Thursday, March 28, 2024
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राजस्थान विधानसभा में हंगामा, स्पीकर बोले- 'मैं खुद प्रताड़ित महसूस कर रहा हूं'

कोटा के जे के लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत के मुद्दे पर राजस्थान विधानसभा में बुधवार को विपक्षी भाजपा के सदस्यों ने स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के जवाब पर असंतोष जताते हुए आसन के सामने आकर नारेबाजी की...

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: February 12, 2020 15:36 IST
राजस्थान विधानसभा- India TV Hindi
राजस्थान विधानसभा

जयपुर: कोटा के जे के लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत के मुद्दे पर राजस्थान विधानसभा में बुधवार को विपक्षी भाजपा के सदस्यों ने स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के जवाब पर असंतोष जताते हुए आसन के सामने आकर नारेबाजी की। विधायकों के व्यवहार से क्षुब्ध नजर आ रहे विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि सदस्य नियमों के तहत विषयों को उठाएं। हंगामे की शुरुआत उस सयम हुई जब स्वास्थ्य मंत्री शर्मा ने अपने जवाब में पिछली भाजपा सरकार के शासन में हुई बच्चों की मौत के आंकड़े देने शुरू किए।

इससे पहले उन्होंने सदन को सूचित किया कि दिसंबर 2019 से 20 जनवरी 2020 के बीच जे के लोन अस्पताल में 135 बच्चों की मौत हुई। इसी दौरान कुछ मंत्रियों व कांग्रेस विधायकों ने अखबारों की कतरनें लहरानी शुरू कर दीं जिनमें पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और इस समय प्रतिपक्ष उपनेता राजेंद्र राठौड़ की कथित विफलता की खबरें छपी थीं। इस बीच अध्यक्ष ने अगले प्रश्नकर्ता को बुला लिया लेकिन कांग्रेस के एक विधायक खबर की फोटो कॉपी लेकर विपक्षी सदस्यों के पास पहुंच गए। भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने उस फोटोकॉपी को छीन लिया और फाड़ दिया। इसके बाद भाजपा के सदस्य आसन के सामने आ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।

भाजपा के एक विधायक ने फाड़ी हुई कतरनों को सत्ता पक्ष की ओर फेंक दिया। प्रश्नकाल के दौरान हंगामा चलता रहा। प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद विपक्षी सदस्य सीटों पर लौटे। अध्यक्ष जोशी ने विधायकों के व्यवहार पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, ‘सदन की जो परंपरा रही है उसका निर्वहन करने के लिए माननीय सदस्य नियम व कानून के तहत अपने विषयों को उठाएं। बहस करें और चर्चा करें, यही हम सबकी जिम्मेदारी बनती है और मैं आशा करता हूं कि आप सबके सहयोग से हम सदन की गरिमा को बनाए रखेंगे।’’

इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा, ‘यह कभी नहीं हो सकता कि कोई सदस्य वहां (सत्ता पक्ष) से उठे और कागज लेकर यहां तक आए। यह परिपाटी गलत है। आसन से उस सदस्य के लिए व्यवस्था होनी चाहिए।’’ इस पर अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि अपने आचरण से अपने पद की गरिमा बनाए रखें। नीम का थाना से सदस्य आज जिस तरह से सदन में आए, यह वांछनीय नहीं है। मैं अपेक्षा करूंगा कि इस तरह की घटना भविष्य में सदन में नहीं हो। हम सबका कर्तव्य बनता है कि हम व्यक्तिगत आचरण में नियमों का पालन करें। आज की घटना दुखद घटना है।’’

संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने अध्यक्ष का समर्थन करते हुए कहा, ‘ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए लेकिन यह भी व्यवस्था होनी चाहिए कि जो कागज वहां दिया गया वह गलत था लेकिन उस कागज को फाड़कर इधर फेंक दिया गया। वह अभी पड़ा है। उनको भी प्रताड़ित करिए।’’ इस पर जोशी ने कहा कि वह किसी को प्रताड़ित नहीं कर रहे हैं बल्कि खुद प्रताड़ित हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘न तो मैं आपको प्रताड़ित कर रहा हूं न इनको प्रताड़ित कर रहा हूं। मैं तो खुद प्रताड़ित हो रहा हूं। मैं आप दोनों का प्रताड़ित नहीं कर रहा हूं। मैं सदन की इस कुर्सी पर बैठ कर स्वयं को प्रताड़ित कर रहा हूं। चाहे पक्ष हो या विपक्ष, सदन की गरिमा बनाना सबका काम है।’’

सदन में मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, ‘‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सदन के अध्यक्ष को कहना पड़े कि वह खुद प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं। यह नौबत नहीं आनी चाहिए। विपक्ष की असहमति का सम्मान करना भी सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी होती है। लोकतंत्र की खूबी व ताकत यही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहेंगे कि विपक्ष की असहमति उनकी भावना का हम स्वागत करें। लेकिन यह नहीं होना चाहिए कि राजनीति करने के लिए हम लक्ष्मण रेखा पार करें। उसका ध्यान दोनों पक्ष रखें। मैं समझता हूं कि इससे हम सदन की गरिमा को कायम रख पाएंगे।

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