Friday, April 19, 2024
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Rajat Sharma's Blog: संवेदनहीन हाथरस पुलिस ने रात को ही कर दिया अंतिम संस्कार

मेरा मानना है कि यदि पुलिस ने शुरू से ही सच बोला होता तो यह मामला हाथ से नहीं निकला होता। पुलिस एक के बाद एक झूठ बोलती जा रही थी और किसी तरह मामले को दबाने की कोशिश कर रही थी।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: October 01, 2020 19:06 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

हाथरस पुलिस ने मंगलवार की रात अपना झूठ छिपाने के लिए जो हरकत की उसे देखकर मेरा दिल दुख, गुस्से और दर्द से भर गया है। दुख इस बात का है कि जिस 19 साल की लड़की को टॉर्चर किया गया, उसका गैंगरेप किया गया, वह अब हमारे बीच नहीं है। और गुस्सा इस बात का है कि हाथरस पुलिस ने किस तरह लड़की के परिवार के सदस्यों की अनुपस्थिति के बावजूद जल्दबाजी में दाह संस्कार किया और साथ ही मानवता के बुनियादी मूल्यों की भी चिता जला दी।

मंगलवार की रात 2.40 बजे पुलिस ने गरीब दलित परिवार के गांव में पुलिस ने जल्दबाजी में सिर्फ गैंगरेप पीड़िता के शव का दाह संस्कार नहीं किया, बल्कि उसके साथ वर्दी की इज्जत, नियम कानून और मानवीय संवेदनाओं को भी चिता में झोंक दिया। यह सब जलती चिता को चुपचाप देख रहे ग्रामीणों के सामने अपनी वर्दी के पूरे रौब, पूरी धौंस के साथ किया गया।

दलित माता-पिता और पीड़िता के भाई आखिर तक पुलिस अधिकारियों से गुहार लगाते रहे कि उन्हें लड़की का अंतिम संस्कार हिंदू मान्यताओँ के मुताबिक सुबह करने की इजाजत दी जाए ताकि रिश्तेदार उसके अंतिम दर्शन कर सकें, लेकिन पुलिस अफसरों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। वे साफ तौर पर अंतिम संस्कार की जल्दबाजी में थे ताकि वे 2 हफ्तों से जिस झूठ को छिपा रहे थे, उसे हमेशा के लिए दफनाया जा सके।  

जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में सैकड़ों पुलिसकर्मी श्मशान घाट में इकट्ठा हुए और पीड़िता के शव को चिता पर रख दिया। कुछ गांव वाले जो लड़की का चेहरा देखने के लिए जोर लगा रहे थे, उन्हें पुलिस वालों ने धमकी देते हुए यह डायलॉग मारा कि ‘ज्यादा बोले तो टपका दूंगा’। यह धमकी कैमरे पर रिकॉर्ड हो गई थी।  

प्रशासन के लिए मेरा सीधा सवाल है: उस लड़की ने कौन-सा गुनाह किया था जिसके चलते डीएम ने आदेश दिया कि रात को ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाए? क्या वह अनाथ थी? क्या वह बेसहारा थी? यहां तक कि खूंखार आतंकवादियों का अंतिम संस्कार भी पूरी गरिमा के साथ किया जाता है, उनके परिवार के सदस्यों को अंतिम दर्शन के लिए बुलाया जाता है, लेकिन हाथरस पुलिस ने पीड़िता की लाश और उसके परिवार के सदस्यों का जरा भी सम्मान नहीं किया। उन्होंने पीड़ित के माता-पिता और भाई पर कोई रहम नहीं किया। लड़की के पिता को एक पुलिसवाले ने लात मारी थी, जबकि एक अन्य पुलिसकर्मी घर के अंदर उसके भाई की पिटाई की थी। कारण: वे जोर दे रहे थे कि शव का अंतिम संस्कार सुबह किया जाए।

पुलिस अधिकारी पीड़िता के शव को जबरन उसके घर से श्मशान घाट ले गए थे और बाद में दावा किया कि दाह संस्कार ‘परिवार के सदस्यों की सहमति से’ किया गया था। इस सफेद झूठ से ज्यादा शर्मनाक कुछ भी नहीं हो सकता।

बुधवार की रात को अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में मैंने दिखाया था कि लड़की के माता-पिता ने पुलिस अधिकारियों के सामने कैसे गुहार लगाई और अधिकारियों ने परिवार के सदस्यों को क्या जवाब दिए। स्थानीय प्रशासन का रवैया अक्खड़ और अहंकारी साबित करने के लिए और ज्यादा सबूतों की जरूरत नहीं है। मैंने दिखाया कि कैसे पीड़िता के पिता डीएम के सामने गिड़गिड़ा रहे थे कि उनके परिवार को लड़की का अंतिम दर्शन करने की इजाजत दी जाए, और डीएम ने जवाब दिया कि वह उन्हें इसकी इजाजत देंगे लेकिन अंतिम संस्कार तुरंत करना होगा। कोई वरिष्ठ अफसर इतना क्रूर और बेदर्द कैसे हो सकता है कि वह पीड़िता के पिता को 'गांववालों के चक्कर में न पड़ने' की बात कहे।

एक ऐसे समय में जबकि पूरा देश पीड़ित परिवार के दुख में उसके साथ खड़ा है, स्थानीय प्रशासन, जिसे इस परिवार की मदद करनी चाहिए और उसे इंसाफ दिलाना चाहिए, वही निष्ठुरता दिखा रहा है। मैं तो इसे 'अंतिम संस्कार' भी नहीं कहूंगा क्योंकि हिंदू धार्मिक परंपराओं के मुताबिक सूर्यास्त के बाद किसी शव को मुखाग्नि नहीं दी जाती है। जब लड़की की चिता जलाई गई तो वहां रोने के लिए परिवार का कोई भी सदस्य नहीं था। चिता के पास सिर्फ भारी संख्या में पुलिसबल तैनात था, वह भी पूरी बैरिकेडिंग के सथ, और रात के खौफनाक सन्नाटे में पीड़िता की लाश राख में बदल गई।

इंडिया टीवी के रिपोर्टर आनंद पांडे मंगलवार की रात मीडिया को रोकने के लिए की गई पुलिस की बैरिकेडिंग लगने से पहले ही लड़की के घर पर पहुंचने में कामयाब रहे थे। अपने शो में मैंने दिखाया कि कैसे लड़की की मां के साथ अन्य महिलाएं शव को सीधे श्मशान घाट ले जाने से रोकने के लिए पुलिस की एम्बुलेंस के सामने खड़ी थीं। महिलाएं मांग कर रही थीं कि शव को पहले लड़की के घर ले जाया जाए, लेकिन पुलिसकर्मी अपनी बात पर अड़े थे। इसके बाद महिला पुलिस कॉन्स्टेबल्स को बुलाया गया और उन्हें एम्बुलेंस के सामने जमीन पर बैठी महिलाओं को हटाने के लिए कहा गया। वहीं, पुरुषों को वहां से हटाने का काम पुलिसवालों के डंडों ने किया।

चूंकि अफसरों को मालूम था कि वे जो कर रहे हैं, वह ठीक नहीं हैं, गांव वाले नाराज हैं, इसलिए अफसर खुद हैलमेट पहन कर पहुंचे। उन्होंने पहुंचते ही जोर देकर कहा कि अंतिम संस्कार तुरंत होगा, लेकिन महिलाओं का कहना था कि पीड़िता के शव को कम से कम अंतिम दर्शन के लिए उसके घर ले जाया जाना चाहिए। बहुत जिद करने के बाद एम्बुलेंस को लड़की के घर ले जाया गया लेकिन एक नया विवाद पैदा हो गया। पुलिस की तरफ से कहा गया कि जितनी जल्दी हो सके अंतिम संस्कार की रीति पूरी करनी है लेकिन घरवालों का कहना था कि अंतिम संस्कार रात को नहीं बल्कि सुबह किया जाएगा। लड़की के घरवालों का कहना था कि उन्होंने डेड बॉडी को रखने के इंतजाम किए हैं। उन्होंने कहा कि बर्फ की सिल्ली लाकर घर में रखी है जिससे शव खराब ना हो, लेकिन पुलिस डेडबॉडी सौंपने के लिए तैयार नहीं हुई। जब बात नहीं बनी तो पुलिसवाले एम्बुलेंस को लेकर सीधे श्मशान पहुंच गए।

पुलिस वाले लड़की की डेडबॉडी को तो श्मशान लेकर चले गए, लेकिन यहां एक और समस्या पैदा हुई कि परिवार के सदस्यों की अनुपस्थिति में शव का दाह संस्कार कैसे किया जाए। इसक बाद लड़की के चाचा और उसके दादा को पुलिस की जीप में जबरन श्मशान घाट लाया गया। पुलिस अधिकारियों ने परिवार के सदस्यों को श्मशान घाट आने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने घरवनालों ने साफ कर दिया कि वे रात को चिता नहीं जलाएंगे। इसके बाद पुलिस और परिवार के सदस्यों के बीच काफी बहस हुई। इसी बीच एक पुलिसकर्मी ने लड़की के पिता को लात मार दी, और दूसरे पुलिसकर्मी ने उसके भाई की पिटाई शुरू कर दी।

अपने शो में मैंने दिखाया था कि कैसे पुलिसवाले परिवार के सदस्यों को पुलिस की जीप में जबर्दस्ती ले जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन लड़की के परिजन इसके लिए तैयार नहीं थे। इसके बाद लड़की के घरवाले किसी तरह पुलिसवालों से बचकर घर के अंदर चले गए और आंगन का गेट बंद कर दिया। फिर पुलिसवाले भी वाहं से चले गए और परिवार वालों की गैरमौजूदगी में ही अंतिम संस्कार कर दिया। लड़की के घरवालों पर पुलिस का खौफ ऐसा था कि वे रात भर घर से बाहर नहीं निकले। और इस तरह एक गैंगरेप पीड़िता का रात के अंधेरे में अंतिम संस्कार कर दिया गया। हाल के दिनों में पुलिस और प्रशासन की बेदर्दी की, असंवेदनशीलता की ऐसी तस्वीर आज से पहले न ही किसी ने देखी होगी और न ही सुनी होगी।

हाथरस के डीएम का यह दावा कि पीड़िता के परिवार की सहमति लेने के बाद ही उसका अंतिम संस्कार किया गया, एक सफेद झूठ है। लड़की की मां और भाई ने इंडिया टीवी को कैमरे पर बताया कि उन्हें जबर्दस्ती श्मशान घाट ले जाया जा रहा था, लेकिन उन्होंने इसका विरोध किया और खुद को घर में बंद कर लिया। लड़की की मां ने कहा कि परिवार के लोगों की पुलिसवालों ने पिटाई भी की थी।

जल्दबाजी में दाह संस्कार के पीछे एकमात्र कारण यह था कि स्थानीय प्रशासन इस मामले को जल्द से जल्द निपटाना चाहता था। पुलिस अधिकारियों को डर था कि यदि मीडिया की मौजूदगी में सुबह दाह संस्कार हुआ तो मामला हाथ से निकल जाएगा। स्थानीय प्रशासन गैंगरेप की घटना के बाद पुलिस से हुई गलतियों और उसके द्वारा कहे गए झूठ पर पर्दा डालना चाहता था। पुलिस साफ तौर पर मीडिया के सवालों का सामना नहीं करना चाहती थी। लेकिन वे जाहिर तौर पर यह भूल गए कि टीवी न्यूज चैनलों के स्टाफ रात को सोते नहीं हैं और उन्होंने लड़की के घर के अंदर होने वाले सारे ड्रामे को रिकॉर्ड कर लिया है।

मेरा मानना है कि यदि पुलिस ने शुरू से ही सच बोला होता तो यह मामला हाथ से नहीं निकला होता। पुलिस एक के बाद एक झूठ बोलती जा रही थी और किसी तरह मामले को दबाने की कोशिश कर रही थी। यदि पुलिस ने शुरू में ही उचित कार्रवाई की होती तो संभव है कि लड़की की जान भी बच जाती। 

पुलिस ने पहला झूठ बोला कि लड़की के साथ गैंगरेप नहीं यौन उत्पीड़न हुआ था। दूसरा झूठ बोला कि घटना में सिर्फ एक आरोपी शामिल था। तीसरा झूठ बोला कि उसकी रीढ़ की हड्डी में चोट नहीं लगी थी। चौथा झूठ बोला कि उसकी जीभ नहीं काटी गई। पांचवां झूठ बोला कि उसका इलाज ठीक से हो रहा था। और बुधवार को पुलिस ने आखिरी झूठ बोला कि रात में लड़की का अंतिम संस्कार उसके परिवार वालों की रजामंदी के साथ हुआ।

अब जो परिवार इतने सारे झूठों का सामना कर चुके हैं कि उसे कैसे भरोसा होगा कि स्थानीय पुलिस उन्हें इंसाफ दिलाएगी। उस परिवार को कैसे भरोसा होगा कि यही पुलिस हत्यारों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने का केस बनाएगी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस बात का एहसास हो गया था कि कि उनके राजनैतिक विरोधी इस मामले का फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं, क्योंकि चारों आरोपी राजपूत बिरादरी के हैं जबकि पीड़ता दलित समुदाय से ताल्लुक रखती है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस द्वारा बोले गए झूठ अंततः योगी को ही नुकसान पहुंचाएंगे।

योगी आदित्यनाथ ने लड़की के पिता से फोन पर बात की, 25 लाख रुपये की मदद देने का ऐलान किया, साथ ही एक घर और परिवार के एक सदस्य को नौकरी का भी वादा किया। लेकिन मुझे लगता है कि हालात को देखते हुए इतना काफी नहीं है। योगी आदित्यनाथ को लड़की के परिवार को, देश की जनता को भरोसा दिलाना होगा कि सरकार हत्यारों को फांसी के फंदे तक पहुंचाएगी। पुलिस अच्छी तरह केस तैयार करेगी, इसको लड़ने के लिए बड़े वकीलों को हायर किया जाएगा, और अदालत में टाइमबाउंड तरीके से जल्दी फैसला करने का निवेदन किया जाएगा। सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि फास्ट ट्रैक कोर्ट इस मामले में निश्चित समय-सीमा के भीतर इंसाफ करे। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 30 सितंबर, 2020 का पूरा एपिसोड

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