Saturday, April 27, 2024
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आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे ने सीमा के हालात को बताया संवेदनशील, कहा-युद्ध हुआ तो भारत देगा 1962 से अलग जवाब

आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडेय ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा हालात को संवेदनशील बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि हालात संवेदनशील होने के बावजूद स्थिर है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सेना की मजबूती से तैनाती की गई है। जनरल पांडेय ने कहा कि युद्ध होने पर भारतीय सेना 1962 के युद्ध से बिलकुल अलग प्रतिक्रिया देगी।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: March 15, 2024 20:57 IST
जनरल मनोज पांडे, आर्मी चीफ। - India TV Hindi
Image Source : PTI जनरल मनोज पांडे, आर्मी चीफ।

नई दिल्लीः भारत-चीन सीमा पर 4 वर्षों बाद भी अशांति में कोई बदलाव नहीं आया है। सीमा के हालात लगातार संवेदनशील बने हैं। भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने शुक्रवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कहा कि स्थिति ‘स्थिर लेकिन संवेदनशील’ है। उन्होंने हुए कहा कि चीन से सटी देश की सीमा पर भारतीय सैनिकों और अन्य घटकों की तैनाती ‘बेहद मजबूत’ और ‘संतुलित’ है। एक ‘कॉन्क्लेव’ में एक चर्चा के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘हमें करीब से निगरानी और नजर बनाए रखने की जरूरत है कि सीमा पर बुनियादी ढांचे और सैनिकों की आवाजाही के संदर्भ में कौन से घटनाक्रम हो रहे हैं।’’ युद्ध की स्थिति होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा हुआ तो भारतीय सेना 1962 के युद्ध से बिलकुल अलग प्रतिक्रिया देगी।

बता दें कि पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया था। जून 2020 में गलवान घाटी में झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई, जो कई दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। एलएसी पर वर्तमान स्थिति पर जनरल पांडे ने कहा, ‘‘स्थिर, लेकिन संवेदनशील। उन्होंने कहा कि एलएसी पर सैनिकों की मौजूदा तैनाती और अन्य घटकों के संदर्भ में, मैं सीधे कहूंगा कि हमारी तैनाती बेहद मजबूत और संतुलित है। संपूर्ण एलएसी पर उत्पन्न होने वाली किसी संभावित स्थिति से निपटने के लिए हम सैन्य संरचना और तोपखाने को लेकर (युद्धक सामग्री व अन्य का) पर्याप्त भंडार सुनिश्चित रखते हैं ।

राष्ट्रीय हित में युद्ध में जाने से हिचक नहीं 

भारत और चीन ने हाल ही में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता का एक नया दौर आयोजित किया, जिसमें दोनों पक्ष जमीन पर ‘शांति और सदभाव’ बनाए रखने पर सहमत हुए, लेकिन किसी भी सफलता का कोई संकेत नहीं मिला। सेना प्रमुख से यह भी पूछा गया कि सीमा पर झगड़ों से क्या सबक सीखा गया है। इस पर उन्होंने कहा, न केवल सीमा बल्कि दुनियाभर में हो रहे संघर्षों से गहरा सबक सीखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ये सबक रणनीतिक, परिचालन और सामरिक स्तर के हैं। उन्होंने कहा कि रणनीतिक स्तर पर, राष्ट्रीय सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय प्रणाली में प्रमुखता प्राप्त कर रही है और इसने जो दिखाया है वह यह है कि जब राष्ट्रीय हित शामिल होंगे, तो देश युद्ध में जाने से नहीं हिचकिचाएंगे।

युद्ध होने पर भारत की स्थिति इस बार 1962 से अलग होगी

जनरल पांडे ने कहा कि किसी देश का सीमाओं को लेकर युद्ध में हमारे लिए जमीन निर्णायक क्षेत्र बनी रहेगी।’ तीसरी चीज आत्मनिर्भरता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘न केवल संघर्ष में, बल्कि महामारी के समय में भी हमारे लिए आत्मनिर्भर बनने का महत्व है ताकि निर्यात या आयात पर निर्भरता लगभग शून्य रहे।’’ एलएसी पर तनाव बढ़ने की आशंका से जुड़ा दावा करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम अलग-अलग आकस्मिकताओं के लिए योजना बनाते हैं और प्रत्येक आकस्मिकता के लिए प्रतिक्रियाएं अलग-अलग होंगी।’’ अगर स्थिति बिगड़ती है, तो क्या भारतीय सेना की प्रतिक्रिया 1962 के युद्ध की तुलना में अलग होगी? इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से। प्रतिक्रिया प्रभावी होगी और यह आने वाली स्थिति के अनुरूप होगी। (भाषा) 

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