Thursday, December 12, 2024
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प्रियंका गांधी ने आखिर वायनाड को ही क्यों चुना? जानें दक्षिण से इंदिरा-सोनिया के खास रिश्ते की कहानी

राहुल गांधी वायनाड सीट से इस्तीफा देंगे और रायबरेली सीट अपने पास रखेंगे जबकि उपचुनाव के जरिए प्रियंका गांधी वाड्रा संसदीय राजनीति में अपनी चुनावी पारी की शुरुआत करेंगी और वायनाड सीट से चुनाव लड़ेंगी। दक्षिण भारत से गांधी परिवार का खास नाता रहा है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jun 18, 2024 8:43 IST, Updated : Jun 18, 2024 8:43 IST
priyanka gandhi indira gandhi- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO प्रियंका गांधी और इंदिरा गांधी

कांग्रेस ने रायबरेली और वायनाड सीट को लेकर जैसे ही फैसले का ऐलान किया तो रायबरेली से लेकर वायनाड तक कांग्रेस कार्यकर्ता जश्न में डूब गए और आतिशबाजी होने लगी। कांग्रेस ने बड़ा फैसला करते हुए ऐलान किया कि राहुल गांधी केरल की वायनाड लोकसभा सीट छोड़ेंगे और यूपी के रायबरेली से सांसद बने रहेंगे। राहुल की जगह अब प्रियंका गांधी वायनाड से चुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि चूंकि रायबरेली सीट से गांधी-नेहरू परिवार का पुराना नाता है इसलिए राहुल रायबरेली सीट से सांसद बने रहेंगे और प्रियंका गांधी वायनाड के लोगों को राहुल की कमी नहीं खलने देंगी।

इंदिरा गांधी की दक्षिण के रास्ते हुई थी सत्ता में वापसी

बता दें कि गांधी परिवार का दक्षिण भारत से चुनाव लड़ने का लंबा इतिहास है। शुरुआत पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने की थी जब उन्होंने 1978 में चिकमंगलूर से चुनाव जीता था। इसके बाद 1980 में मेडक से इंदिरा गांधी सांसद बनीं थी। आपातकाल के बाद रायबरेली सीट से जब इंदिरा गांधी का कमबैक करना मुश्किल लग रहा था उस वक्त कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट ने उनके राजनीतिक जीवन के लिए संजीवनी का काम किया। 1978 के उपचुनाव में उनके लिए एक सुरक्षित सीट तलाशी गई। ये सीट थी कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट। मौजूदा सांसद डीबी गौड़ा से सीट खाली करवाई गई, यहां इंदिरा के सामने चुनौती सीएम वीरेंद्र पाटिल से भिड़ने की थी।

कहा जाता है इस उपचुनाव के प्रचार के लिए इंदिरा गांधी खुद 17 से 18 घंटे तक प्रचार किया। चुनाव का नतीजा कांग्रेस के पक्ष में आया और इंदिरा गांधी ने 77 हजार वोटों से जीत हासिल की और उनके विपक्ष में खड़े 26 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।

बेल्लारी से सांसद बनी थीं सोनिया गांधी

इंदिरा गांधी के बाद सोनिया गांधी 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी से सांसद बनीं। हालांकि बाद में उन्होंने ये सीट छोड़ दी थी। राहुल गांधी 2019 और 2024 में केरल की वायनाड सीट से सांसद बने और अब प्रियंका गांधी वायनाड से चुनावी सियासत में एंट्री कर रही हैं। राहुल के रायबरेली सीट रखने और प्रियंका को वायनाड से चुनाव लड़ाने का फैसला कांग्रेस के लिए बड़ा फैसला है क्योंकि प्रियंका का एक ओर चुनावी डेब्यू हो रहा है। दूसरा अगर वो चुनाव जीत जाती हैं तो दोनों भाई बहन पहली बार संसद में मिलकर बीजेपी का मुकाबला करेंगे। प्रियंका लंबे समय से राजनीति में सक्रिय तो हैं लेकिन चुनावी राजनीति में पहली बार कदम बढ़ा रही हैं। अब तक वो मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी की चुनाव लड़ने में मदद करते आई हैं। इसके साथ उनके वायनाड से जीतने पर कांग्रेस उत्तर और दक्षिण भारत के बीच अच्छा बैलेंस भी बना सकती है।

राहुल-प्रियंका पर बीजेपी हमलावर

उधर, राहुल के रायबरेली सीट रखने और प्रियंका को वायनाड से चुनाव लड़ाने पर बीजेपी ने कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाया है। यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि कांग्रेस को पता है कि राहुल ने रायबरेली सीट छोड़ी तो दोबारा चुनाव जीत नहीं पाएंगे। उधर, बीजेपी नेता अजय आलोक ने राहुल पर वायनाड से भागने का आरोप लगाया।

'राहुल से यूपी में कांग्रेस होगी मजबूत'

राहुल गांधी ने कहा कि वायनाड और रायबरेली में से किसी एक को चुनना उनके लिए आसान नहीं था। उन्होंने रायबरेली को चुना है लेकिन वो वायनाड को भूलेंगे नहीं। राहुल के साथ प्रियंका गांधी ने भी कहा कि रायबरेली और वायनाड के लोगों की सेवा अब दोनों भाई-बहन मिलकर करेंगे। कांग्रेस दरअसल राहुल के रायबरेली सीट रखने के साथ आगे की रणनीति पर काम कर रही है। रायबरेली सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीट है। इस सीट पर राहुल के दादा फिरोज गांधी, दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी चुनाव लड़ चुकी हैं। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि राहुल गांधी के रायबरेली सीट रखने से यूपी में कांग्रेस मजबूत होगी। 2027 के विधानसभा चुनाव समेत आगे कांग्रेस और इंडिया गठबंधन अच्छा मुकाबला करेगी।

उधर राहुल के खिलाफ LDF से चुनाव लड़ने वाली एनी राजा ने प्रियंका गांधी को टिकट दिए जाने को उनकी पार्टी का अंदरूनी फैसला बताया और कहा कि उस सीट से प्रियंका के खिलाफ लेफ्ट से कौन लड़ेगा ये गठबंधन तय करेगा।

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