Sunday, December 15, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. 5 साल, 22 भाषाएं, 22 हजार नई किताबें! जानें, केंद्र सरकार के 'अस्मिता' प्रोजेक्ट में क्या है खास

5 साल, 22 भाषाएं, 22 हजार नई किताबें! जानें, केंद्र सरकार के 'अस्मिता' प्रोजेक्ट में क्या है खास

केंद्र सरकार ने अगले 5 सालों में 22 क्षेत्रीय भाषाओं में 22 हजार कितानों तैयार करने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है ताकि छात्रों को अपनी मातृभाषाओं में विभिन्न विषयों की किताबें पढ़ सकें।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Jul 17, 2024 8:41 IST, Updated : Jul 17, 2024 8:41 IST
ASMITA Project, ASMITA Project Books, ASMITA Project News- India TV Hindi
Image Source : PEXELS सरकार का फोकस अगले 5 सालों में 22 भाषाओं में 22 हजार किताबें तैयार करवाने पर है।

नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने अगले 5 सालों में भारतीय भाषाओं में 22,000 किताबें तैयार करने के लिए मंगलवार को एक प्रोजेक्ट शुरू किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, देश की 22 क्षेत्रीय भाषाओं में 22 हजार पाठ्यपुस्तकें तैयार की जाएंगी। इसके लिए UGC के नेतृत्व में भारतीय भाषा समिति के सहयोग से 'अस्मिता' की शुरुआत की गई है। इसके साथ ही बहुभाषा शब्दकोष का एक विशाल भंडार बनाने की एक व्यापक पहल भी की गई है। वहीं तत्काल अनुवाद के उपाय, भारतीय भाषा में तत्काल अनुवाद क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक तकनीकी ढांचे के निर्माण की सुविधा भी प्रदान की जा रही है।

मंगलवार को हुई 3 महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की शुरुआत

केंद्रीय शिक्षा सचिव के. संजय मूर्ति ने मंगलवार को इन 3 महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत की। केंद्रीय शिक्षा सचिव के मुताबिक, इन सभी परियोजनाओं को आकार देने में टेक्नोलॉजी के साथ-साथ NETF और BBS बहुत बड़ी भूमिका अदा करेंगे। मंगलवार को शिक्षा मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण वर्कशॉप का आयोजन किया। इसमें देश भर से 150 से ज्यादा कुलपतियों ने भाग लिया। कुलपतियों को 12 मंथन सत्रों में बांटा गया था, इनमें से प्रत्येक 12 क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तकों की योजना बनाने और विकसित करने के लिए समर्पित था। प्रारंभिक फोकस भाषाओं में पंजाबी, हिन्दी, संस्कृत, बंगाली, उर्दू, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, तमिल, तेलुगु और ओडिया शामिल थीं।

विचार-विमर्श के बाद सामने आए कई जरूरी निष्कर्ष

समूहों की अध्यक्षता नोडल यूनिवर्सिटी के संबंधित कुलपतियों द्वारा की गई और उनके विचार-विमर्श से बहुमूल्य परिणाम सामने आए। चर्चाओं से मुख्य निष्कर्ष भारतीय भाषा में नई पाठ्य पुस्तकों के निर्माण को परिभाषित करना, पुस्तकों के लिए 22 भारतीय भाषाओं में मानक शब्दावली स्थापित करना और वर्तमान पाठ्यपुस्तकों के लिए संभावित सुधारों की पहचान करना, घटकों में से एक के रूप में भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) पर जोर देना, व्यावहारिक और सैद्धांतिक ज्ञान को जोड़ना शामिल था।

वर्कशॉप में आए थे 150 से ज्यादा विश्वविद्यालयों के कुलपति

शिक्षा राज्य मंत्री डॉक्टर सुकांत मजूमदार ने नई दिल्ली में उच्च शिक्षा के लिए भारतीय भाषा में पाठ्यपुस्तकों के लेखन पर कुलपतियों के लिए इस एक दिन की वर्कशॉप का उद्घाटन किया। कार्यशाला का आयोजन UGC और भारतीय भाषा समिति (BBS) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। इस अवसर पर शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव के. संजय मूर्ति, भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष प्रो. चामू कृष्ण शास्त्री, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार, 150 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रख्यात शिक्षाविद् और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

मजूमदार ने कहा, छात्रों को उनकी मातृभाषा में ज्ञान प्राप्त हो

सुकांत मजूमदार ने विभिन्न उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों के लिए भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री तैयार करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली को देश की विशाल भाषायी विविधता को प्रतिबिंबित करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों को उनकी मातृभाषा में ज्ञान प्राप्त हो। डॉ. मजूमदार ने कहा कि भारतीय भाषाएं राष्ट्र के प्राचीन इतिहास और पीढ़ियों से चली आ रही बुद्धिमत्ता का प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ियों का पोषण किया जाना चाहिए और समृद्ध सांस्कृतिक और भाषाई विरासत में उनके विश्वास को मजबूत किया जाना चाहिए। (IANS)

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement