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पुण्यतिथि विशेष: पारसी होने के बावजूद हिंदू रीति-रिवाज से क्यों हुआ था फिरोज गांधी का अंतिम संस्कार?

8 सितंबर 1960 को वेलिंगटन अस्पताल में फिरोज गांधी का निधन हुआ था। वह पारसी धर्म से ताल्लुक रखते थे लेकिन उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों से हुआ था। उनके बेटे राजीव गांधी ने उन्हें मुखाग्नि दी थी।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published on: September 08, 2024 7:09 IST
Feroze Gandhi- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV फिरोज गांधी की पुण्यतिथि

नई दिल्ली: देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी की आज पुण्यतिथि है। फिरोज गांधी को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम तरह के भ्रम फैलाए जाते हैं। उनके धर्म और अंतिम संस्कार को लेकर भी तमाम तरह की बातें होती हैं। सोशल मीडिया पर कहा जाता है कि फिरोज गांधी मुस्लिम थे और उनके निधन के बाद उन्हें दफनाया गया था। जबकि ये बात पूरी तरह गलत है। फिरोज गांधी पारसी धर्म से थे और निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक किया गया था।

क्या है अंतिम संस्कार की कहानी?

फिरोज गांधी का निधन 8 सितंबर 1960 को वेलिंगटन अस्पताल में हुआ था। मृत्यु से पहले उनकी इच्छा थी कि पारसी होने के बाद भी उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के आधार पर किया जाए। दरअसल फिरोज गांधी को पारसी तरीके से अंत्येष्टि का तरीका पसंद नहीं था क्योंकि इसमें शव को चीलों के खाने के लिए छोड़ दिया जाता है। उनकी पत्नी इंदिरा गांधी ने फिरोज की इस इच्छा का सम्मान रखा। हालांकि उन्होंने कुछ पारसी रीति-रिवाजों का भी पालन किया। 

बर्टिल फाक की किताब फ़िरोज़- द फॉरगॉटेन गांधी में बताया गया है कि फिरोज के शव को तीन मूर्ति भवन में रखा गया था और इस दौरान सभी धर्मग्रंथों का पाठ किया गया था। फिरोज का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाजों से हुआ था और उनके 16 साल के बेटे राजीव गांधी ने उनके शव को मुखाग्नि दी थी।

किताब में ये भी बताया गया है कि फिरोज के पार्थिव शरीर को जहां रखा गया था, वहां पारसी परंपराओं का भी पालन हुआ था और उनके शव के मुंह पर कपड़े का टुकड़ा रख कर ‘अहनावेति’ का पहला अध्याय पढ़ा गया था।

अस्थियों को संगम में भी बहाया गया और दफनाया भी गया

जब फिरोज का अंतिम संस्कार हो गया तो उनकी कुछ अस्थियों को इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) संगम में प्रवाहित कर दिया गया था, वहीं कुछ अस्थियों को दफना दिया गया था। जिस जगह पर अस्थियों को दफनाया गया, वहां फिरोज की कब्र बना दी गई। 

सोशल मीडिया पर भ्रम इसीलिए फैलाया जाता है और ये तर्क दिया जाता है कि फिरोज की कब्र है, इसलिए वह मुस्लिम थे। जबकि इस बात में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है।

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