Thursday, April 25, 2024
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Rajat Sharma’s Blog: दिल्ली के दंगे, अजित डोवल की हिम्मत और डोनाल्ड ट्रंप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने वाले यह मानकर बैठे थे कि ट्रंप के साथ मौजूद अंतरराष्ट्रीय मीडिया हिंसा का संज्ञान लेगा और भारत के दुश्मनों को मौका देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति सीएए के मुद्दे पर बयान दे देंगे।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: February 27, 2020 14:58 IST
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India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma | India TV

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने जिस तरह से उत्तर पूर्वी दिल्ली में बढ़ती जा रही सांप्रदायिक हिंसा को काबू में किया, उसके लिए वह प्रशंसा के पात्र हैं। डोवल को दिल्ली में दंगों को नियंत्रित करने के लिए भेजने का फैसला उच्चतम स्तर पर तभी ले लिया गया था जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दिल्ली से अपने देश के लिए रवाना भी नहीं हुए थे। डोवल ने लगभग पूरी रात ग्राउंड जीरो में बिताई, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से बात की और शांति बहाल करने के लिए हिंसा से बुरी तरह प्रभावित सीलमपुर, जाफराबाद, मौजपुर और गोकुलपुरी में स्थानीय समुदाय के नेताओं के साथ बातचीत की।

वह बुधवार की दोपहर में एक बार फिर दंगा प्रभावित इलाकों में वापस गए थे। डोवल ने आवासीय इलाकों का दौरा किया, लोगों के दरवाजे पर जाकर उनसे बात की और गलियों में आम लोगों को आश्वासन दिया कि वे अब सुरक्षित हैं। वह गलियों में जिनसे भी मिले, उनसे यही कहा कि ‘जो हुआ सो हुआ, अब यहां शांति होगी।’ डोवल राजनेता नहीं हैं, वह देश के वरिष्ठतम नौकरशाहों में से एक हैं। वह चाहते तो अपने एयर कंडीशन्ड कमरे में बैठकर रणनीति बना सकते थे, इंस्ट्रक्शन दे सकते थे, लेकिन उन्होंने खतरा उठाकर दंगा प्रभावित इलाके के लोगों को मैसेज दिया।

पहले उन्होंने स्थिति का सटीक आकलन करने के लिए देर रात हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया, पुलिस बल का उत्साह बढ़ाया और समुदायों के स्थानीय नेताओं को शांति स्थापित किए जाने का भरोसा दिलाया। अगले दिन इसका नतीजा भी देखने को मिला। इन इलाकों में तनावपूर्ण शांति के बावजूद कहीं हिंसा नहीं हुई। दंगा प्रभावित इलाकों में जाकर डोवल ने लोगों को साफ संदेश दिया कि उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों, दोनों से मुलाकात की और उनकी तकलीफों को सुना।

इसके साथ ही डोवल के दौरे ने पुलिस के गिरे हुए मनोबल को भी उठाया जो पिछले 3 दिनों से लगातार सांप्रदायिक हिंसा से जूझ रही थी। डोवल ने पुलिस को यह संदेश दिया कि वह ऐसे हालात में अपने दफ्तर में बैठने में यकीन नहीं रखते जब पुलिसवाले सड़कों पर गुंडों से मुकाबला कर रहे हों। एक हेड कांस्टेबल को अपनी जान गंवानी पड़ी, इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक कर्मचारी की हत्या करके उनके शव को एक नाले में फेंक दिया गया और पुलिसकर्मियों पर एसिड बम फेंके गए। हिंसा के ऐसे माहौल में डोवल ने बगैर हेलमेट और बुलेटप्रूफ जैकेट पहने दौरा करने की हिम्मत दिखाई। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को एक हिम्मती नेतृत्व की जरूरत थी जो उन्हें सही दिशा दे सके, और डोवल ने यह काम बखूबी किया।

अब यह बात सामने आ गई है कि दिल्ली में हुई हिंसा अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान व्यापक अशांति पैदा करने की एक पूर्वनियोजित साजिश का हिस्सा थी। यह हिंसा अचानक नहीं भड़की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने वाले यह मानकर बैठे थे कि ट्रंप के साथ मौजूद अंतरराष्ट्रीय मीडिया हिंसा का संज्ञान लेगा और भारत के दुश्मनों को मौका देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति सीएए के मुद्दे पर बयान दे देंगे। लेकिन ट्रंप ने सीएए के मुद्दे पर बोलना जरूरी नहीं समझा और कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा करते हैं करते हैं जो समाज के सभी वर्गों को अपने साथ लेकर चलते हैं।

कश्मीर के मुद्दे पर भी ट्रंप ने संभलकर बात की और पाकिस्तान एवं उसके प्रधानमंत्री इमरान खान को निराश किया। एक पल के लिए यह मत सोचिएगा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने कोई विपरीत बयान इसलिए नहीं दिया कि वह अपने स्वागत में उमड़ी लाखों की भीड़ से प्रभावित हो गए थे। असल में ट्रंप ने इन सब बातों पर मोदी से चर्चा की और वह इस बात से कन्विंस हुए कि मोदी की नीति और नीयत में कोई खोट नहीं है। और ये बताने की जरूरत नहीं कि डोनाल्ड ट्रंप जैसे बेबाकी से बोलने वाले लीडर को कन्विंस करना कोई आसान काम नहीं है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 26 फरवरी 2020 का पूरा एपिसोड

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