नयी दिल्ली/ चंडीगढ़: केंद्र सरकार ने आज संसद को बताया कि 2014 में इराक में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों की ओर से अगवा किए गए 39 भारतीय नागरिक मारे जा चुके हैं। सरकार के इस बयान पर विवाद पैदा हो गया है। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि इस बारे में पहले मृतकों के परिजन को सूचित नहीं करके सरकार ने संवेदनहीनता दिखाई है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा को बताया कि इराक के मोसुल में जून 2014 में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस ने 40 भारतीयों को अगवा कर लिया था, लेकिन उनमें से एक शख्स खुद को बांग्लादेश का मुस्लिम बताकर बच निकलने में कामयाब रहा। उन्होंने कहा कि बादुश के एक सामूहिक कब्र से निकलवाए गए शवों को विशेष विमान से भारत लाया जाएगा और उनके परिजन को सौंपा जाएगा। मंत्री ने कहा, ‘‘ मैंने कहा था कि मैं बगैर पुख्ता सबूत के किसी को मृत घोषित नहीं करूंगी... आज मैंने वह प्रतिबद्धता पूरी की है।’’
सुषमा ने कहा कि अभी यह नहीं पता चल सका है कि इन 39 भारतीयों को कब मारा गया, लेकिन उनके शव मोसुल के उत्तर- पश्चिम में स्थित बादुश गांव से बरामद किए गए और डीएनए जांच के जरिए उनकी पहचान की गई। सरकार ने गुरदासपुर के हरजीत मसीह के इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्होंने 39 भारतीयों का कत्ल होते देखा था। हरजीत अपहरण करने वालों के चंगुल से बच निकलने में कामयाब रहे थे। सुषमा ने इस आरोप को भी बेबुनियाद करार दिया कि सरकार ने हरजीत को परेशान किया।
कांग्रेस ने 39 भारतीयों के मारे जाने पर शोक व्यक्त किया और पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने सरकार को याद दिलाने की कोशिश की कि उसने‘‘ पिछले साल हमें आश्वस्त किया था कि भारतीय जीवित हैं।’’ बाद में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सुषमा से जब पूछा गया कि इन भारतीयों की मृत्यु कब हुई, इस पर उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं देते हुए सिर्फ इतना कहा कि यह अप्रासंगिक है क्योंकि आईएसआईएस के कब्जे से मोसुल शहर को आजाद कराने के बाद ही शव बरामद किए गए होंगे।
पिछले साल जून में मोसुल को आईएसआईएस के कब्जे से आजाद कराया गया था। सुषमा ने पिछले साल संसद को बताया था कि अभी इस बात के कोई साक्ष्य नहीं हैं कि इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने उन्हें मार डाला। उन्होंने कहा था कि वह उन्हें मृत घोषित करने का पाप नहीं करेंगी। आज सुषमा के बयान के तुरंत बाद कांग्रेस और माकपा सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने इन भारतीयों की मौत के बारे में बताने को लेकर की गई देरी पर सरकार को आड़े हाथ लिया और कहा कि सरकार ने मृतकों के परिजन को‘‘ झूठा दिलासा’’ दिया कि वे जीवित हैं।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, ‘‘ लोगों को झूठे दिलासे देना कू्रता है और बताता है कि सरकार में पारदर्शिता की कमी है।’’ लोकसभा में माकपा के नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि सरकार का बयान दिखाता है कि सरकार‘‘ संवेदनहीन और अमानवीय’’ है, क्योंकि उसे संसद को सूचित करने से पहले मृतकों के परिजन को इसकी सूचना देनी चाहिए थी। नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह‘‘ अक्षम्य’’ है कि मृतकों के परिजन को अपने प्रियजन की मौत की खबर टीवी चैनलों के जरिए मिली।
सुषमा ने तुरंत पलटवार करते हुए कांग्रेस पर‘‘ घटिया राजनीति’’ करने का आरोप लगाया और इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने किसी को अंधेरे में नहीं रखा और न ही झूठा दिलासा दिया। कुछ विपक्षी सदस्यों और मृतकों के परिजन की ओर से की जा रही आलोचना का हवाला देते हुए सुषमा ने कहा कि उन्होंने संसदीय प्रक्रियाओं का पालन किया है। मृतकों के परिजन की शिकायत थी कि उन्हें अपने प्रियजन की मृत्यु की खबर टीवी चैनलों के जरिए मिली है। सुषमा ने कहा, ‘‘ इसके बारे में पहले सदन को सूचित करना मेरा कर्तव्य था।’’
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक के बाद एक कर किए गए ट्वीट में कहा, ‘‘ प्रत्येक भारतीय उन लोगों के साथ दुख में शामिल है जिन्होंने मोसुल में अपने प्रियजन को खो दिया। हम शोक संतप्त परिवार के साथ एकजुट हैं और मोसुल में भारतीयों के प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हैं।’’ प्रधानमंत्री ने सुषमा का बचाव करते हुए यह भी कहा कि विदेश मंत्रालय और खासतौर पर मेरी सहकर्मी सुषमा स्वराज जी और जनरल वी के सिंह जी ने मोसुल में इन भारतीयों का पता लगाने और उन्हें सुरक्षित वापस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि सरकार‘‘ विदेश में हमारे भाई- बहनों की सुरक्षा’’ सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।