Friday, April 26, 2024
Advertisement

सेना से बचने के लिए आतंकवादियों ने शोपियां में बनाए भूमिगत बंकर

 सेना व सुरक्षाबलों से बचने के लिए अब आतंकवादी घने बगीचों में भूमिगत बंकर बनाते हैं और यहां तक कि मौसमी नदियों में बंकर खोदकर रहते हैं।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 20, 2020 18:37 IST
Terrorists build underground bunkers in Shopian to escape Army's pursuit - India TV Hindi
Image Source : ANI Terrorists build underground bunkers in Shopian to escape Army's pursuit 

शोपियां (कश्मीर)। कश्मीर घाटी में आतंकवादियों का ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में छिपना या स्थानीय घरों में शरण लेना बीते दिनों की बात हो गई है। सेना व सुरक्षाबलों से बचने के लिए वे अब घने बगीचों में भूमिगत बंकर बनाते हैं और यहां तक कि मौसमी नदियों में बंकर खोदकर रहते हैं। सेना की आतंकवाद रोधी इकाई 44 राष्ट्रीय राइफल्स की कमान संभाल रहे कर्नल ए के सिंह कहते हैं, 'यह प्रवृत्ति हाल में पुलवामा और शोपियां जिलों में देखने को मिली है तथा शोपियां में इनकी संख्या ज्यादा है क्योंकि वहां सेब के घने बगीचे और जंगल हैं।' सेना की इस इकाई ने अधिकतम आतंकवादियों को मारा, पकड़ा या उनका आत्मसमर्पण कराया है। 

44-राष्ट्रीय राइफल्स के बेहद पुख्ता सुरक्षा वाले मुख्यालय से बात करते हुए कर्नल सिंह और उनके दल को अकसर स्थानीय लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए उनसे मिलते-जुलते देखा जा सकता है। इस बातचीत के दौरान करियर संबंधी सुझाव देने से लेकर शिक्षा संबंधी उनकी बातों को सुनना शामिल रहता है। आतंकवादियों पर अंकुश लगाने के मामले में भी वे काफी आगे हैं। अब तक उन्होंने 47 आतंकवादियों को मार गिराया है और सात को हिरासत में लिया है या उनका आत्मसमर्पण कराया है।

शोपियां के दो और पुलवामा जिले के तीन इलाकों की निगरानी करने वाले कर्नल सिंह और उनके दल के लिए भूमिगत बंकरों के मिलने के बाद स्थिति आसान नहीं थी क्योंकि यहां बिना सुरक्षा बलों की नजर में आए आतंकवादी कई दिनों तक छिपे रह सकते हैं। इन दोनों ही इलाकों को आतंकवादियों के गढ़ के तौर पर देखा जाता है। जल-स्तर के उतार-चढ़ाव और अचानक आने वाली बाढ़ से प्रभावित रहने के लिए चर्चित इलाके रामबी अरा के मध्य में कोई बंकर मिलना सुरक्षाबलों के लिए किसी अचरज से कम नहीं था और इसने कर्नल सिंह तथा उनकी टीम को नए सिरे से अपनी योजना पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया। 

उन्होंने कहा, 'आतंकवादी रामबी अरा के मध्य में लोहे के बने बंकर के अंदर छिपे हुए थे। सतर्क जवानों ने तेल के एक ड्रम का ढक्कन खुला देखा जिसका इस्तेमाल आतंकवादी बंकर में आने-जाने के रास्ते के तौर पर करते थे।' अधिकारी ने कहा, 'यह संदेहजनक था और इसके बाद वहां गुपचुप तरीके से नजर रखी जाने लगी। हमें यह देखकर बेहद हैरानी हुई कि नदी के बीच से आतंकवादी निकल रहे हैं, जो आम तौर पर बारिश के मौसम में ही पानी से भरी रहती है।' प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिद्दीन के पांच आतंकवादियों को इस साल के शुरू में हमला कर मार गिराया। हालांकि सेना के लिए इन आतंकवादियों के मारे जाने से ज्यादा चिंता की बात यह थी कि आतंकवादी भूमिगत बंकरों को बनाने और उनमें रहने में सक्षम हैं। 

तकनीकी खुफिया निगरानी और मानव संसाधनों के जरिए आसपास के इलाकों तथा खासकर शोपियां में सर्वेक्षण का आदेश दिया गया जिसके नतीजे उत्साहजनक रहे। पारंपरिक कश्मीरी घरों के अंदर तहखानों और भूमिगत बंकरों की जानकारी मिलनी शुरू हो गई। इस साल जून में बंदपोह में सेब के घने पेड़ों से ढके और ऊंचाई वाले इलाके में स्थित एक और भूमिगत बंकर का सुरक्षाबलों ने पता लगाया। यहां आतंकवादी 12 फुट लंबे और 10 फुट चौड़ा भूमिगत बंकर बनाकर रह रहे थे।

सुरक्षाबलों की नजर जब एक प्लास्टिक से जमीन के ढके होने और वहां की मिट्टी ताजी खुदी होने पर गई तो इस बंकर का खुलासा हुआ। कर्नल सिंह ने कहा कि भूमिगत बंकर के आसपास पांच आतंकवादियों को मार गिराया गया। 44 राष्ट्रीय राइफल्स की कमान संभालने के बाद से कर्नल सिंह कई नागरिकों के घरों में गए जिनके रिश्तेदार आतंकवाद की राह पर चल निकले थे। अधिकारी ने उन्हें सलाह दी कि वे इन युवाओं का वापस आना सुनिश्चित करें और उन्हें हरसंभव मदद का भी आश्वासन दिया। 

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement