Tuesday, May 21, 2024
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Jharkhand News: हिंदी-अंग्रेजी ट्रांसलेशन में बार-बार गड़बड़ा जाती है झारखंड सरकार, राज्यपाल ने एक साल में लौटा दिए 5 बिल

Jharkhand News: राज्यपाल रमेश बैस पिछले एक साल में झारखंड सरकार द्वारा विधानसभा में पारित कराए गए 5 विधेयकों को इन्हीं गड़बड़ियों की वजह से सरकार को लौटा चुके हैं। उन्होंने इसी हफ्ते जिस बिल को बगैर मंजूरी सरकार को लौटाया है, वह GST लागू होने के पहले टैक्सेशन से जुड़े विवादों के समाधान से संबंधित है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: September 16, 2022 20:42 IST
Ramesh Bais - India TV Hindi
Image Source : PTI Jharkhand Governor Ramesh Bais

Highlights

  • मई में राज्यपाल ने लौटाया झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन बिल
  • अप्रैल में राजभवन ने भारतीय मुद्रांक शुल्क अधिनियम में संशोधन बिल लौटाया
  • भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधेयक- 2021 भी लौटाया

Jharkhand News: झारखंड की सरकार महत्वपूर्ण कानूनों के लिए बिल तैयार करते हुए ड्राफ्ट के हिंदी-अंग्रेजी अनुवाद में बार-बार गड़बड़ी कर देती है। इस वजह से कई महत्वपूर्ण विधेयक विधानसभा में पारित होने के बावजूद अधर में लटक जा रहे हैं। राज्यपाल रमेश बैस पिछले एक साल में झारखंड सरकार द्वारा विधानसभा में पारित कराए गए 5 विधेयकों को इन्हीं गड़बड़ियों की वजह से सरकार को लौटा चुके हैं। उन्होंने इसी हफ्ते जिस बिल को बगैर मंजूरी सरकार को लौटाया है, वह GST लागू होने के पहले टैक्सेशन से जुड़े विवादों के समाधान से संबंधित है।

जानें, राज्यपाल ने कौन-कौनसे बिल लौटाए

राज्यपाल की ओर से लौटाये गए इस पांचवें विधेयक का नाम है- 'झारखंड कराधान अधिनियमों की बकाया राशि का समाधान बिल, 2022'। यह विधेयक झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र में पारित हुआ था। राज्यपाल ने इसकी हिंदी और अंग्रेजी ड्राफ्टिंग में अंतर और गलतियों को चिन्हित करते हुए सरकार से कहा है कि इन्हें ठीक करने के बाद वापस विधानसभा से पारित कराकर स्वीकृति के लिए भेजें। राज्यपाल ने पाया है कि इस विधेयक के सेक्शन तीन की अंग्रेजी ड्राफ्टिंग में प्वाइंट्स को ए और बी लिखा गया है, जबकि इसकी हिंदी ड्राफ्टिंग में ए की जगह एक और बी की जगह दो लिखा गया है। हिंदी ड्राफ्टिंग में ए को क और बी को ख लिखना चाहिए था। इसी तरह एक जगह हिंदी में छूट का प्रतिशत 60 लिखा गया है, जबकि अंग्रेजी में 50 परसेंट लिखा गया है।

मई में राज्यपाल ने लौटाया झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन बिल
राज्यपाल रमेश बैस ने इसके पहले बीते मई महीने में झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक-2022 सरकार को लौटाया था। इसमें उन्होंने भाषाई विसंगतियों के दस बिंदुओं पर आपत्ति जताते हुए इनमें सुधार करने और विधेयक को फिर से विधानसभा से पारित कराकर भेजने को कहा था। इस विधेयक में राज्य सरकार ने मंडियों में बिक्री के लिए लाये जाने वाले कृषि उत्पादों पर 2 प्रतिशत का अतिरिक्त कर लगाने का प्रावधान किया है।

अप्रैल में राजभवन ने भारतीय मुद्रांक शुल्क अधिनियम में संशोधन विधेयक लौटाया
अप्रैल महीने में राजभवन ने भारतीय मुद्रांक शुल्क अधिनियम में संशोधन विधेयक 2021 को सरकार को लौटा दिया था। राजभवन ने सरकार को लिखे पत्र में बताया था कि विधेयक के हिंदी और अंग्रेजी ड्राफ्ट में समानता नहीं है। इससे विधेयक के प्रावधानों को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।

भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधेयक- 2021 भी लौटाया
झारखंड सरकार ने पिछले वर्ष विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान 21 दिसंबर 2021 को 'भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधेयक- 2021' पारित किया गया था। सरकार की ओर से कहा गया कि यह कानून बनने के बाद भीड़ की हिंसा की घटनाओं पर अंकुश लगेगी। विधेयक के कानून बनते ही मॉबलिंचिंग के अभियुक्तों को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। यह विधेयक जब राज्यपाल के पास उनकी मंजूरी के लिए भेजा गया तो राज्यपाल ने हिन्दी और अंग्रेजी प्रारूप में कई गड़बडियों के साथ-साथ भीड़ की परिभाषा पर आपत्ति जताते हुए राज्य सरकार को लौटा दिया। यह विधेयक अब तक दोबारा पारित नहीं कराया जा सका है।

जानें, क्या कह रहे हैं विभागों के उच्चाधिकारी
सवाल उठ रहा है कि विधेयकों का ड्राफ्ट तैयार करने वाले राज्य सरकार के संबंधित विभागों में सबसे ऊंचे ओहदों पर बैठे अफसर भाषाई विसंगतियों को कैसे नजरअंदाज कर रहे हैं? हैरत की बात यह कि राजभवन की ओर से एक-एक कर पांच विधेयकों की भाषाई विसंगतियां चिह्न्ति कर लौटाये जाने के बावजूद इस मसले पर अब तक राज्य सरकार का कोई स्टैंड सामने नहीं आया है। हालांकि विभागों के उच्चाधिकारियों का कहना है कि जो विसंगतियां चिह्न्ति की गई हैं, उनका अध्ययन कर उन्हें दूर कर लिया जाएगा।

सक्षम अनुवादकों की भारी कमी, बड़ी संख्या में पद रिक्त
दरअसल, सच यह है कि राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में सक्षम अनुवादकों की भारी कमी है। राज्य सरकार के सचिवालय में अनुवादक सहित विभिन्न स्तर पर बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं। राज्य सरकार में सेक्शन ऑफिसर के 657 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से 600 पद खाली पड़े हैं। सहायक प्रशाखा पदाधिकारी के 1313 पद स्वीकृत हैं। इसमें 708 सहायक प्रशाखा पदाधिकारी ही कार्यरत हैं। इसी तरह से अपर सचिव के 58, उपसचिव के 10 पद और संयुक्त सचिव के 10 पद रिक्त हैं। जाहिर है, इन रिक्तियों की वजह से सरकार का काम विभिन्न स्तरों पर प्रभावित हो रहा है।

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