Thursday, March 28, 2024
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गोपाल कृष्ण गांधी ने बताया, इसलिए किया था आतंकी याकूब मेमन की फांसी का विरोध

उप राष्ट्रपति पद के लिए 18 विपक्षी दलों के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी ने आज कहा कि वह किसी राजनैतिक दल के नहीं बल्कि, भारत के नागरिकों के प्रतिनिधि हैं तथा वह भारतीय राजनीति से आम आदमी के उठते भरोसे को दूर करने का प्रयास करेंगे।

Bhasha Reported by: Bhasha
Updated on: July 18, 2017 15:47 IST
gopalkrishna gandhi- India TV Hindi
gopalkrishna gandhi

नई दिल्ली: उप राष्ट्रपति पद के लिए 18 विपक्षी दलों के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी ने आज कहा कि वह किसी राजनैतिक दल के नहीं बल्कि, भारत के नागरिकों के प्रतिनिधि हैं तथा वह भारतीय राजनीति से आम आदमी के उठते भरोसे को दूर करने का प्रयास करेंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि वह मृत्युदंड के खिलाफ महात्मा गांधी और बी आर अंबेडकर के विचारों से प्रभावित हैं जिसकी वजह से ही उन्होंने आतंकवादी याकूब मेमन तथा पाकिस्तान में मृत्युदंड पाए भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को क्षमादान दिए जाने की वकालत की।

गांधी ने उप राष्ट्रपति पद के लिए आज नामांकन भरने के बाद संसद भवन स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को जा कर नमन किया। इसके बाद उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, मैं एक सामान्य नागरिक हूं और इस चुनाव में नागरिकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक निर्दलीय एवं स्वतंत्र नागरिक की तरह खड़ा हुआ हूं। उन्होंने 18 विपक्षी दलों द्वारा उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किए जाने के लिए इन दलों का आभार भी जताया।

उन्होंने कहा कि वह जनता और राजनीति के बीच बढ़ती खाई को लेकर काफी चिंतित हैं। वह चाहते हैं कि इस खाई को दूर किया जाए। उन्होंने कहा कि उनकी तीन प्राथमिकताएं हैं। पहली- लोगों के मन में यह भरोसा दिलाना कि राजनीति उनके लिए ही है तथा राजनीति से उनके ध्वस्त हो रहे भरोसे को कायम करना। दूसरा- विभाजनकारी ताकतों से मुकाबला ताकि भविष्य बेहतर बन सके। तीसरा- देश की करीब करीब आधी जनसंख्या युवा होने के बावजूद बेरोजगार और मायूस है। इस वर्ग की समस्याओं की ओर ध्यान दिया जाना।

यह पूछे जाने पर कि शिवसेना ने गांधी की उम्मीदवारी का इस आधार पर विरोध किया है कि उन्होंने आतंकवादी याकूब मेमन को क्षमादान देने के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा था, गांधी ने कहा कि मृत्युदंड के मामले में वह महात्मा गांधी एवं बी आर अंबेडकर के विचारों से प्रभावित हैं जिन्होंने सदैव फांसी का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में याकूब के लिए उन्होंने एक स्वतंत्र नागरिक के तौर पर पत्र लिखा था क्योंकि वह मृत्युदंड को गलत मानते हैं।

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