Saturday, April 20, 2024
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मध्य प्रदेश विधानसभा में सोमवार को फ्लोर टेस्ट, कमलनाथ सरकार को साबित करना है बहुमत

ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी में जाने के बाद मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर खतरा मंडरा रहा है।

Anurag Amitabh Reported by: Anurag Amitabh @anuragamitabh
Updated on: March 15, 2020 17:44 IST
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सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन अभी स्पीकर ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। PTI File

भोपाल: ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी में जाने के बाद मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं, राज्यपाल लालजी टंटन ने 16 मार्च यानी सोमवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दे दिया है। बता दें कि सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन अभी स्पीकर ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। सोमवार से ही मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है और राज्यपाल ने मुख्यमंत्री कमल नाथ से सरकार को विधानसभा में अभिभाषण के तुरंत बाद बहुमत साबित करने को कहा है।

बीजेपी को भरोसा, सदन में कांग्रेस को देंगे मात

मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी आत्मविश्वास से ओत-प्रोत नजर आ रही है। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान, गोपाल भार्गव और डॉ. नरोत्तम मिश्र जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेता हालात पर नजर रख रहे हैं। बीजेपी पहले से ही फ्लोर टेस्ट चाहती थी और ऐसे में उसकी मन की मुराद पूरी हो गई है। भगवा दल का कहना है कि बजट सत्र में राज्यपाल मौजूदा कमलनाथ सरकार के कामकाज का ब्यौरा देते हैं लेकिन जब सरकार ही अल्पमत में है तो अभिभाषण सवाल ही पैदा नहीं होता। हालांकि राज्यपाल ने कहा है कि सरकार को अभिभाषण के तुरंत बाद बहुमत साबित करना होगा।

सोमवार को एमपी विधानसभा में क्या होगा?
सिंधिया समर्थक 22 विधायकों का इस्तीफा यदि स्पीकर स्वीकार कर लेते हैं तो उनकी सदस्यता चली जाएगी और ऐसे में सरकार के साथ सिर्फ 99 विधायक रह जाएंगे। इनके इस्तीफे स्वीकार होने पर विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 104 पर आ जाएगा ऐसे में बीजेपी विप जारी करके फ्लोर टेस्ट में बाजी मार सकती है। बीजेपी के मध्य प्रदेश में 107 विधायक हैं। यदि इस्तीफा स्वीकार नहीं होता है तो पार्टी उन्हें विप जारी करके सदन में हाजिर होने को कह सकती है। इसक बाद भी विधायक नहीं आए तो उन्हें पार्टी से निकाला जाएगा लेकिन सदस्यता बनी रहेगी।

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