Friday, April 19, 2024
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जानिए कौन है दाऊद को पीटने वाला करीम लाला, जिसके नाम भर से महाराष्ट्र की राजनीति में मचा है घमासान

करीम लाल का जन्म अफगानिस्तान में हुआ था। वो पश्तून था और महज 21 साल की उम्र में काम की तलाश में भारत आ गया था। 1930 में मुंबई (बंबई) पहुंचकर करीम लाल ने शुरुआत छोटे-मोटे काम धंधों से की, लेकिन यह उसे  ज्यादा दिन नहीं पसंद आया।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 16, 2020 21:12 IST
karim lala- India TV Hindi
Image Source : ARCHIVE जानिए कौन है दाऊद को पीटने वाला करीम लाला

नई दिल्ली। राज्यसभा सांसद संजय राउत द्वारा करीम लाला और पूर्व पीएम इंदिरा गांधी द्वारा दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस और शिवसेना की बीच रार छिड़ी हुई है। कांग्रेस पार्टी संजय राउत के इस बयान से साफ तौर पर नाराज नजर आ रही है, जिसके बाद संजय राउत को अपना बयान वापस लेना पड़ा, लेकिन इसके बाद भी विवाद ठंडा होता नहीं दिखाई दे रहा है। आइए आपको बताते हैं कौन है करीम लाला, जिसके नामभर से महाराष्ट्र की राजनीति में मचा है घमासान।

कौन है करीम लाला?

करीम लाल का जन्म अफगानिस्तान में हुआ था। वो पश्तून था और महज 21 साल की उम्र में काम की तलाश में भारत आ गया था। 1930 में मुंबई (बंबई) पहुंचकर करीम लाल ने शुरुआत छोटे-मोटे काम धंधों से की, लेकिन यह उसे  ज्यादा दिन नहीं पसंद आया। कहा जाता है कि करीम लाल संपन्न परिवार से था और उसे ज्यादा से ज्यादा  पैसा कमाने की तमन्ना थी, इसलिए वो अपराध की दुनिया में आ गया। करीम लाला ने सबसे पहले मुंबई के ग्रांट रोड स्टेशन के नजदीक एक इमारत किराए पर ली और उमसें सोशल क्लब नाम से जूए का अड्डा खोला। इस क्लब ने कुछ ही दिनों में पूरे मुंबई में अपनी धाक जमा ली।

कहते हैं कि सोशल क्लब में जुआ खेलने के लिए कई बड़े नामी सेठ आते थे, जिनसे करीम लाला ने जान पहचान बढ़ाई और फिर उसने सोने, चांदी, गहनों और हीरे के धंधे में हाथ आजमाया। यहां करीम लाला ने बहुत पैसा कमाया।  उन दिनों मुंबई में करीम लाला, वरदाराजन और हाजी मस्तान के बीच मुंबई में वर्चस्व स्थापित करने की लड़ाई लड़ रहे थे। आए दिन मुंबई में खून-खराबा हो रहा था, जिसके बाद तीनों ने मिलकर काम करना शुरू किया और अपना-अपना इलाका बांट लिया और शांति से काम करने लगे।

दाऊद इबाहिम की जमकर की पिटाई

 कुछ समय तक तो करीम लाला, वरदाराजन और हाजी मस्तान के बीच सबकुछ ठीक तरह से चला, लेकिन कुछ दिनों के बाद हाजी मस्तान के इब्राहिम और शब्बीर इब्राहिम ने करीम लाला के इलाके में तस्करी का धंधा शुरू कर दिया, जिसपर करीम लाला गुस्से से लाल हो गया और उसने दाऊद को पकड़ कर उसकी खूब पिटाई की। कुछ दिनों बाद दाऊद ने करीम लाला के इलाके में फिर धंधा शुरू किया। जिसके बाद साल 1981 में पठान गैंन ने शब्बीर की हत्या कर दी। साल 1986 में दाऊद ने करीम लाला के भाई रहीम खान की 1986 में हत्या कर दी। करीम लाला की मौत 90 साल की उम्र में 19 फरवरी 2002 को मुंबई में हुई।

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