Sunday, May 12, 2024
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Nobel Prize in Literature 2021: तंजानियाई नागरिक अब्दुलरजाक गुरनाह को साहित्य का नोबेल पुरस्कार

उपन्यासकार अब्दुलराजाक गुरनाह को उपनिवेशवाद के प्रभावों और संस्कृतियों व महाद्वीपों के बीच की खाई में शरणार्थी की स्थिति के चित्रण के लिए साहित्य में 2021 नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: October 07, 2021 18:52 IST
Nobel Prize 2021: अब्दुलरजक गुरनाह को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार- India TV Hindi
Image Source : ANI अब्दुलरजक गुरनाह को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार

Nobel Prize 2021 In Literature: उपन्यासकार अब्दुलरजाक गुरनाह को साहित्य का प्रतिष्ठित नोबल पुरस्कार (Nobel Prize 2021 In Literature) दिया गया है। उपन्यासकार अब्दुलराजाक गुरनाह को उपनिवेशवाद के प्रभावों और संस्कृतियों व महाद्वीपों के बीच की खाई में शरणार्थी की स्थिति के चित्रण के लिए साहित्य में 2021 नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। बता दें कि, अब्दुल रजाक तंजानिया के उपन्यासकार हैं।

तंजानियाई लेखक अब्दुलरजाक गुरनाह को इस वर्ष के साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। स्वीडिश एकेडमी ने कहा कि ‘‘उपनिवेशवाद के प्रभावों को बिना समझौता किये और करुणा के साथ समझने’’ में उनके योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। जांजीबार में जन्मे और इंग्लैंड में रहने वाले गुरनाह यूनिवर्सिटी ऑफ केंट में प्रोफेसर हैं। उनके उपन्यास ‘पैराडाइज’ को 1994 में बुकर पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (लगभग 11.4 लाख डॉलर राशि) प्रदान की जाएगी।

अब्दुलराजाक गुरनाह का जंजीबार में हुआ था जन्म

अब्दुलराजाक गुरनाह का जन्म 1948 ज़ांज़ीबार (तंजानिया) में हुआ था। वह अंग्रेजी में लिखते हैं और यूनाइटेड किंगडम में रहते हैं। उनके उपन्यासों में सबसे प्रसिद्ध हैं पैराडाइज (1994), जिसे बुकर और व्हाइटब्रेड पुरस्कार, डेजर्टन (2005) और बाय द सी (2001) दोनों के लिए चुना गया था, जिसे बुकर के लिए लंबे समय से सूचीबद्ध किया गया था और लॉस एंजिल्स टाइम्स के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था।

पूर्वी अफ्रीका के तट से दूर ज़ांज़ीबार द्वीप पर जन्मे गुरनाह 1968 में एक छात्र के रूप में ब्रिटेन गए थे। 1980 से 1982 तक, गुरनाह नाइजीरिया के बेएरो विश्वविद्यालय कानो में प्राध्यापक रहे। इसके बाद वे केंट विश्वविद्यालय चले गए, जहां उन्होंने 1982 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की, अब वे अंग्रेजी विभाग के भीतर स्नातक अध्ययन के प्रोफेसर और निदेशक हैं। उनकी मुख्य शैक्षणिक रुचि उपनिवेशवाद के बाद के लेखन और उपनिवेशवाद से जुड़े परिवर्तनों में है, खासकर जब वे अफ्रीका, कैरिबियन और भारत से संबंधित हैं।

इससे पहले, रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के जर्मन वैज्ञानिक बेंजामिन लिस्ट और प्रिंसटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डेविड डब्ल्यूसी मैकमिलन को दिये जाने की बुधवार को घोषणा की गई। मैकमिलन का जन्म स्कॉटलैंड में हुआ था। उन्हें ‘‘एसिमेट्रिक ऑर्गेनोकैटलिसिस’’ नामक अणुओं के निर्माण के लिए एक नया तरीका विकसित करने में उनके उल्लेखनीय काम के लिए इस सम्मान के लिए चुना गया है।

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