Saturday, April 20, 2024
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भारत-चीन सीमा पर सामने आई ड्रैगन की गलवान से भी बड़ी साजिश, LAC की ये रिपोर्ट उड़ा देगी नींद

India_china Border News @ LAC: भारत-चीन की सीमा पर इस वक्त फिर से बड़ी हलचल मची है। खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर इस दौरान भारत और चीन के बीच हालात वर्ष 2020 से भी ज्यादा तनावपूर्ण होने वाले हैं।

Dharmendra Kumar Mishra Reported By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: December 05, 2022 16:09 IST
लद्दाख की प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : AP लद्दाख की प्रतीकात्मक फोटो

India_china Border News @ LAC: भारत-चीन की सीमा पर इस वक्त फिर से बड़ी हलचल मची है। खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर इस दौरान भारत और चीन के बीच हालात वर्ष 2020 से भी ज्यादा तनावपूर्ण होने वाले हैं। वजह साफ है कि इस बार चीन लद्दाख क्षेत्र में गलवान से भी बड़ी साजिश को अंजाम देने के फिराक में है। हालात यह हैं कि चीनी सैनिकों ने एलएसी के कई विवादित क्षेत्रों में शेल्टर बना लिया है और वहीं डट गए हैं। अब चीनी सैनिक भारतीय सेना पर दबाव बनाने में जुट गए हैं।

चीन ने सबसे ज्यादा अतिक्रमण इस बार उत्तरी लद्दाख क्षेत्र में किया है, जहां चीनी सैनिकों ने देपसांग क्षेत्र में 200 से ज्यादा शेल्टर बना लिए हैं। चीनी सैनिक अब इन्हीं शेल्टरों में डट गए हैं। अब वह किसी भी कीमत पर इन क्षेत्रों से पीछे नहीं हटना चाहते, जबकि जिन जगहों पर शेल्टर बनाए गए हैं, उनमें से कई इलाके डिस्प्यूटेड एरिया के हिस्से हैं। भारतीय सैनिक इससे पहले उन इलाकों तक गश्त करते रहे हैं। मगर अब चीनी सैनिकों की मौजूदगी के चलते भारतीय सेना उन इलाकों में गश्त के लिए नहीं जा पा रही। इससे दोनों सेनाओं के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।

जानबूझकर जंग चाह रहा चीन

सितंबर माह में उज्बेकिस्तान में शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले भारत और चीन के बीच कई विवादित प्वाइंट्स से अपनी-अपनी सेना को पीछे हटाने को लेकर वार्ता हुई थी। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं ने अपने सैनिकों को उन क्षेत्रों से हटाना भी शुरू कर दिया था, लेकिन चीन ने सिर्फ औपचारिकता ही पूरी की। डिस्प्यूटेड प्वाइंट्स से हटने के बजाय चीन ने अब वहां पर शेल्टर बना डाला। जबकि आम तौर पर सर्दी के मौसम में चीनी सैनिक यहां से स्वतः पीछे हट जाते थे। मगर इस बार चीनी सैनिकों ने विंटरप्रूफ शेल्टर बनाया है। यानि की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सेना इस बार सर्दियों में भी उन विवादित जगहों पर स्थाई रूप से डेरा जमाए रखना चाहती है, जिसे भारत अब तक अपना बताता रहा है। चीन की यह साजिश यूं ही नहीं है, बल्कि उसका इरादा सीमा के विवादित क्षेत्रों में अपना स्थाई कब्जा जमाने का है। एक तरह से चीन ने अब सीधे तौर पर भारत को जंग के लिए ललकारना शुरू कर दिया है। अगर चीन का मकसद जंग करना नहीं होता तो वह जानबूझकर विवादित क्षेत्रों में इस तरह की हरकतें नहीं करता।

शेल्टरों के साथ चीन ने सीमा क्षेत्र में बनाए कई डेप्थ अड्डे
चीन के मंसूबों का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उत्तरी लद्दाख क्षेत्र के जिस देपसांग में ड्रैगन ने फैब्रिकेटेड और विंटरप्रूफ शेल्टर बनाए हैं, वहां साजो-सामान और रशद व आयुद्ध सामग्री की आपूर्ति के लिए सीमा के करीब ही डेप्थ सैन्य अड्डे भी बना रखा है। इन्हीं डेप्थ अड्डों से शेल्टरों की समस्त जरूरतें पूरी की जा रही हैं। यानि इस बार चीन पूरी तैयारी के साथ सीमा पर भारत को चुनौती दे रहा है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक शी जिनपिंग के तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति बनने के बाद शेल्टरों की संख्या में अचानक तेजी देखी गई। ज्यादातर नए शेल्टरों का निर्माण अक्टूबर और नवंबर माह में किया गया है।

आक्साइ चिन और सियाचिन ग्लेशियर के बीच मौजूद चीनी शेल्टर
सामरिक रूप से भारत के लिए महत्वपूर्ण आक्साइ चिन और सियाचिन ग्लेशियर के बीच वाले स्थानों पर चीन ने यह शेल्टर बनाए हैं। चीनी सैनिक इस बार सर्दियों में यहीं डटे रहना चाहते हैं। ऐसे में आशंका है कि बर्फबारी और सर्दी का असर तेज होते ही वह भारत के कई सीमावार्ती क्षेत्रों में घुसपैठ की कोशिश करेंगे। चीनी सैनिक अभी भी देपसांग और दमचौक पर कब्जा जमाए हैं। जबकि पहले (2020 में) वह गलवान और डोकलॉम क्षेत्रों में अधिक सक्रिय थे। चीन इन्हीं क्षेत्रों में बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के तहत हाईवे की योजना पर भी काम कर रहा है। यह क्षेत्र आक्साइ चिन और पीओके को जोड़ता है। ऐसे में भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।

साइकोलॉजिकल और हाईब्रिड वॉरफेयर छेड़ रहा चीन
भारत के सेवानिवृत्त ले. जनरल संजय कुलकर्णी कहते हैं कि चीन यह हरकतें आज से नहीं कर रहा, बल्कि वह पचासों वर्षों से करता आ रहा है। आगे भी चीन ऐसा करता रहेगा। इसके पीछे चीन की मंशा भारत पर साइकोलॉजिकल प्रेशर डालना है। इसे आप हाईब्रिड वॉरफेयर भी कह सकते हैं। चीन भारत को घुटनों पर लाना चाहता है। इसलिए वह बिना युद्ध लड़े इस तरह की हरकतों से भारत की सरकार को और भारतीय सेना को दबाव में लेगा। वह साइबर वॉर भी करेगा। ताकि भारत कभी उभरने नहीं पाए। चीन को पता है कि पूरे साउथ-ईस्ट एशिया में सिर्फ भारत ही एक ऐसा देश है जो उसे चुनौती दे सकता है। इसलिए वह भारत का कद बढ़ने नहीं देना चाहता। वह चाहता है कि भारत उससे दबकर रहे न कि बराबर। अभी तक चीन को लगता था कि भारत अमेरिका की ओर झुकता है, लेकिन यूक्रेन मामले पर भारत की स्वतंत्र विदेश नीति से समझ गया कि भारत किसी से नहीं दबता, वह दुनिया में अपना अलग मुकाम बनाना चाह रहा है।

आज पूरी दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र होने और मजबूत नेतृत्व होने के चलते भारत की धाक बढ़ी है। भारत दुनिया की बड़ी पांचवीं अर्थव्यवस्था बन चुका है। भारत ने 5 जी सेवा भी लांच कर दी है। भारत की यह सब तरक्की चीन को बुरी लग रही है। अब भारत को भी एलएसी क्षेत्र में चीन को जवाब देने के लिए सीमावर्ती गांवों में रोड, पानी, बिजली, नेटवर्क जैसी सुविधाओं को मजबूत करने के साथ ही साथ सैन्य क्षमता को बढ़ाना होगा। साथ ही सामरिक दृष्टि से आधुनिक और मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना होगा। हालांकि यह इतना आसान नहीं है। क्योंकि वहां इतना अधिक बजट लगाने का मतलब अर्थव्यवस्था को डिस्बैलेंस करना भी है। इसलिए भारत को फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा और चीन की साजिश को उसके ही अंदाज में रणनीतिपूर्वक विफल करना होगा। 

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