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NDA से भी किनारा करेगी शिवसेना? रविवार को होने वाली बैठक में भाग लेने की उम्मीद नहीं

संसद के 18 नवम्बर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या रविवार को दिल्ली में होने वाली राजग घटक दलों की बैठक में शिवसेना के भाग नहीं लेने की संभावना है।

Written by: Bhasha
Published : November 16, 2019 17:39 IST
Shiv Sena chief Uddhav Thackeray and Yuva Sena chief...- India TV Hindi
Image Source : PTI Shiv Sena chief Uddhav Thackeray and Yuva Sena chief Aaditya Thackeray (File Photo)

मुंबई: संसद के 18 नवम्बर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या रविवार को दिल्ली में होने वाली राजग घटक दलों की बैठक में शिवसेना के भाग नहीं लेने की संभावना है। पार्टी के एक नेता ने शनिवार को यहां यह बात कही। रविवार (17 नवम्बर) को शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की पुण्यतिथि भी है। लंबे समय से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का घटक दल रहे शिवसेना की महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा होने के कुछ दिन बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा के साथ खींचतान चलती रही। 

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने संभावित गठबंधन सरकार बनाने के लिए अपने वैचारिक प्रतिद्वंद्वियों-कांग्रेस और राकांपा के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) का एक मसौदा तैयार किया है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ उनके आवास पर बैठक के बाद कहा, ‘‘शिवसेना का कोई भी प्रतिनिधि राजग की बैठक में भाग नहीं लेगा। इसे लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है।’’ शिवसेना का वर्तमान में केन्द्र में कोई प्रतिनिधि नहीं है। उसके एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत ने 11 नवम्बर को इस्तीफा दे दिया था। 

शिवसेना के एक अन्य सांसद ने कहा कि जब राजग सदस्य बैठक कर रहे होंगे, उस समय पार्टी रविवार को बाल ठाकरे को श्रद्धांजलि देगी। सांसद ने पूछा, ‘‘फिर कैसे हम उस बैठक में शामिल हो पाएंगे? शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए भाजपा का समर्थन करने से इनकार कर दिया था जिसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया और 12 नवम्बर को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। शिवसेना ने 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में 56 सीटें जीती थी। 

भाजपा ने 288 सदस्यीय सदन में सबसे अधिक 105 सीटों पर जीत दर्ज की थी। शिवसेना की मांग थी कि मुख्यमंत्री पद और अन्य विभागों का एक समान आवंटन हो और इसके लिए भाजपा तैयार नहीं थी। हालांकि, भाजपा और शिवसेना दोनों ने गठबंधन तोड़ने की आधिकारिक रूप से घोषणा नहीं की है।

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