Friday, April 19, 2024
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Rajat Sharma’s Blog: BMC ने मुंबईकरों के लिए बिछाए हैं मौत के फंदे

शिवसेना के हाथ में इस समय BMC की बागडोर है और महाराष्ट्र सरकार की भी। क्या मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सुन रहे हैं? क्या वह 12 साल के यश और 2.5 साल की ध्वनि को न्याय दिला पाएंगे?

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: October 07, 2020 17:53 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

शनिवार (3 अक्टूबर) की शाम मुंबई में तेज़ बारिश हो रही थी और कई इलाकों में पानी भर गया था। घाटकोपर के पास शिवाजी नगर स्थित आशापुरा सोसाइटी में रहनेवाली 32 साल की एक गृहिणी शीतल भानुशाली, पास की आटा चक्की से आटा लाने के लिए अपने घर से बाहर निकली । शीतल का 8 साल का बेटा यश भी उनके साथ जाना चाहता था, लेकिन बारिश के चलते वह उसे साथ नहीं ले गईं और चॉकलेट देकर घर पर ही रुकने के लिए मना लिया। इसके बाद शीतल कभी नहीं लौटीं। उनका बैग एक खुले मैनहोल के पास पड़ा मिला। नाले के पानी के तेज बहाव के मैनहोल का फाइबर कवर उखड़ गया था।

कई घंटे की खोजबनीन के बाद शीतल के पति जीतेश ने घाटकोपर थाने में शीतल के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई। जीतेश एक कपड़े की दुकान में काम करते हैं। इसके बाद पुलिस और फायर ब्रिगेड ने शीतल की तलाश शुरू की। घाटकोपर थाने के एक सब-इंस्पेक्टर ने कहा, 'हमने 200 मीटर के दायरे में सभी नालों की तलाशी ली, लेकिन महिला का कुछ पता नहीं चला।’ इसके बाद तारदेव, कुर्ला, साकी नाका, बांद्रा और माहिम तक शीतल की तलाश की गई जहां से सीवेज लाइन जुड़ी हुई है। करीब 34 घंटे के बाद सोमवार को तड़के 3 बजे तारदेव पुलिस ने बताया कि शीतल का शव हाजी अली की दरगाह के पास समंदर में तैरता हुआ मिला है।

इस मामले में जब बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की तरफ उंगलियां उठीं तो वह तुरंत बचाव की मुद्रा में आ गया। पहले तो बीएमसी ने डिप्टी कमिश्नर स्तर के अधिकारी को 15 दिनों के भीतर जिम्मेदारी तय करने के लिए कहा, लेकिन इसी बीच BMC के अधिकारियों ने यह भी कहना शुरू कर दिया कि मामला संदिग्ध लग रहा है। BMC के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'महिला की लाश माहिम में मिलनी चाहिए थी क्योंकि घाटकोपर ड्रेनेज लाइन असल्फा (शीतल के इलाके) से होकर गुजरती है और मीठी नदी में जाकर खत्म होती है। हमें यह घटना थोड़ी संदिग्ध लग रही है और हम विस्तार से जांच कर रहे हैं।'

भानुशाली के परिवार का कहना है कि BMC ने हाल ही में कंक्रीट के मैनहोल कवर को हटाकर हल्के फाइबर से बना कवर लगाया था, जो बारिश के दौरान पानी के तेज बहाव को नहीं झेल सकता। BYL नायर अस्पताल की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया कि महिला की मौत डूबने से हुई। मुंबई जैसे बड़े महानगर में यह डूबने की एक छोटी सी घटना हो सकती है, लेकिन मेरी आंखों के सामने शीतल की झाई साल की बेटी की तस्वीरें घूम रही है, जो बार बार पूछ रही है कि मम्मी कहां है। इस समय  यह बच्ची अपनी दादी की देखरेख में है। मैं पूछना चाहता हूं कि इन दो बेगुनाह बच्चों की मां की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है। क्या शीतल मुंबई नगर निगम की संवेदनहीन व्यवस्था की शिकार नहीं हुईं ? बीएमसी आखिर भारत का सबसे अमीर नगर निगम है, जिसके पास पैसे की कोई कमी नहीं है।

शीतल की बेटी ध्वनि के इस तड़पते सवाल का जवाब आखिर कौन देगा, 'मेरी मम्मी कहां है?' शीतल का 8 साल का बेटा यश खामोश है। वह जानता है कि उसकी मां अब इस दुनिया में नहीं रहीं, और वह अपने पापा को किसी भी तरह से परेशान नहीं करना चाहता, इसलिए वह इन दिनों चुप रहता है।

मैंने अपने रिपोर्टर्स को शीतल के घर, उसके इलाके और हाजी अली के पास समंदर के किनारे भेजा। शीतल के घर के पास वह गली मुश्किल से 3 फीट चौड़ी है, और मैनहोल पर एक फाइवर कवर लगा हुआ  था। पड़ोसियों के मुताबिक, शनिवार की शाम बारिश के दौरान पानी के दबाव के कारण ये कवर अपनी जगह से हट गया था। हैरानी की बात यह है कि शीतल अपने घर के पास मैनहोल के अंदर गिरीं और उनकी लाश 20 से 25 किलोमीटर दूर समंदर में बहती मिली।

BMC के अधिकारियों का कहना है कि यह सीवर लाइन समंदर में जाकर नहीं मिलती। साफ है कि BMC अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है। शीतल के इस इलाके में रहने वालों ने BMC से पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की मांग की है, लेकिन मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर का कुछ और ही मानना है।

पेडनेकर का तर्क यह है कि कोई लाश ड्रैनेज सिस्टम से बहकर समंदर तक कैसे पहुंच सकती है जबकि वह लाइन समंदर में मिलती ही नहीं। पेडनेकर का दावा है कि ड्रेनेज सिस्टम के अंदर बह रहे कूड़े को रोकने के लिए लोहे के जाल लगाए गए हैं। मेयर पूछ रही हैं कि ऐसे में महिला की लाश बहकर समंदर तक कैसे पहुंच सकती है। जहां तक मैनहोल के ढक्कन खुले होने का सवाल है, पेडनेकर का कहना है कि हर बार BMC को दोष देना ठीक नहीं हैं, क्योंकि कई बार लोग अपने घरों के पास जाम सीवर को खोलने के लिए खुद ही ढक्कन हटा देते हैं और फिर मैनहोल को खुला छोड़ देते हैं।

मैं मुंबई की मेयर को याद दिलाना चाहता हूं कि 29 अगस्त 2017 को मुंबई के जाने-माने गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर दीपक अमरापुरकर की मौत भी ऐसे ही हुई। तेज़ बारिश के कारण जलभराव होने से डॉक्टर अमरापुरकर  एल्फिंस्टन रोड इलाके में फंसी अपनी कार से बाहर निकले, और छाता लेकर पैदल आगे बढ़े। इसी दौरान वह एक खुले मैनहोल में गिर गए। बाद में मैनहोल के पास उनकी छतरी पड़ी मिली। डॉक्टर अमरापुरकर की लाश 2 दिन बाद वर्ली में मिली।

29 जुलाई, 2019 को 2 साल का बालक दिव्यांश गोरेगांव ईस्ट में एक खुले मैनहोल में गिर गया था। पुलिस, फायर ब्रिगेड और NDRF की टीमों ने गोरेगांव और वेस्टर्न रेलवे के ट्रैक के नीचे से लेकर मलाड की खाड़ी के सीवर तक काफी तलाशी ली लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद दिव्यांश का शव नहीं मिला। इस घटना के एक हफ्ते बाद बीएमसी ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि उस मैनहोल कवर को कुछ कूड़ा बीनने वालों ने चुरा लिया था।

मैंने मंगलवार को अपने एक रिपोर्टर को सांताक्रूज भेजा। उन्हें सेंट लॉरेंस स्कूल के सामने सड़क के ठीक बीचोंबीच एक खुला मैनहोल दिखा। मैनहोल पर कवर लगाने के लिए बीएमसी स्टाफ ने कोई कोशिश नहीं की। लोगों को खतरे से आगाह करने के लिए वे मौके पर सिर्फ लकड़ी का एक टुकड़ा रखकर चले गए।

साफ है कि BMC के अधिकारी पिछली गलतियों से सीखने को तैयार नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि BMC के पास पैसे की कमी है। इसका सालाना बजट लगभग 30,000 करोड़ रुपये का है। हर साल BMC नालों की सफाई का सैकड़ों करोड़ रुपये का टेंडर जारी करती है। हर साल BMC खुले सीवर को ढकने का दावा करती है। हर साल सड़कों के गड्ढे भरने के लिए करोड़ों रुपये का टेंडर जारी किया जाता है। हर साल बीएमसी दावा करती है कि उसने सभी खुले मैनहोल्स पर कवर लगाने की व्यवस्था की है, लेकिन ये काम कब शुरू होते हैं और कब खत्म हो जाते हैं, कोई नहीं जानता। यह भी कोई नहीं जानता कि पैसा किसकी जेब में जाता है।

सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर मैनहोल को प्लास्टिक के हल्के कवर से बंद करने का सुझाव BMC को किसने दिया। अगर वाकई में मुबंई में सारे मेनहोल पर अब कंक्रीट की बजाए प्लास्टिक ढक्कन रखे जा रहे हैं, तो ये आम मुंबईकर के लिए चिंता और डर की बात है। तेज़ बारिश के समय प्लास्टिक के ये ढक्कन पानी के प्रेशर से हट जाते हैं। ऐसे में इस तरह के हादसे होते रहेंगे और लोग खुले गटर में गिरते रहेंगे।

शिवसेना के हाथ में इस समय BMC की बागडोर है और महाराष्ट्र सरकार की भी। क्या मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सुन रहे हैं? क्या वह 12 साल के यश और 2.5 साल की ध्वनि को न्याय दिला पाएंगे? क्या अब BMC अब अपनी नींद से जागकर सभी मैनहोल्स पर कंक्रीट के कवर लगाएगी, और यह सुनिश्चित करेगी कि इसमें गिरकर किसी की जान न जाए। मुझे इन सवालों के जवाब का इंतजार है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 06 अक्टूबर, 2020 का पूरा एपिसोड

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