Friday, March 29, 2024
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Rajat Sharma’s Blog: भारत की कड़ी निगरानी के बीच चीन लद्दाख से जितनी जल्दी जाए उतना बेहतर होगा

चीन को साफ-साफ कहा गया कि वह अपने सैनिकों को अप्रैल 2020 की पोजिशन में वापस ले, जिसे चीनी सेना ने मान लिया। जो लोग चीनी सेना के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, उनका मानना है कि चीन को सख्त तेवर दिखाने की जरूरत है।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: June 24, 2020 13:42 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

भारत और चीन ने मंगलवार को लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से धीरे-धीरे पीछे हटने पर इस उम्मीद के साथ सहमति व्यक्त की कि इसके बाद दोनों पक्षों द्वारा जल्द ही सैनिकों की तैनाती में कमी आएगी। 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और साउथ शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के चीफ मेजर जनरल लियू लिन के बीच 15 घंटे की लंबी बैठक के बाद यह तय हुआ। अब आगे देखना है कि क्या होता है। दोनों कमांडर 6 जून को एक परस्पर सहमति पर पहुंचे थे, लेकिन चीनी सैनिकों ने अपने पट्रोलिंग पॉइंट से पीछे हटने के दौरान गलवान घाटी में भारतीय सेना के एक कर्नल और उनके जवानों पर धोखे से हमला कर दिया था।

भारत ड्रोन और सर्विलांस एयरक्राफ्ट के जरिए सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पर कड़ी नजर रख रहा है। समझौते के मुताबिक, दोनों पक्ष टकराव वाले स्थानों से अपने अतिरिक्त बटालियन, आर्टिलरी गन और बख्तरबंद वाहनों को हटाएंगे। गलवान घाटी और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू होगी। भारत और चीन की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘पीछे हटने को लेकर परस्पर सहमति बनी है। पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से हटने के तौर-तरीकों पर चर्चा की गई और दोनों पक्ष इसे अमल में लाएंगे।’

हालांकि, पैंगॉन्ग झील से चीनी सैनिकों की वापसी के बारे में अनिश्चितता है। यहां पर दुश्मन ने दर्जनों नई किलेबंदियां की हैं और बंकर बना लिए हैं। साथ ही चीनी सैनिक झील के उत्तरी किनारे पर ऊंचाई पर तैनात किए गए हैं। भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी मंगलवार के समझौते से संतुष्ट हैं। चीन को साफ-साफ कहा गया कि वह अपने सैनिकों को अप्रैल 2020 की पोजिशन में वापस ले, जिसे चीनी सेना ने मान लिया। जो लोग चीनी सेना के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, उनका मानना है कि चीन को सख्त तेवर दिखाने की जरूरत है। चीनी सेना हमेशा अपने विरोधियों को पहले डराने की कोशिश करती है, और अगर विरोधी पीछे नहीं हटता है, तो खुद पीछे हट जाती है।

मैं आपको एक दिलचस्प बात बताता हूं। अफसरों समेत भारतीय सेना के वे 10 सैनिक जो भागते हुए चीनी सैनिकों का पीछा करते हुए उनके इलाके में घुस गए थे और बंदी बना लिए गए थे, अपनी वापसी के बाद उन्होंने बताया कि किस तरह चीनी अफसर अपने कमांडिंग ऑफिसर के शहीद होने के बाद हमारे जवानों के जवाबी हमलों से दहल गए थे।

हमारे बहादुर जवान चीनी सैनिकों की तुलना में कम थे, लेकिन उन्होंने जमकर लड़ाई लड़ी, चीनी सैनिकों से लोहे की छड़ें छीन लीं और उन्हें उनके ही हथियार से ढेर कर दिया। हमारे जवानों ने नुकीली छड़ों से कई चीनी सैनिकों के गले चीर दिए। PLA के कब्जे से लौटने के बाद भारतीय सेना के अधिकारियों ने खुलासा किया कि चीनी कमांडर भारतीयों के मुंहतोड़ जवाब से परेशान थे। मंगलवार को सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे घायल जवानों से मिलने लेह पहुंचे और उनका मनोबल बढ़ाया। चीनी कमांडर अब अपने एक कमांडिंग ऑफिसर समेत 43 सैनिकों के मारे जाने के बाद तनाव बढ़ने को लेकर सतर्क हो गए हैं। अब सवाल है कि: आगे क्या?

चीन के मंसूबे हमेशा से नापाक रहे हैं और LAC पर चुपके से की गई घुसपैठ ने इस बात को पुख्ता किया है। चूंकि चीन एक लोकतांत्रिक देश नहीं है, इसलिए सेना से संबंधित मामलों पर सार्वजनिक रूप से कभी चर्चा नहीं की जाती है। पूरी की पूरी चीनी मीडिया, चाहे टेलीविजन हो या प्रिंट, राज्य के नियंत्रण में है, और इसका इस्तेमाल दुनिया भर में प्रॉपेगैंडा फैलाने के लिए किया जाता है। चीनी मीडिया नियमित रूप से झूठी कहानियों, अफवाहों और नकली वीडियो को प्रसारित करती रहती है। अमेरिका चीन के प्रमुख मीडिया आउटलेट्स को फ्री मीडिया के तौर पर नहीं, बल्कि ‘राजनयिक मिशन’ के तौर पर देखता है जो अपनी सरकार के हितों के लिए काम करते हैं। अमेरिका चीनी मीडिया पर वही प्रतिबंध लगाने की सोच रहा है जो उसने चीनी राजनयिक कर्मियों के मूवमेंट पर लगाया है।

‘यूएस न्यूज’ में पहले ही पीएलए ऑफिसर जनरल झाओ जोंग्की के बारे में, जो चीनी सेना के पश्चिमी थिएटर कमांड के प्रभारी हैं, एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि उन्होंने अपने सैनिकों को गलवान घाटी में भारतीयों पर धोखे से हमला करने के आदेश दिए थे। जनरल झाओ राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबी माने जाते हैं। जब शी ने कई साल पहले वरिष्ठ चीनी जनरलों को ‘ठीक’ किया था, तब जनरल झाओ को छुआ भी नहीं गया था। उन्हें तिब्बत और झिंजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट्स का प्रभार दिया गया था। और तभी से चीन LAC में घुसपैठ कर रहा है और सैनिकों का जमावड़ा लगा रहा है। इन्हीं सबके चलते 2017 में डोकलाम में गतिरोध हुआ, और उसके बाद नाकु ला, पैंगॉन्ग झील और गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने आईं।

चीनी सेना भी नकली वीडियो प्रसारित करके साइकॉलजिकल ऑपरेशन चलाती रहती है, लेकिन कड़ी जांच के आगे वे टिक नहीं पाते हैं। उनका झूठ जल्दी ही सामने आ जाता है। अधिकांश चीनी प्रॉडक्ट्स की तरह, उनके झूठ और उनकी तरकीबें भी ज्यादा देर तक टिक नहीं पातीं। भारतीय नेतृत्व चीन की कारगुजारियों का मुकाबला करने के लिए एक सख्त नीति तैयार कर रहा है। इसके लिए सैन्य, कूटनीतिक और आर्थिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 23 जून, 2020 का पूरा एपिसोड

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