त्योहार हम बाद में भी मना सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ी प्राथमिकता भीड़भाड़ इकट्ठा न होने देने और महामारी से लड़ने की है। होली और ईद तो हम अगले साल भी मना सकते हैं, बशर्ते इस वायरस से खुद को बचाए रखें। यदि सरकार होली पर पाबंदी लगाती है, तो इसे हिंदू विरोधी बताया जाता है, और अगर यह शब-ए-बारात पर पाबंदी लगाती है, तो सरकार को मुस्लिम विरोधी बताया जाता है। एक दूसरे के खिलाफ धार्मिक आधार पर इस तरह के आरोप लगाने से हमें बचना होगा। समाज और धर्म के ऐसे नेताओं से दूर रहें जो आपकी भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर सकते हैं।

दूसरी बात ये कि चूंकि 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को 'सुपर स्प्रेडर्स' माना जाता है, इसलिए उन्हें एक अप्रैल के बाद वैक्सन जरूर लगवा लेनी चाहिए। यदि आपकी उम्र 60 साल से ज्यादा है तो आप तुरंत टीका लगवाएं। केवल वैक्सीन ही कोरोना के खिलाफ आपके लिए एक ढाल का काम करेगी।

यह सच है कि महामारी को आए हुए एक साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन आज भी पूरी दुनिया में इस वायरस को लेकर सबसे बड़ी प्रॉब्लम है ये है कि इसको लेकर कोई क्लैरिटी नहीं है। यह कहां से आया? कैसे फैलता है? इससे बचने का फूलप्रूफ तरीका क्या है? क्या वैक्सीनेशन कोरोना को रोक सकता है? कितने दिन तक रोक सकता है? इन सारे सवालों का आज तक कोई साफ जवाब नहीं मिल पया है। एक साल से भी ज्यादा समय बीत चुका है लेकिन आज भी बड़े-बड़े एक्सपर्ट कोरोना वायरस को लेकर सवालों के जवाब नहीं दे पाते।

आज भी कोई शख्स कोरोना वायरस से संक्रमित होता है तो हम ढूंढते रहते हैं कि इन्फेक्शन आया कहां से। मैं ऐसे कितने लोगों को जानता हूं जो साल भर घर से नहीं निकले, किसी से नहीं मिले, भीड़ में नहीं गए, पार्टी में नहीं गए लेकिन कोरोना वायरस के शिकार हो गए। और मैंने ऐसे लोग भी देखे हैं जो लापरवाह हैं, बाजार में भी जाते हैं, पार्टियों में भी जाते हैं लेकिन कोरोना से बचे हुए हैं।

अब अगर कोरोना वायरस का संक्रमण भीड़ से फैलता है, तो हम हर रोज बंगाल, असम और दक्षिण भारतीय राज्यों में चुनाव की रैलियां देखते हैं, लेकिन इनमें से किसी भी राज्य में कोरोना के मामलों में खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। पिछले 4 महीनों से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर हजारों की संख्या में बैठे हैं, लेकिन कोरोना वहां भी नहीं फैला। और कई जगह शादी में 100 लोग इकट्ठा हुए और उनमें से अधिकांश संक्रमित हो गए।

लक्षणों की बात करें, तो इसे लेकर भी कुछ साफ नहीं है। कई ऐसे लोग जिनमें खांसी और बुखार जैसे कोरोना के लक्षण दिखाई दिए, जांच होने के बाद उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई। वहीं, कई ऐसे लोग भी हैं जिनमें कोविड का कोई लक्षण नहीं था, लेकिन पॉजिटिव पाए गए। मैं ऐसे कितने लोगों को जानता हूं जिन्हें इंफेक्शन हुआ, और वे ठीक हो गए, लेकिन 14 दिन बाद रिपोर्ट आई तो पॉजिटिव दिखाया। डॉक्टर कहते हैं कि यह डेड वायरस है, टेस्ट में रिफ्लेक्ट करेगा लेकिन खतरे की कोई बात नहीं होती।

यही बात वैक्सीनेशन पर भी लागू होती है। कोई पूरे यकीन के साथ नहीं बता पा रहा है कि वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना हो सकता है या नहीं। कुछ लोग कहते थे कि चीनी टीका सबसे ज्यादा असरदार है क्योंकि वायरस चीन से आया था। लेकिन चीन में बनी वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद इमरान खान को वायरस ने पकड़ लिया। बुधवार को बॉलीवुड स्टार आमिर खान के भी कोरोना संक्रमित होने की खबर मिली। महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे तो दोबारा कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कोई इस बात को पूरे यकीन से कह सकता है कि वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद उसे कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं होगा? विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी गारंटी कोई नहीं दे सकता। इस बारे में सिर्फ इतना कहा जा सकता है कि वैक्सीनेशन के बाद वायरस के संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।

एक ऐसा वायरस जो इतना चालाक है, इतने रूप बदलता है, उससे लड़ाई लड़ना बेहद ही चुनौतीपूर्ण काम है। इसीलिए सबसे जरूरी चीज है वायरस से खुद की सुरक्षा। मास्क लगाएं, हाथों को नियमित अंतराल पर धोएं, भीड़भाड़ वाली जगहों से दूरी बनाए रखें, और अपना नंबर आने पर वैक्सीन जरूर लगवाएं। यही आपके और आपके परिवार के बचाव का एकलौता तरीका है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 24 मार्च, 2021 का पूरा एपिसोड

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