Saturday, April 27, 2024
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Rajat Sharma's Blog: सोरेन की गिरफ्तारी झारखंड की राजनीति को नया मोड़ देगी

बहरहाल, हेमंत सोरेन के सारे दांवपेंच फेल हो गए। दो महीने तक भागने के बाद वो ED के शिंकजे में आ गए। अब उनसे ED की हिरासत में पूछताछ की जाएगी।

Rajat Sharma Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: February 02, 2024 6:23 IST
Rajat sharma, India TV- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

झारखंड की राजधानी रांची में इस समय ज़बरदस्त राजनीतिक हलचल है। बुधवार रात को हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी से कुछ मिनट पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, अपनी जगह कैबिनेट मिनिस्टर और झारखंड मुक्ति मोर्चा के उपाध्यक्ष चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता बना दिया। प्रवर्तन निदेशालय ने इस्तीफे के तुरंत बाद राज भवन में ही हेमंत सोरेन को हिरासत में ले लिया। बुधवार रात को करीब साढ़े 8 बजे घटनाक्रम तेजी से बदला। JMM, कांग्रेस और RJD के विधायक अचानक मुख्यमंत्री आवास से निकल कर राजभवन गए। इसके बाद हेमंत सोरेन भी राज्यपाल से मिलने पहुंच गए। उन्होंने एक हाथ से अपना इस्तीफा पेश किया और दूसरे हाथ से राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। हालांकि हेमंत सोरेन के साथ पहुंचे सभी विधायकों से राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन की मुलाकात नहीं हुई, सिर्फ कुछ विधायक ही अंदर गए, लेकिन विधायकों ने ये एलान कर दिया कि चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है और सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया है। अब राज्यपाल को नई सरकार को शपथ दिलानी चाहिए। अब सवाल है, झारखंड में नई सरकार का गठन कब होगा? चंपई सोरेन को राज्यपाल शपथ के लिए कब बुलाएंगे? बुलाएंगे भी या नहीं?  

इतना तो तय है कि जब हेमंत सोरेन को भरोसा हो गया कि उनकी गिरफ्तारी पक्की है, उन्होंने इस्तीफा देने और बिना देर किए चंपई सोरेन को अपनी कुर्सी पर बैठाने कै फैसला किया, क्योंकि हेमंत सोरेन नहीं चाहते थे कि राज्यपाल को या केन्द्र सरकार को दखलंदाजी का कोई मौका मिले। हेमंत सोरेन ने राजनीतिक दांवपेंच खूब चले। जिस वक्त ED की टीम मुख्यमंत्री आवास पहुंची, उस वक्त हेमंत सोरेन ने सरकार को समर्थन करने वाले विधायकों को घर पर बुला रखा था। रांची के मोरहाबादी मैदान में पार्टी के कार्यकर्ताओं की भीड़ इक्कठी कर ली। इसके बाद झारखंड के गृह सचिव अविनाश कुमार को हटा दिया। उनका अतिरिक्त भार मुख्य सचिव  एल खंगायते को सौंप दिया और फिर दिल्ली में मुख्यमंत्री के घर पर छापा मारने वाले ED के अफसरों के खिलाफ SC/ST एक्ट के तहत FIR दर्ज करवा दी। लेकिन ये सारी कवायद उनकी कुर्सी नहीं बचा सकी। 

67 साल के चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के बड़े और पुराने नेता हैं। 2005 से अब तक चार बार लगातार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। झांरखड राज्य के लिए आंदोलन के वक्त शिबू सोरेन के साथ रहे हैं। झारखंड बनने के बाद अर्जुन मुंडा की सरकार में मंत्री रहे। फिर हेमंत सोरेन की सरकार में 2010 से 2013 तक मंत्री रहे। इसके बाद हेमंत सोरेन जब दोबारा मुख्यमंत्री बने तो उन्हें फिर से मंत्री बनाया गया। चंपई सोरेन हेमंत सोरेन के विश्वासपात्र हैं। दावा ये किया जा रहा है कि कल विधायक दल की मीटिंग में हेमंत सोरेन ने विधायकों से दो कागज़ों पर दस्तखत करवाए थे। एक में कल्पना सोरेन को विधायक दल का नेता चुने जाने का प्रस्ताव था और दूसरे में चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुने जाने का प्रस्ताव था। बुधवार को पता चला कि चूंकि कल्पना सोरेन के नाम पर परिवार में विवाद था, उसके बाद हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। JMM के नेताओं का दावा है कि तीनों पार्टियों के 47 विधायक राजभवन के बाहर मौजूद थे और वे किसी भी वक्त राज्यपाल के सामने पेश होने के लिए तैयार हैं,  लेकिन राज्यपाल ने बुधवार शाम को मना किया था। 

बहरहाल हेमंत सोरेन के सारे दांवपेंच फेल हो गए। दो महीने तक भागने के बाद वो ED के शिंकजे में आ गए। अब उनसे ED की हिरासत में पूछताछ की जाएगी। हालांकि हेमंत सोरेन ने ED से कह दिया था, वक्त भी मेरा, जगह भी मेरी, आना है तो आ जाओ, गिरफ्तारी होने पर क्या करना है, इसकी तैयारी कर ली गई थी। अफसरों के तबादले कर दिए गए। ED वालों पर केस दर्ज करा दिया गया, MLA's के लिए बसें मंगा ली, राज्यपाल से समय मांगा। हेमंत सोरेन चाहते थे, जो होना है, उनके राज्य में हो, इसलिए वह दिल्ली से छुपकर रांची आए थे। वो गिरफ्तारी का पूरा-पूरा राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं। ED के एक्शन को एक आदिवासी पर मोदी के जुल्म के रूप में प्रोजेक्ट करना चाहते हैं। इसके लिए SC-ST एक्ट का भी इस्तेमाल किया। बड़ी संख्या में आदिवासियों को इकट्ठा भी किया, लेकिन सब कुछ करके भी वो ED की टीम को डरा नहीं सके, अपनी कुर्सी बचा नहीं सके। पूरी ताकत लगाकर भी अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री नहीं बना सके। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी झारंखड की राजनीति को नया मोड़ देगी। अब ED के सामने एक बड़ी चुनौती होगी - एक मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया है, एक आदिवासी को कुर्सी से उतरना पड़ा। अदालत में इस केस को पुख्ता तरीके से साबित करना होगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 31 जनवरी 2024 का पूरा एपिसोड

 

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