Monday, April 29, 2024
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बंगाल, छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र... हर जगह उपचुनावों में क्यों ढेर हुई बीजेपी? जानें 5 कारण

आसनसोल लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी की अग्निमित्रा पॉल को मात दी।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 16, 2022 16:45 IST
Bengal by-elections, Chhattisgarh by-elections, Bihar by-elections, Maharashtra by-elections- India TV Hindi
Image Source : PTI BJP has got a crushing defeat in the by-elections.

Highlights

  • बीजेपी इन उपचुनावों में एक भी सीट जीतने में नाकाम रही, और सारी सीटें उसकी विरोधी पार्टियों के पाले में गई।
  • आसनसोल लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में तृणमूल उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी की अग्निमित्रा पॉल को मात दी।

नई दिल्ली: देश के 4 राज्यों में हुए उपचुनावों के शनिवार को आए नतीजों में भारतीय जनता पार्टी को जोरदार झटका लगा है। ये उपचुनाव पश्चिम बंगाल की एक लोकसभा सीट एवं महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ एवं बिहार की एक-एक विधानसभा सीटों पर हुए थे। बीजेपी इन उपचुनावों में एक भी सीट जीतने में नाकाम रही, और सारी सीटें उसकी विरोधी पार्टियों के पाले में गई। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में हुए उपचुनावों में जहां कांग्रेस ने बाजी मारी, वहीं पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवारों ने परचम लहराया।

पश्चिम बंगाल में क्यों हारी बीजेपी?

पश्चिम बंगाल में एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव थे। आसनसोल लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी की अग्निमित्रा पॉल को मात दी। वहीं, बालीगंज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों में तृणमूल उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो ने सीपीएम उम्मीदवार सायरा शाह हलीम को 20 हजार से भी ज्यादा मतों के अंतर से पराजित किया। इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार केया घोष की जमानत जब्त हो गई। बता दें कि शत्रुघ्न सिन्हा और बाबुल सुप्रियो कभी बीजेपी में ही हुआ करते थे, और दोनों को पार्टी ने केंद्र में मंत्री भी बनाया था।

पश्चिम बंगाल उपचुनावों में बीजेपी की हार का सबसे बड़ा कारण ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल का उससे कहीं ज्यादा आक्रामक होना रहा। दूसरी बात कि वोट डालते वक्त वहां के मतदाताओं के मन में यह बात जरूर रही होगी कि फिलहाल सत्ता पक्ष के साथ रहने में ही भलाई है, क्योंकि अगले विधानसभा चुनाव अभी 4 साल बाद होने हैं। बीजेपी के लिए सबसे बड़ा झटका यह रहा कि जिस आसनसोल सीट पर लोकसभा चुनावों में उसके उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो ने जीत दर्ज की थी, उस पर इस बार उसके उम्मीदवार को सिर्फ 30 फीसदी वोट मिले।

बिहार में BJP को सहानुभूति लहर ने डुबोया?
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार अमर पासवान ने बीजेपी की बेबी कुमारी को मात देकर बोचहां विधानसभा सीट जीत ली है। यह सीट अमर के पिता मुसाफिर पासवान के निधन के बाद ही खाली हुई थी। मुसाफिर पासवान ने विकासशील इंसान पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन उनके निधन के बाद अमर ने वीआईपी का दामन छोड़कर तेजस्वी का हाथ पकड़ लिया था। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी और वीआईपी में टूट के साथ-साथ सहानुभूति लहर भी उनकी शानदार जीत का एक बड़ा कारण रही।

छत्तीसगढ़ में सत्ता के साथ चली जनता
छत्तीसगढ़ की खैरागढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा नीलांबर वर्मा ने बीजेपी की कोमल जंघेल को मात दी। आमने-सामने के इस मुकाबले में जहां यशोदा को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले वहीं कोमल भी 40 फीसदी मत पाने में कामयाब रहीं। खैरागढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस की जीत इसलिए नहीं चौंकाती है क्योंकि यहां पहले भी उसका दबदबा रहा है। हालांकि पिछले विधानसभा चुनावों में यह सीट बीजेपी जीतते-जीतते रह गई थी। इस बार के नतीजों से साफ है कि जनता फिलहाल सरकार के साथ जाने के मूड में है।

महाराष्ट्र में 3 दलों के आगे नहीं टिक पाई बीजेपी
महाराष्ट्र में भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस ने कोल्हापुर नॉर्थ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की। बीजेपी ने इन चुनावों में अकेले 43 फीसदी से ज्यादा मत हासिल किए और हार के बावजूद यह उसके लिए संतोष की बात होगी। बता दें कि महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी की गठबंधन सरकार है और उपचुनाव में भी कांग्रेस को अपने साथी दलों का समर्थन मिला था। 3 दलों की एकजुट ताकत के आगे बीजेपी के प्रयास नाकाफी साबित हुए और उसे इस विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा।

एक बार फिर भारी पड़ा बीजेपी वोटर का उदासीन रवैया?
माना जा रहा है कि बीजेपी के वोटरों का उदासीन रवैया भी उसकी हार का एक बड़ा कारण है। ऐसा कई बार देखा गया है कि जिस राज्य में उपचुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहता, वहां मुख्य चुनावों में उसका ही डंका बजता है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यो में ऐसा देखने को भी मिला है। बीजेपी का वोटर उपचुनावों को लेकर उतना मुखर नहीं रहता जितना वह लोकसभा या विधानसभा चुनावों में होता है। हालांकि 4 राज्यों में उपचुनावों में हुई हार निश्चित तौर पर बीजेपी नेतृत्व के माथे पर जहां चिंता की लकीरें खींचेगी वहीं विपक्षी दलों में जोश भरने का काम करेगी।

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