Friday, April 26, 2024
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Rajat Sharma's Blog : कश्मीर में राहुल की यात्रा के दौरान सुरक्षा में चूक क्यों हुई?

सुरक्षा एजेंसियों ने राहुल गांधी के चारों तरफ जो बाहरी सुरक्षा घेरा बनाया था वह भीड़ बढ़ने के चलते टूट गया। सुरक्षा बलों के लिए भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया।

Rajat Sharma Written By: Rajat Sharma
Published on: January 28, 2023 17:33 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

राहुल गांधी ने शनिवार को एक बार फिर से अपनी 'भारत जोड़ो यात्रा' शुरू कर दी। इससे पहले शुक्रवार को सुरक्षा में चूक का आरोप लगाकर उन्होंने अपनी पदयात्रा को स्थगित कर दिया था। आज अंवतीपोरा में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती भी राहुल की इस यात्रा में शामिल हुईं।

राहुल की यात्रा टी ब्रेक के लिए पम्पोर में रुकी। इसके बाद यह यात्रा श्रीनगर के बाहरी इलाके पंथा चौक की ओर जाएगी जहां रात्रि विश्राम करने की योजना है। प्रियंका गांधी भी श्रीनगर पहुंच चुकी हैं और वे भी राहुल की पदयात्रा में शामिल होंगी। रविवार को भारत जोड़ो यात्रा पंथा चौक से शुरू होकर बुलवार्ड रोड स्थित नेहरू पार्क पहुंचेगी।

शुक्रवार को राहुल गांधी ने जम्मू के बनिहाल से अपनी यात्रा शुरू की थी और बुलेटप्रूफ वाहन के जरिए काजीगुंड में जवाहर टनल को पार किया। इसके बाद यात्रा में भीड़ इतनी ज्यादा हो गई कि वे मुश्किल से 500 मीटर और चल पाए। दरअसल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला बड़ी संख्या में राहुल गांधी का स्वागत करने पहुंचे। उमर अब्दुल्ला भी राहुल के साथ-साथ यात्रा में पैदल चलने लगे।

सुरक्षा एजेंसियों ने राहुल गांधी के चारों तरफ जो बाहरी सुरक्षा घेरा बनाया था वह भीड़ बढ़ने के चलते टूट गया। सुरक्षा बलों के लिए भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया। सुरक्षा घेरे से बाहर चल रहे लोग भी राहुल गांधी के सुरक्षा घेरे के भीतर आ गए। जिसके चलते यात्रा रोकनी पड़ी। 

बाद में राहुल गांधी ने कहा कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पुलिस फोर्स मौजूद नहीं रहने के चलते उनकी सुरक्षा टीम से जुड़े लोगों ने यात्रा को स्थगित करने को कहा। राहुल गांधी ने आरोप लगाया-'भीड़ को संभालने वाले पुलिसकर्मी कहीं नजर नहीं आ रहे थे...प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह सुरक्षा मुहैया कराए। मेरे लिए बहुत मुश्किल है कि मैं अपनी सुरक्षा में लगे लोगों के सुझावों के खिलाफ जाऊं।'

कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रशासन राहुल गांधी की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यात्रा के मैनेजर और कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने कहा,  मैंने पार्टी नेताओं के साथ पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कराने के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर से भी मुलाकात की थी। इसके बाद भी पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नही किए गए। ऐसा लगता है कि यह प्रशासन की ओर से जानबूझकर किया गया है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ' राजनीति अपनी जगह है पर कश्मीर घाटी में राहुल गांधी की सुरक्षा से खिलवाड़ करके सरकार ने अपने निम्नतम से भी निम्नतम स्तर का प्रदर्शन किया है। भारत पहले ही इन्दिरा गांधी जी और राजीव गांधी जी को खो चुका है, किसी भी सरकार या प्रशासन को ऐसे मामलों पर राजनीति करने से बाज आना चाहिए।'

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर उनसे इस मामले में दखल देने और भारत जोड़ो यात्रा को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया। उन्होंने लिखा, 'यदि आप व्यक्तिगत रूप से इस मामले में हस्तक्षेप कर सकते हैं और संबंधित अधिकारियों को यात्रा समाप्ति और 30 जनवरी को श्रीनगर में होनेवाले समारोह तक पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने की सलाह दे सकते हैं, तो मैं आपका आभारी रहूंगा।' 

जम्मू-कश्मीर के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) आर के गोयल ने यात्रा आयोजकों को अचानक बढ़ती भीड़ के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, केंद्रीय अर्धसैनिक बल की 15 कंपनियां और जम्मू-कश्मीर पुलिस की 10 कंपनियां यात्रा के लिए तैनात की गई थीं, लेकिन आयोजकों को इस बात की पहले से कोई जानकारी नहीं थी कि यात्रा में शामिल होने के लिए बनिहाल में भारी भीड़ जमा होगी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा अधिकारियों को जानकारी दिए बिना अचानक से यात्रा को रोक दिया गया, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो गई।

गोयल ने कहा, यात्रा में भीड़ इसलिए बढ़ गई क्योंकि टनल में दाखिल होने के बाद समर्थकों के वापस लौट जाने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बड़ी संख्या में लोग काफिले के साथ चलने लगे। इससे सुरक्षा घेरा टूट गया। वहीं दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर बीजेपी प्रमुख रविंद्र रैना ने दावा किया कि यात्रा में भीड़ नहीं जुटी थी इसलिए राहुल गांधी ने सुरक्षा का बहाना बनाकर इसे कैंसिल किया।

सियासी बयानों की बात अलग है, लेकिन सुरक्षा का मामला बिल्कुल अलग है। राहुल गांधी की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने ही चाहिए। यह बात सही है कि सिक्यॉरिटी एजेंसीज ने राहुल गांधी को जम्मू कश्मीर में पैदल यात्रा न करने की सलाह दी थी, लेकिन राहुल जिद पर अड़े रहे। सुरक्षा में लगे अफसर ये कह कर नहीं बच सकते कि उन्हें आयोजकों ने भारी भीड़ के बारे में नहीं बताया था। सिक्यॉरिटी एजेंसी का काम तो हर हाल में पूरी सुरक्षा देना होता है। जहां तक प्रोटोकॉल और तय नियम कायदों के पालन का सवाल है, तो राहुल गांधी के लिए प्रोटोकॉल को तोड़ना कोई नई बात नहीं है।

24 दिसंबर को जब दिल्ली में राहुल गांधी की सुरक्षा में चूक का मामला उठा था, उस वक्त भी CRPF ने आधिकारिक तौर पर बताया था कि राहुल गांधी ने 113 बार खुद सिक्यॉरिटी प्रोटोकॉल तोड़ा है। जब सुरक्षा एजेंसियों को मालूम है कि राहुल गांधी सुरक्षा के साथ खुद खिलवाड़ करते हैं तो उन्हें ज्यादा सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि अब वह कश्मीर में हैं। तमाम देशविरोधी ताकतें मौके की तलाश में हैं जिससे कश्मीर को एक बार फिर गलत कारणों से चर्चा में लाया जा सके। 

शुक्रवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जैसे-जैसे यात्रा घाटी में आगे बढ़ेगी, भीड़ भी बढ़ती जाएगी। उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि 'मोदी सरकार ने मुसलमानों को उनके हक से महरूम कर दिया है। 15 फीसदी आबादी होने के बावजूद केंद्रीय मंत्रिपरिषद में एक भी मुसलमान नहीं है। न ही सत्ताधारी पार्टी में एक भी मुस्लिम सांसद है। मोदी सरकार ने मुसलमानों से सत्ता में भागीदारी छीन ली है।’

उमर अब्दुल्ला हिंदू-मुसलमानों के आधार पर लोगों को बांटने की बात कह रहे हैं, और इसे ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का नाम दे रहे हैं। यही सियासत है। अगर पुरानी बातें याद दिलाई जाएंगी तो शायद उमर अब्दुल्ला को जवाब देते न बने। महबूबा मुफ्ती हों या उमर अब्दुल्ला, दोनों ने अब तक कश्मीर को हिन्दू-मुसलमानों के आधार पर बांट कर ही राज किया है। जम्मू को उसका हक इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि जम्मू में हिंदुओं और सिखों की संख्या ज्यादा थी।

उमर अब्दुल्ला को यह भी याद करना चाहिए उनकी सरकार में, उनके वालिद (फारूक अब्दुल्ला) की सरकार में और उनके दादा (शेख अब्दुल्ला) की सरकार में कितने हिंदू मंत्री थे। उमर को यह भी बताना चाहिए कि जब कट्टरपंथियों और जिहादियों की वजह से कश्मीरी पंडितों को घाटी से घर, मकान, दुकान छोड़कर भागना पड़ा, उससे एक दिन पहले तक जम्मू कश्मीर में किसकी सरकार थी।

असल में PDP हो, नेशनल कॉन्फ्रेंस हो या कांग्रेस, इन सभी दलों की यही सियासत रही है कि कश्मीरियों को हिंदू और मुसलमान में, गद्दी और नॉन गद्दी में बांटते रहो, दूरियां बढ़ाते रहो और सरकारें चलाते रहो। लेकिन अब वक्त बदल गया है। कश्मीर बदल गया है। कश्मीर में अब सब कश्मीरी हैं, सबके हक बराबर हैं। यह बात उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को पच नहीं रही है। अब आर्टिकल 370 की दीवार गिर चुकी है।

इसलिए ये नेता एक बार फिर मजहब की दीवार खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अब कश्मीर के लोग असलियत जान चुके हैं। अगली बार जब भी चुनाव होंगे तो पहले की तरह 7 फीसदी वोटों से सरकार नहीं बनेगी। यहीं चिंता उमर को खाए जा रही है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 27 जनवरी, 2023 का पूरा एपिसोड

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